परिचय
कल्पना कीजिए—आप कक्षा में बैठे हैं, और शिक्षक छंद-विभाग पढ़ा रहे हैं। वे एक सुंदर पंक्ति बोलते हैं:
“फूलों की राहों में आई बहार।”
लय ऐसी कि मन खुद-ब-खुद उसे दोहराने लगे।
हिंदी और ब्रज काव्य में ऐसी ही सहज, सुगठित, सरल और सुंदर लय देने वाला छंद है Rola Chhand।यह छंद अपनी मधुरता, सरलता और संतुलित मात्राओं के कारण आज भी कवियों, प्रतियोगिता परीक्षार्थियों और साहित्य प्रेमियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
Rola Chhand Ki Paribhasha
Rola Chhand वह वर्णिक छंद है जिसमें प्रत्येक चरण में कुल 20 मात्राएँ होती हैं और 11वीं मात्रा के बाद एक लघु विराम (यति) दिया जाता है।
इसे सरल शब्दों में ऐसे समझें:
20 मात्राओं का छंद + 11वीं मात्रा पर यति = रोला छंद
इसका प्रयोग ब्रजभाषा और हिंदी काव्य में विशेष रूप से वीर रस, श्रृंगार रस और भक्ति काव्य में किया जाता है।
सारणीबद्ध परिभाषा
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| छंद का प्रकार | वर्णिक (मात्रा-आधारित) |
| कुल मात्राएँ | 20 मात्रा प्रति चरण |
| यति (ठहराव) | 11वीं मात्रा के बाद |
| लोकप्रिय उपयोग | वीर, श्रृंगार, भक्ति, लोकगीत |
| भाषा | हिंदी, ब्रज |
रोला छंद के प्रकार (Rola Chhand Ke Prakar)
हालाँकि Rola Chhand सीधे-सीधे 20 मात्राओं पर आधारित होता है, फिर भी रचना-शैली और भाषिक प्रवाह के आधार पर इसे दो श्रेणियों में समझा जा सकता है:
| प्रकार | विवरण |
|---|---|
| शुद्ध रोला | 20 मात्राएँ + 11वीं पर निश्चित यति |
| मिश्रित रोला | रोला + दोहा/कवित्त जैसी शैली का मिश्रित प्रयोग |
रोला छंद पहचानने के नियम (Rola Chhand Pehchanne Ke Niyam)
1. प्रत्येक चरण में कुल 20 मात्राएँ होती हैं (सबसे महत्वपूर्ण नियम)
रोला छंद की सबसे बड़ी पहचान है—
हर लाइन/चरण में ठीक 20 मात्राएँ होंगी।
मात्राएँ गिनते समय:
-
लघु = 1 मात्रा (जैसे: इ, उ, ऋ, स, म, न, क आदि कई व्यंजन)
-
गुरु = 2 मात्राएँ (आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ आदि)
यदि किसी पंक्ति में 20 से कम या ज़्यादा मात्राएँ हैं, वह रोला छंद नहीं है।
उदाहरण:किसान चला खेत की राह
इसमें ठीक 20 मात्राएँ बनती हैं (गिनने पर स्पष्ट हो जाएगा)।
2. 11वीं मात्रा के बाद यति (ठहराव)
रोला छंद में 11वीं मात्रा के बाद एक हल्का विराम दिया जाता है।
इसे ऐसे समझें:
इससे पंक्ति में एक सुंदर लय बनती है।
उदाहरण:
किसान चला खेत की | राह (यति यहाँ होगी)
(पहले हिस्से में 11 मात्राएँ, बाद में 9 मात्राएँ)
3. भाषा सहज और सरल होती है
रोला छंद को पढ़ते समय प्रवाह बहुत smooth महसूस होता है।
इसमें सामान्यतः कठिन, बहुत लंबे या विसंगत शब्दों का प्रयोग कम होता है।
यह इसकी पहचान को आसान बनाता है।
4. लय और गति समान रहती है
रोला छंद पढ़ते समय एक तालबद्ध गति स्वाभाविक रूप से बनती है।
हर पंक्ति एक जैसी लय में बहती है:
यह लय सुनते ही अनुभवी विद्यार्थी तुरंत पहचान लेते हैं कि यह रोला है।
5. पंक्तियों की लंबाई न समान दिखती है, लेकिन मात्राएँ समान होती हैं
कई बार शब्द छोटे-बड़े होने के कारण पंक्ति लंबी या छोटी दिख सकती है,
लेकिन मात्रा-गणना हमेशा 20 ही रहती है।
इसलिए केवल शब्द देखकर नहीं,
मात्राएँ गिनकर ही निश्चित रूप से पहचान होती है।
6. अधिकांश रोला छंद में सरल लोकभाषा या ब्रज-शैली दिखती है
क्योंकि यह छंद लोकगीतों, भक्ति गीतों और वीर रस में ज्यादा मिलता है,
इसलिए भाषा सहज एवं बोलचाल के करीब रहती है।
यह भी पहचान का संकेत है (हालाँकि यह अनिवार्य नियम नहीं है)।
7. पंक्ति के मध्य में अचानक “टूटन” न दिखे
रोला में यति हल्की और स्वाभाविक होती है।
यदि पंक्ति बीच में अचानक बहुत बड़ा ठहराव दिखे,
तो वह रोला नहीं, कोई अन्य छंद हो सकता है।
✔ आसान ट्रिक
अगर आपको छंद पहचानना कठिन लगता है, तो बस ये 2 बातें जाँचें:
(1) क्या पंक्ति में 20 मात्राएँ हैं?
(2) क्या 11वीं मात्रा के बाद हल्का ठहराव (यति) मिलता है?
अगर दोनों “हाँ” हैं → वह रोला छंद है।
रोला छंद के 25 उदाहरण (Rola Chhand Ke 20 Udaharan)
| क्रमांक | Rola Chhand का उदाहरण (20 मात्राएँ) | मात्रा संरचना (11 + 9) |
|---|---|---|
| 1 | किसान चला खेत की राह | 11 + 9 |
| 2 | सूरज उगा पर्वत की चोटी | 11 + 9 |
| 3 | पावन हवा घाट पे आई | 11 + 9 |
| 4 | भक्त झुका मंदिर के आगे | 11 + 9 |
| 5 | गंगा बही निर्मल सी धारा | 11 + 9 |
| 6 | बालक पढ़े उत्साह से भरकर | 11 + 9 |
| 7 | पंछी उड़े नभ के उस पार | 11 + 9 |
| 8 | नदिया चली धीरे-धीरे आगे | 11 + 9 |
| 9 | वीर बढ़ा रणभूमि की ओर | 11 + 9 |
| 10 | माता ने दी आशीष हमें | 11 + 9 |
| 11 | दीप जले अमावस की रात | 11 + 9 |
| 12 | मन लगाओ शिक्षा में सारे | 11 + 9 |
| 13 | सागर उठा लहरें पछाड़े | 11 + 9 |
| 14 | बादल चले बरसात लिए | 11 + 9 |
| 15 | किसान बोए सोने-सी फसल | 11 + 9 |
| 16 | कली खिली उपवन की शोभा | 11 + 9 |
| 17 | भोर हुई जीवन में उजाला | 11 + 9 |
| 18 | नेत्र खुलें सपनों की राहें | 11 + 9 |
| 19 | पर्वत खड़ा धीरज से भारी | 11 + 9 |
| 20 | भक्ति भरी मन को सुधारे | 11 + 9 |
| 21 | रथ दौड़ा रण में आगे | 11 + 9 |
| 22 | माया जगत देता है सीखें | 11 + 9 |
| 23 | बालक सजे नए वस्त्र लेकर | 11 + 9 |
| 24 | कोयल गाए मधुर तराने | 11 + 9 |
| 25 | जीवन चला कर्मों के बल पर | 11 + 9 |
रोला छंद का रूप-निर्माण (Rola Chhand Ka Rup Nirman)
रोला छंद किसी भी शब्द-भेद से बनाया जा सकता है, लेकिन उसकी मात्रा-गणना सबसे महत्वपूर्ण होती है।
1. संज्ञा से निर्माण
उदाहरण:
-
किसान + चला + खेत → मात्राओं का समायोजन करके रोला पंक्ति।
2. विशेषण से निर्माण
उदा:
-
सुंदर + पवन + बहती → 20 मात्राएँ बनाकर छंद रचना।
3. क्रिया से निर्माण
उदा:
-
चलता रहा योद्धा → मात्राएँ गिनकर रोला शैली में ढालना।
4. संयुक्त शब्दों का प्रयोग
कवि अक्सर संयुक्त शब्दों को विभाजित या विस्तारित करके 20 मात्राएँ पूर्ण करते हैं।
रूप निर्माण का उदाहरण
| स्रोत | मूल शब्द | रोला छंद में उपयोग (20 मात्राओं में ढालकर) |
|---|---|---|
| संज्ञा | किसान | किसान चला खेत की राह (20 मात्राएँ) |
| विशेषण | सुंदर | सुंदर पवन बहती आई (20 मात्राएँ) |
| क्रिया | चला | चला वीर रण में आगे (20 मात्राएँ) |
रोला छंद की संरचना :
हालाँकि लेख सरल होना चाहिए, फिर भी संरचना समझने के लिए यह आवश्यक है:
विशेषज्ञ राय
Rola Chhand शुरुआती विद्यार्थियों के लिए सबसे उपयुक्त छंदों में से एक है, क्योंकि:
-
इसकी संरचना सरल है
-
मात्रा-गणना स्पष्ट है
-
लय स्वाभाविक रूप से बन जाती है
-
अभ्यास से कुछ ही दिनों में विद्यार्थी इसे रच सकते हैं
यदि आप छंद-लेखन सीखना चाहते हैं, तो रोला छंद से शुरुआत करना आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
निष्कर्ष
Rola Chhand (रोला छंद) हिंदी कविता की वह मधुर धारा है जो पाठक को लय, ताल और सौंदर्य—सबका सुंदर अनुभव कराती है।
इसके नियम सरल हैं, पहचान आसान है, और रचना स्वाभाविक।
यदि आप नियमित अभ्यास करें, तो आप भी सुंदर रोला छंद की पंक्तियाँ आसानी से लिख सकते हैं।
सीखते रहें, रचते रहें—आपकी कविता अवश्य निखरेगी।
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प्रश्न–उत्तर
1. Rola Chhand क्या है?
Rola Chhand वह वर्णिक छंद है जिसमें प्रत्येक पंक्ति में 20 मात्राएँ और 11वीं मात्रा पर यति होती है।
2. रोला छंद में कुल कितनी मात्राएँ होती हैं?
हर चरण (लाइन) में ठीक 20 मात्राएँ होती हैं।
3. यति कहाँ दी जाती है?
11वीं मात्रा के बाद हल्की यति (ठहराव) दी जाती है।
4. Rola Chhand किस रस में अधिक मिलता है?
वीर, भक्ति, श्रृंगार और लोकगीत—सभी में रोला सहज मिलता है।
5. क्या रोला छंद ब्रजभाषा का है?
ब्रजभाषा में अधिक मिलता है, लेकिन हिंदी में भी सहज रूप से लिखा जाता है।
6. रोला छंद पहचानने का सबसे आसान तरीका क्या है?
मात्राएँ गिनें: 11 मात्रा → यति → 9 मात्रा। यदि 20 मात्राएँ पूर्ण हों तो यह रोला है।
7. क्या रोला छंद में कठिन शब्द चल सकते हैं?
बिल्कुल, परंतु सामान्यतः सरल और प्रवाहमयी शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
8. क्या विद्यार्थी Rola Chhand जल्दी सीख सकते हैं?
हाँ। इसकी संरचना सरल होने के कारण यह शुरुआती विद्यार्थियों के लिए सबसे आसान छंदों में से एक है।
9. रोला और दोहा में क्या अंतर है?
दोहा में 13 और 11 मात्राओं का क्रम होता है, जबकि रोला में 20 मात्राएँ + 11वीं यति होती है।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शिक्षण और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। साहित्यिक उदाहरण सरलता हेतु बनाए गए हैं और किसी विशिष्ट कवि से संबंधित नहीं हैं।
