परिचय
क्या आपने कभी ऐसी कविता सुनी है, जिसकी लय पढ़ते ही मन में एक संगीत-सा बहने लगे? जैसे शब्द नहीं, बल्कि तरंगें हों। हिंदी और अवधी काव्य परंपरा में एक ऐसा ही मधुर, सुरीला और दिल को छू लेने वाला छंद है—ullala chhand
जब भी विद्यार्थी या कवि पहली बार इस छंद को पढ़ते हैं, उन्हें ऐसा लगता है मानो शब्द नाच रहे हों और हर पंक्ति अपने भीतर एक ताल छिपाए बैठी हो। यही कारण है कि उल्लाला छंद आज भी 2025 में उतना ही लोकप्रिय है जितना परंपरागत रचनाओं में रहा है।
Ullala Chhand Ki Paribhasha
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| छंद का नाम | उल्लाला छंद |
| छंद का प्रकार | मात्रिक छंद |
| मुख्य विशेषता | विशिष्ट मात्रा-विन्यास, मधुर ध्वनि-लय |
| उपयोग | काव्य, भक्ति साहित्य, भावप्रधान पद |
सरल परिभाषा
Ullala chhand एक पारंपरिक मात्रिक छंद है जिसमें निश्चित मात्रा-विन्यास के साथ मधुर लय और ताल का प्रयोग किया जाता है। इसमें पंक्तियों की संरचना ऐसी होती है कि पाठक को पढ़ते समय झंकार और गति का अनुभव हो।
यह छंद विशेष रूप से गीतात्मकता, भाव-अभिव्यक्ति, और संगीतात्मक प्रवाह के लिए जाना जाता है।
उल्लाला छंद के प्रकार (Ullala Chhand Ke Prakar)
हालाँकि पारंपरिक रूप से ullala chhand के स्पष्ट प्रकार नहीं बताए जाते, लेकिन 2025 की “शिक्षण शैली” में इसे समझने के लिए निम्न तीन व्यावहारिक वर्ग बनाए जाते हैं:
| प्रकार | विवरण |
|---|---|
| (1) लघु-आधारित | जिनमें लघु मात्राओं की प्रधानता होती है |
| (2) गुरु-प्रधान | जिनमें गुरु मात्राएँ अधिक रखी जाती हैं |
| (3) मिश्रित | दोनों का संतुलित मिश्रण, सर्वाधिक प्रचलित |
उल्लाला छंद पहचानने के नियम (Ullala Chhand Pehchanne Ke Niyam)
1. मात्रा-विन्यास समान होता है
-
उल्लाला छंद मात्रिक छंद है।
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इसके लिए हर पंक्ति में लगभग समान मात्रा रहती है।
-
लघु (1 मात्रा) और गुरु (2 मात्रा) का संतुलन एक जैसा चलता है।
मतलब:
अगर एक कविता की अधिकतर पंक्तियाँ बराबर मात्रा की दिखें — तो वह उल्लाला छंद हो सकता है।
2. पढ़ने पर “मधुर लय” महसूस होती है
-
इस छंद की पहचान उसका संगीतात्मक प्रवाह है।
-
अगर आप पंक्ति को ज़ोर से पढ़ते हैं और वह “गाई हुई” लगे — तो यह उल्लाला छंद का संकेत है।
यह छंद हमेशा सुंदर, मीठी और लहरदार लय पैदा करता है।
3. पंक्तियाँ लंबाई में लगभग बराबर होती हैं
-
Ullala Chhand में पंक्तियाँ आमतौर पर एक जैसी लंबाई की दिखाई देती हैं।
-
पढ़ने में कोई पंक्ति अचानक छोटी या बहुत लंबी नहीं लगेगी।
इससे छंद की गति स्थिर बनी रहती है।
4. शब्द-क्रम तालबद्ध होता है
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शब्दों की व्यवस्था ऐसी होती है कि वे “झनकार” उत्पन्न करते हैं।
-
पंक्ति के अंत में एक मधुर गिरावट महसूस होती है।
जैसे किसी ढाल पर धीरे से बहता हुआ गीत।
5. पंक्तियों के बीच एक ही तरह का प्रवाह
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Ullala Chhand की हर पंक्ति में
-
एक जैसी गति
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एक जैसा झोंक
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और एक जैसा उतार–चढ़ाव रहता है
-
सुनने पर “एक ही लय का दुहराव” महसूस होता है।
6. उच्चारण आसान और संगीत-सा लगता है
-
छंद को पढ़ते समय जुबान अटकती नहीं।
-
शब्द सहज रूप से जुड़ते और बहते हैं।
-
यही इसे गीतों और भक्ति पदों में लोकप्रिय बनाता है।
सबसे आसान पहचान ट्रिक
नीचे तीन ट्रिक कभी मत भूलना:
Trick 1 — पंक्ति को गाकर पढ़ो
अगर पंक्ति गाने जैसी लगे → यह उल्लाला छंद है।
Trick 2 — पंक्तियाँ एक जैसी लय रखें
A, B, C तीनों पंक्तियाँ लगभग समान गति से पढ़ी जाएँ → यह उल्लाला छंद है।
Trick 3 — मात्रा गिनो
यदि लघु–गुरु का संतुलन हर पंक्ति में समान दिखे → यह निश्चित रूप से उल्लाला छंद होगा।
उल्लाला छंद के 25 उदाहरण (Ullala Chhand Ke 25 Udaharan)
| क्रम | उदाहरण | Explanation |
|---|---|---|
| 1 | नदिया बहे मंद-मंद रे | धीमी और लयबद्ध गति, Ullala लय का स्पष्ट उदाहरण |
| 2 | पवन चले शीतल छंद रे | शब्द-ध्वनि में ताल और सॉफ्ट एंडिंग |
| 3 | दीप जले सुख-मंद रे | एक समान मात्रा-विन्यास और सरल लहर |
| 4 | मन मोहे सुंदर गंध रे | “-ंध रे” ध्वनि लय उत्पन्न करती है |
| 5 | बादल छाए दिग-दिग रे | दोहराव से मधुर ताल बनती है |
| क्रम | उदाहरण | Explanation |
|---|---|---|
| 6 | कागा बोले कांव-कांव रे | समान ध्वनि, लय का निरंतर प्रवाह |
| 7 | फूल खिले रंग-रंग रे | समान ध्वनि और तालबद्धता |
| 8 | मोर नाचे थिरक-थिरक रे | क्रियाओं से ताल बनती है |
| 9 | रिमझिम गिरे झर-झर रे | ध्वनि-अनुकरण (onomatopoeia) से लय बढ़ती है |
| 10 | दिल धड़के छुप-छुप रे | दोहराव और गति समान |
| क्रम | उदाहरण | Explanation |
|---|---|---|
| 11 | जुगनू चमके हिम-हिम रे | हल्की चमक और लहरदार प्रवाह |
| 12 | सुर झरे मधुर-मधुर रे | संगीतात्मकता Ullala की विशेषता है |
| 13 | पर्वत हँसे धीर-धीरे रे | लय, भाव और गति तीनों मेल खाते हैं |
| 14 | चिड़िया गाए चहक-चहक रे | दोहराव से गेय रूप बनता है |
| 15 | पलक झपके झपझप रे | अलंकारिक ध्वनि Ullala को उभारती है |
| क्रम | उदाहरण | Explanation |
|---|---|---|
| 16 | तारा झिलमिल टिमटिम रे | हल्की, मधुर और दोहरावदार ध्वनि |
| 17 | राधा बोले हँस-हँस रे | सरलता और मीठी ध्वनि Ullala के अनुकूल |
| 18 | चरण पड़े झुक-झुक रे | क्रियाओं का तालमेल |
| 19 | ठंडी बयार बह-बह रे | एक समान ध्वनि बहाव |
| 20 | पथिक चले थक-थक रे | हल्की थकान का लयबद्ध वर्णन |
| क्रम | उदाहरण | Explanation |
|---|---|---|
| 21 | शंख बजे दमदम रे | ध्वनि-ताल स्पष्ट और मजबूत |
| 22 | कान्हा खेले झूम-झूम रे | बार-बार दोहराव लय देता है |
| 23 | गंगा बहती निर्मल-निर्मल रे | समरूप ध्वनि और मात्रा |
| 24 | बागन महके चंपा-चंपा रे | दोहराव + सरल ताल |
| 25 | मन डोले घनघोर रे | भारी लय—फिर भी Ullala शैली |
उल्लाला छंद रूप-निर्माण (Ullala Chhand Ka Rup Nirman)
(A) संज्ञा से बनने वाला
जब काव्य की पंक्ति संज्ञाओं के संयोजन से बनती है।
उदाहरण:
“माला, भाला, ममता” जैसे शब्दों को समान मात्रा-विन्यास में सजाने पर छंद बनता है।
(B) विशेषण आधारित
विशेषणों के प्रयोग से पंक्ति में मधुरता बढ़ती है।
जैसे—
“मधुर, कोमल, शांत” आदि।
(C) क्रिया आधारित
क्रियाओं का दोहराव और संतुलन पंक्ति को प्रवाह देता है।
जैसे—
“गाते, जाते, आते”
(D) मिश्रित रूप-निर्माण
अधिकतर उल्लाला छंद इसी तरीके से बनता है—
संज्ञा, क्रिया, विशेषण का तालबद्ध मिश्रण।
विशेषज्ञ राय
Ullala Chhand उन छंदों में आता है जिन्हें विद्यार्थी सबसे जल्दी पहचान लेते हैं, क्योंकि इसकी प्राकृतिक लय और मधुरता इसे याद रखना आसान बनाती हैं।
निष्कर्ष
Ullala Chhand (उल्लाला छंद) आपके लिए एक शानदार शुरुआत हो सकता है। इसकी मधुर लय, सरल मात्रा-विन्यास और गीतात्मकता इसे प्रत्येक स्तर के लेखक और विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
याद रखें—कविता वहीं जन्म लेती है जहाँ लय और भाव मिलते हैं, और यह छंद आपको उस सुंदर संगम तक पहुँचाने में मदद करता है।
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FAQs (5 छात्र-अनुकूल प्रश्न–उत्तर)
Q1. उल्लाला छंद क्या होता है?
यह एक मात्रिक छंद है जिसमें निश्चित मात्रा-विन्यास और लयबद्ध ताल का प्रयोग किया जाता है।
Q2. क्या उल्लाला छंद सीखना कठिन है?
नहीं। यह छंद अपनी लयात्मक प्रकृति के कारण आसान और यादगार माना जाता है।
Q3. क्या उल्लाला छंद के निश्चित प्रकार होते हैं?
परंपरागत रूप से नहीं, लेकिन सीखने में आसानी के लिए इसे 3 व्यावहारिक वर्गों में समझाया जाता है।
Q4. छात्र इसे कैसे पहचान सकते हैं?
पंक्ति को ज़ोर से पढ़ें—यदि स्पष्ट ताल और झंकार महसूस हो, तो यह ullala chhand हो सकता है।
Q5. क्या आधुनिक कविता में भी इसका उपयोग होता है?
हाँ, 2025 तक डिजिटल साहित्य, सोशल मीडिया कविताओं और गीतों में इसका प्रयोग बढ़ा है।
डिस्क्लेमर
यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से तैयार किया गया है। यहाँ दी गई जानकारी पारंपरिक काव्य-शास्त्र, आधुनिक शोध और 2025 के अध्ययन-संदर्भों पर आधारित है।
