परिचय
क्या आपने कभी सोचा है कि “राजमार्ग”, “नीलकमल” या “धर्मक्षेत्र” जैसे शब्दों में ऐसा क्या जादू है जो दो शब्द मिलकर एक नया अर्थ दे देते हैं?
हिंदी भाषा की यह सुंदरता समास (Samas) कहलाती है — जहाँ शब्द केवल जुड़ते नहीं, बल्कि नया अर्थ और नया भाव लेकर आते हैं।
इसी प्रक्रिया को समझने के लिए हमें जानना होगा —
Samas ki Paribhasha, इसके प्रकार, उदाहरण और नियम —
जो न केवल परीक्षा में, बल्कि भाषा की गहराई को समझने में भी आपकी मदद करेंगे।
📘 Samas ki Paribhasha
Samas ki Paribhasha यह है कि जब दो या दो से अधिक शब्द अपने विभक्ति चिह्नों को हटाकर एक साथ जुड़कर नया अर्थ देने वाला एक शब्द बनाते हैं, तो उसे समास (Samas) कहते हैं।
अर्थात्, समास वह प्रक्रिया है जिसमें संयोग द्वारा अर्थ-संक्षेप किया जाता है।
उदाहरण:
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“राजा का पुत्र” → राजपुत्र
-
“नीला कमल” → नीलकमल
-
“देव का आलय” → देवालय
नीचे दी गई सारणी में आप Samas ki Paribhasha को और सरल रूप में देख सकते हैं 👇
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| शब्दों की संख्या | दो या अधिक |
| प्रक्रिया | संयोग (जुड़ाव) |
| विभक्ति | हट जाती है |
| परिणाम | नया शब्द और नया अर्थ |
| उदाहरण | राम + लक्ष्मण = रामलक्ष्मण |
पूर्व पद और उत्तर पद (Poorva Pad aur Uttar Pad)
समास में जब दो शब्द मिलते हैं, तो एक पहले आता है (पूर्व पद) और दूसरा बाद में आता है (उत्तर पद)।
इन दोनों के मेल से ही एक नया, संयुक्त शब्द (समासिक शब्द) बनता है।
परिभाषा
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पूर्व पद (Poorva Pad): वह शब्द जो समास में सबसे पहले आता है।
-
उत्तर पद (Uttar Pad): वह शब्द जो समास में बाद में आता है और मुख्य अर्थ बताता है।
उदाहरणों द्वारा समझिए:
| क्रमांक | समासिक शब्द | पूर्व पद | उत्तर पद | व्याख्या |
|---|---|---|---|---|
| 1️⃣ | जलपान | जल | पान | “जल का पान” — यहाँ “जल” पूर्व पद है और “पान” उत्तर पद है। |
| 2️⃣ | राजकुमार | राज | कुमार | “राजा का पुत्र” — “राज” पूर्व पद, “कुमार” उत्तर पद। |
| 3️⃣ | नीलकमल | नील | कमल | “नीला कमल” — “नील” पूर्व पद (विशेषण), “कमल” उत्तर पद (विशेष्य)। |
| 4️⃣ | देवालय | देव | आलय | “देवों का घर” — “देव” पूर्व पद और “आलय” उत्तर पद। |
| 5️⃣ | चतुर्भुज | चतुर | भुज | “चार भुजाओं वाला” — “चतुर” पूर्व पद और “भुज” उत्तर पद। |
समास के 6 प्रकार (Samas ke 6 Prakar )
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अव्ययीभाव समास
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तत्पुरुष समास
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द्विगु समास
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द्वन्द्व समास
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कर्मधारय समास
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बहुव्रीहि समास
1️⃣ द्वंद्व समास (Dvandva Samas ki Paribhasha)
जब दो या दो से अधिक शब्द समान महत्व रखते हैं और वे मिलकर एक समूह का बोध कराते हैं, तो उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
🔹 पहचान:
-
दोनों शब्दों का समान महत्व होता है।
-
दोनों शब्द स्वतंत्र अर्थ रखते हैं।
-
अर्थ में “और” या “तथा” जोड़ा जा सकता है।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| राम + लक्ष्मण | रामलक्ष्मण | राम और लक्ष्मण |
| माता + पिता | मातापिता | माता और पिता |
| दिन + रात | दिनरात | दिन और रात |
| सुख + दुख | सुखदुख | दोनों का समूह |
2️⃣ तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas ki Paribhasha)
जब समास में दूसरा शब्द प्रधान होता है और पहला शब्द उसके विभक्ति संबंध को प्रकट करता है, तो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
🔹 पहचान:
-
वाक्य को “का, के, की” से जोड़ा जा सकता है।
-
दूसरा शब्द मुख्य होता है।
-
पहला शब्द कारण या संबंध बताता है।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| राजा का पुत्र | राजपुत्र | राजा का पुत्र |
| देव का आलय | देवालय | देवों का घर |
| धर्म का क्षेत्र | धर्मक्षेत्र | धर्म का स्थान |
| जल का पान | जलपान | जल पीना |
3️⃣ कर्मधारय समास (Karmadharay Samas ki Paribhasha)
जब दोनों शब्दों में दूसरा शब्द प्रधान होता है, और पहला शब्द उसका विशेषण या विशेषक होता है, तो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
🔹 पहचान:
-
पहला शब्द विशेषण, दूसरा संज्ञा।
-
दोनों का अर्थ एक ही वस्तु या व्यक्ति से संबंधित।
-
“कैसा?” प्रश्न का उत्तर मिलता है।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| नील + कमल | नीलकमल | नीले रंग का कमल |
| सुंदर + बालिका | सुंदरबालिका | सुंदर लड़की |
| महान + पुरुष | महानपुरुष | महान व्यक्ति |
| शुभ + दिन | शुभदिन | अच्छा दिन |
4️⃣ बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas ki Paribhasha)
जब समास में बने शब्द का अर्थ उन शब्दों से नहीं बल्कि किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु से संबंधित हो, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
🔹 पहचान:
-
समासित शब्द का अर्थ बाहरी व्यक्ति या वस्तु बताता है।
-
दोनों शब्द विशेषण का भाव रखते हैं।
-
यह लक्षणा का उदाहरण है (अर्थ विस्तार)।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| चतुर + मुख | चतुर्मुख | ब्रह्मा (जिसके चार मुख हैं) |
| त्रि + लोचन | त्रिलोचन | शिव (तीन नेत्र वाला) |
| नील + कण्ठ | नीलकण्ठ | शिव (जिसका कण्ठ नीला है) |
| पिंग + नेत्र | पिंगनेत्र | लाल आँखों वाला व्यक्ति |
5️⃣ अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas ki Paribhasha)
जब समास का पहला पद अव्यय (क्रिया-विशेषण या उपसर्ग) होता है, और पूरा समास अव्यय (अपरिवर्तनीय) बन जाता है, तो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
-
पहला शब्द अव्यय (जैसे: उपरि, प्रति, यथा, आदि)।
-
पूरा समास अव्यय रूप में प्रयोग होता है।
-
अर्थ होता है – “के अनुसार”, “के समान”, “के प्रति” आदि।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| यथा + शक्ति | यथाशक्ति | अपनी शक्ति के अनुसार |
| प्रति + दिन | प्रतिदिन | हर दिन |
| उपरि + उक्त | उपर्युक्त | ऊपर कहा गया |
| अनन्तर + काल | अनन्तरकाल | कुछ समय बाद |
6️⃣ द्विगु समास (Dvigu Samas ki Paribhasha)
जब समास में पहला पद संख्या सूचक शब्द (एक, दो, तीन…) होता है और समास का अर्थ उस संख्या के अनुसार वस्तुओं के समूह से होता है, तो उसे द्विगु समास कहते हैं।
🔹 पहचान:
-
पहला शब्द संख्या-सूचक (संख्या या परिमाण)।
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दूसरा शब्द संज्ञा।
-
समास का अर्थ “संख्या वाले समूह” से होता है।
🔹 उदाहरण:
| मूल शब्द | समासित रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| त्रि + लोक | त्रिलोक | तीनों लोक (पृथ्वी, स्वर्ग, पाताल) |
| द्वि + हृदय | द्विहृदय | दो हृदय वाला |
| सप्त + सागर | सप्तसागर | सातों सागर |
| द्वि + द्वार | द्विद्वार | दो द्वार वाला |
🌿 समास पहचानने के नियम (Samas Pehchanne Ke Niyam)
नियम 1: जहाँ दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, वहाँ समास होता है।
उदाहरण:
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राजा का पुत्र → राजपुत्र
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नीला कमल → नीलकमल
अगर किसी वाक्य में दो शब्दों को मिलाने पर नया शब्द और नया अर्थ बनता है, तो वह समास है।
नियम 2: जहाँ विभक्ति (का, के, की, में, से, पर) हट जाती है, वहाँ समास बनता है।
उदाहरण:
-
गाँव में वास → ग्रामवास
-
राजा का पुत्र → राजपुत्र
जैसे ही “का”, “के”, “की” हटे और शब्द जुड़ जाएँ — वहाँ समास मौजूद है।
नियम 3: जहाँ दो समान महत्व के शब्द हों — वह द्वंद्व समास होता है।
पहचान:
दोनों शब्द स्वतंत्र रूप से अर्थपूर्ण हों और “और” का भाव रखें।
उदाहरण:
-
राम + लक्ष्मण → रामलक्ष्मण (राम और लक्ष्मण)
-
माता + पिता → माता-पिता
Trick: अगर दोनों शब्दों के बीच “और” लगाया जा सकता है, तो यह द्वंद्व समास है।
नियम 4: जहाँ “का / के / की” का भाव हो — वह तत्पुरुष समास होता है।
उदाहरण:
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राजा का पुत्र → राजपुत्र
-
देवों का आलय → देवालय
-
धर्म का क्षेत्र → धर्मक्षेत्र
Trick: अगर वाक्य में “का, के, की” लगाया जा सकता है, तो वह तत्पुरुष समास है।
नियम 5: जहाँ पहला शब्द दूसरे का विशेषण हो — वह कर्मधारय समास होता है।
उदाहरण:
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नीला कमल → नीलकमल
-
शुभ दिन → शुभदिन
-
सुंदर बालिका → सुंदरबालिका
Trick: “कौन-सा?” या “कैसा?” प्रश्न पूछो — यदि उत्तर पहले शब्द से मिले तो यह कर्मधारय समास है।
नियम 6: जहाँ पूरा शब्द किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयोग हो — वह बहुव्रीहि समास होता है।
उदाहरण:
-
त्रिलोचन = तीन नेत्र वाला (शिव)
-
चतुर्मुख = चार मुख वाला (ब्रह्मा)
-
नीलकण्ठ = नीले कण्ठ वाला (शिव)
Trick: अगर समास का अर्थ शब्दों से बाहर किसी तीसरे पर लागू होता है, तो यह बहुव्रीहि समास है।
नियम 7: जहाँ संख्या का बोध हो — वह द्विगु समास होता है।
उदाहरण:
-
द्विहृदय = दो हृदय वाला
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त्रिलोक = तीन लोक
-
सप्तसागर = सात सागर
Trick: अगर पहले शब्द में “संख्या” हो (द्वि, त्रि, सप्त, आदि), तो वह द्विगु समास है।
नियम 8: जहाँ “अव्यय” (जैसे प्रति, यथा, उपरि, आदि) प्रधान हो — वह अव्ययीभाव समास होता है।
उदाहरण:
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प्रतिदिन = हर दिन
-
यथाशक्ति = अपनी शक्ति के अनुसार
-
यथाशास्त्र = शास्त्र के अनुसार
-
उपर्युक्त = ऊपर कहा गया
Trick: यदि समास की शुरुआत “यथा, प्रति, उपरि, अनु” जैसे शब्दों से हो, तो अव्ययीभाव समास है।
नियम 9: जहाँ वाक्य में शब्दों का अर्थ संक्षिप्त होकर जुड़ गया हो — वहाँ समास है।
उदाहरण:
-
“धन वाला” → धनवान
-
“बल वाला” → बलवान
Trick: “वाला” हटाकर बना शब्द = समास।
🌿 समास के 25 महत्वपूर्ण उदाहरण (Samas Ke 25 udaharan)
1. रामलक्ष्मण
प्रकार: द्वंद्व समास
अर्थ: राम और लक्ष्मण
व्याख्या: इसमें दोनों शब्द समान महत्व रखते हैं। इसलिए यह द्वंद्व समास कहलाता है। “राम और लक्ष्मण” के स्थान पर “रामलक्ष्मण” कहा गया।
2. माता-पिता
प्रकार: द्वंद्व समास
अर्थ: माता और पिता
व्याख्या: यह दो समान श्रेणी के शब्दों का मेल है — माता और पिता। दोनों का समान महत्व है।
3. दिनरात
प्रकार: द्वंद्व समास
अर्थ: दिन और रात
व्याख्या: यहाँ भी दोनों शब्द (दिन, रात) बराबर महत्त्व के हैं।
4. सुखदुख
प्रकार: द्वंद्व समास
अर्थ: सुख और दुख
व्याख्या: जीवन के दो विपरीत भाव “सुख” और “दुख” को एक साथ व्यक्त किया गया है।
5. जलथल
प्रकार: द्वंद्व समास
अर्थ: जल और स्थल
व्याख्या: जल (पानी) और थल (धरती) — दोनों शब्द समान महत्त्व के हैं।
6. राजपुत्र
प्रकार: तत्पुरुष समास
अर्थ: राजा का पुत्र
व्याख्या: “राजा का पुत्र” में से “का” विभक्ति हटाकर “राजपुत्र” बनाया गया है, इसलिए यह तत्पुरुष समास है।
7. देवालय
प्रकार: तत्पुरुष समास
अर्थ: देवताओं का घर (मंदिर)
व्याख्या: “देवों का आलय” → “देवालय”, यहाँ “का” हट गया है।
8. धर्मक्षेत्र
प्रकार: तत्पुरुष समास
अर्थ: धर्म का स्थान
व्याख्या: जैसे “कुरुक्षेत्र”, वैसे ही “धर्मक्षेत्र” — यह तत्पुरुष समास है क्योंकि यहाँ “का” का भाव है।
9. जलपान
प्रकार: तत्पुरुष समास
अर्थ: जल का पान
व्याख्या: “जल का पान” से “का” हटाकर बना “जलपान”।
10. ग्रामवास
प्रकार: तत्पुरुष समास
अर्थ: गाँव में निवास
व्याख्या: “ग्राम में वास” → “ग्रामवास” — इसमें “में” विभक्ति लुप्त हो गई।
11. नीलकमल
प्रकार: कर्मधारय समास
अर्थ: नीले रंग का कमल
व्याख्या: “कमल कैसा?” — नीला। इस प्रकार यह विशेषण + संज्ञा से बना कर्मधारय समास है।
12. शुभदिन
प्रकार: कर्मधारय समास
अर्थ: अच्छा दिन
व्याख्या: “दिन कैसा?” — शुभ। यह विशेषण प्रधान कर्मधारय समास है।
13. सुंदरबालिका
प्रकार: कर्मधारय समास
अर्थ: सुंदर लड़की
व्याख्या: “बालिका कैसी?” — सुंदर। इस प्रकार यह कर्मधारय समास है।
14. महापुरुष
प्रकार: कर्मधारय समास
अर्थ: महान व्यक्ति
व्याख्या: “पुरुष कैसा?” — महान। अतः यह विशेषण-संज्ञा का मेल है।
15. कालीमिर्च
प्रकार: कर्मधारय समास
अर्थ: काले रंग की मिर्च
व्याख्या: “मिर्च कैसी?” — काली। यह रंग सूचक कर्मधारय समास है।
16. त्रिलोचन
प्रकार: बहुव्रीहि समास
अर्थ: तीन नेत्र वाला (भगवान शिव)
व्याख्या: यह शब्द किसी तीसरे व्यक्ति (शिव) के लिए प्रयुक्त है, इसलिए बहुव्रीहि समास कहलाता है।
17. चतुर्मुख
प्रकार: बहुव्रीहि समास
अर्थ: चार मुख वाला (ब्रह्मा)
व्याख्या: “चार मुख” ब्रह्मा का विशेषण है, इसलिए यह बहुव्रीहि समास है।
18. नीलकण्ठ
प्रकार: बहुव्रीहि समास
अर्थ: नीले कण्ठ वाला (शिव)
व्याख्या: “नीला कण्ठ” शब्द किसी अन्य व्यक्ति (शिव) के लिए प्रयुक्त हुआ है, इसलिए यह बहुव्रीहि है।
19. धनवान
प्रकार: बहुव्रीहि समास
अर्थ: जिसके पास धन है
व्याख्या: “धन” और “वन” से बना शब्द किसी व्यक्ति का गुण बताता है, इसलिए बहुव्रीहि समास है।
20. लघुशरीर
प्रकार: बहुव्रीहि समास
अर्थ: छोटा शरीर वाला
व्याख्या: “लघु शरीर” किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को दर्शाता है।
21. यथाशक्ति
प्रकार: अव्ययीभाव समास
अर्थ: अपनी शक्ति के अनुसार
व्याख्या: “यथा” एक अव्यय है जो पूरे वाक्य का भाव नियंत्रित कर रहा है। इसलिए यह अव्ययीभाव समास है।
22. प्रतिदिन
प्रकार: अव्ययीभाव समास
अर्थ: हर दिन
व्याख्या: यह समय का बोध कराता है। “प्रति” अव्यय है।
23. उपर्युक्त
प्रकार: अव्ययीभाव समास
अर्थ: ऊपर कहा गया
व्याख्या: “उपरि” (अव्यय) और “उक्त” (कहा गया) के मेल से बना अव्ययीभाव समास।
24. यथाशास्त्र
प्रकार: अव्ययीभाव समास
अर्थ: शास्त्र के अनुसार
व्याख्या: “यथा” अव्यय है जो “शास्त्र” पर निर्भर है। यह भी अव्ययीभाव समास है।
25. द्विहृदय
प्रकार: द्विगु समास
अर्थ: दो हृदय वाला
व्याख्या: इसमें “द्वि” (दो) संख्या सूचक शब्द और “हृदय” का मेल है। संख्या सूचक शब्द होने के कारण यह द्विगु समास कहलाता है।
समास का रूप निर्माण (Samas Ka Rup Nirman)
समास के बनने की प्रक्रिया को हम विभिन्न शब्द-प्रकारों के आधार पर समझ सकते हैं।
| शब्द-प्रकार | मूल शब्द | समास रूप | अर्थ |
|---|---|---|---|
| संज्ञा + संज्ञा | राजा + पुत्र | राजपुत्र | राजा का पुत्र |
| विशेषण + संज्ञा | नील + कमल | नीलकमल | नीले रंग का कमल |
| संज्ञा + क्रिया | जल + पान | जलपान | पानी पीना |
| क्रिया + संज्ञा | चल + मार्ग | चलमार्ग | चलने का मार्ग |
| संज्ञा + विशेषण | देव + प्रिय | देवप्रिय | देव का प्रिय व्यक्ति |
इससे स्पष्ट होता है कि Samas ki Paribhasha केवल नियम नहीं, बल्कि भाषा की रचना का एक जीवंत हिस्सा है।
समास का महत्त्व (Samas ki Paribhasha Ka Mahatva)
| क्रमांक | समास का महत्त्व | संक्षिप्त विवरण |
|---|---|---|
| 1️⃣ | भाषा को सुंदर बनाता है | समास भाषा को सारगर्भित और प्रभावशाली बनाता है। |
| 2️⃣ | वाक्य को छोटा करता है | लंबे वाक्यों को संक्षिप्त और सहज रूप में प्रस्तुत करता है। |
| 3️⃣ | साहित्य का सौंदर्य बढ़ाता है | कविता, कहानी और निबंधों में लय और आकर्षण लाता है। |
| 4️⃣ | संवाद को सहज बनाता है | बोलचाल और लेखन में प्रवाह और स्वाभाविकता आती है। |
| 5️⃣ | अर्थ-संक्षेप में मदद करता है | कम शब्दों में गहरे अर्थ व्यक्त करता है। |
विशेषज्ञ राय
Samas ki Paribhasha को समझना विद्यार्थियों के लिए बहुत आवश्यक है।
समास न केवल शब्दों को संक्षिप्त बनाता है, बल्कि भाषा को अधिक अभिव्यंजक, प्रभावशाली और काव्यात्मक बनाता है।
यदि आप हिंदी भाषा को सच में समझना चाहते हैं, तो समास उसका हृदय है।”
निष्कर्ष
भाषा केवल शब्दों का मेल नहीं — यह भावों का समास है।
जब हम Samas ki Paribhasha को समझते हैं, तो हम सिर्फ शब्द नहीं जोड़ते, बल्कि अर्थों को जोड़ना सीखते हैं।
समास हमें यह सिखाता है कि संक्षिप्तता में ही सौंदर्य है — यही कारण है कि संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में इसका इतना महत्त्व है।
“शब्दों को जोड़ो, अर्थ बढ़ाओ — यही समास का असली कमाल है!”
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Samas ki Paribhasha से जुड़े 9 महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. Samas ki Paribhasha क्या है?
जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया और अर्थपूर्ण शब्द बनाते हैं, तो उसे समास (Samas) कहते हैं।
उदाहरण: “राजा का पुत्र” → राजपुत्र
प्रश्न 2. समास बनने पर क्या होता है?
समास बनने पर शब्दों के बीच की विभक्ति (का, की, के) आदि लुप्त हो जाती है और दोनों शब्द मिलकर एक शब्द बनाते हैं।
प्रश्न 3. समास के कितने प्रकार होते हैं?
Samas ke 6 Prakar होते हैं —
1️⃣ अव्ययीभाव समास
2️⃣ तत्पुरुष समास
3️⃣ कर्मधारय समास
4️⃣ द्वंद्व समास
5️⃣ बहुव्रीहि समास
6️⃣ द्विगु समास
प्रश्न 4. Samas ki Paribhasha Pehchanne ke Niyam क्या हैं?
जहाँ दो या अधिक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं और विभक्ति हट जाती है, वहाँ समास होता है।
उदाहरण: “राम का वन” → रामवन
प्रश्न 5.Tatpurush Samas ki Paribhasha का उदाहरण क्या है?
“राजा का पुत्र” → राजपुत्र
यह तत्पुरुष समास है क्योंकि इसमें “राजा” और “पुत्र” मिलकर नया शब्द बनाते हैं।
प्रश्न 6.Dvandva Samas ki Paribhasha कैसे पहचानें?
जब दोनों शब्द समान महत्त्व के हों और किसी समूह या जोड़ी का बोध कराएँ, तो वह द्वंद्व समास होता है।
उदाहरण: “माता-पिता”, “दिन-रात”
प्रश्न 7. Bahuvrihi Samas ki Paribhasha का अर्थ बताइए।
जिसमें बने शब्द का अर्थ उसके अंगों से अलग हो, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
उदाहरण: “नीलकंठ” = नीला कंठ वाला (भगवान शिव)
प्रश्न 8. Samas ka Mahatva क्या है?
समास भाषा को संक्षिप्त, सुंदर और प्रभावशाली बनाता है।
यह वाक्यों को छोटा और अर्थपूर्ण बनाता है।
उदाहरण: “सूर्य की किरणें” → सूर्यकिरणें
प्रश्न 9. समास और संधि में क्या अंतर है?
| तुलना बिंदु | समास (Samas) | संधि (Sandhi) |
|---|---|---|
| परिभाषा | दो शब्दों के मिलने से नया अर्थ बनता है | दो वर्णों के मिलने से ध्वनि परिवर्तन होता है |
| उदाहरण | राजा + पुत्र = राजपुत्र | रमा + ईश्वर = रमेश्वर |
⚠️ अस्वीकरण
यह लेख केवल शैक्षणिक और शिक्षण उद्देश्य के लिए लिखा गया है।
सभी उदाहरण और परिभाषाएँ व्याकरणिक अध्ययन के संदर्भ में दी गई हैं।
किसी भी शैक्षणिक बोर्ड या परीक्षा के लिए प्रयोग करने से पहले संबंधित स्रोतों से सत्यापन करना उचित रहेगा।
