परिचय
कभी आपने ऐसे शब्द सुने हैं — पंचवटी, त्रिलोकी, या द्वारपाल?
ये शब्द सुनने में जितने सुंदर हैं, उतने ही दिलचस्प हैं उनके भीतर छिपे व्याकरणिक रहस्य!
हिंदी व्याकरण में ऐसे शब्द, जिनमें संख्या या मात्रावाचक शब्द पहले और संज्ञा बाद में आती है, उन्हें हम कहते हैं — द्विगु समास (Dvigu Samas)।
Dvigu Samas Ki Paribhasha
द्विगु समास वह समास होता है जिसमें पहला पद संख्या या परिमाण (जैसे — एक, दो, तीन, पाँच, अनेक आदि) को प्रकट करता है और दूसरा पद संज्ञा होती है।
समास बनने पर दोनों पद मिलकर एक नए अर्थ वाला शब्द बनाते हैं।
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| समास का नाम | द्विगु समास |
| पहले पद का प्रकार | संख्या या परिमाणवाचक शब्द |
| दूसरे पद का प्रकार | संज्ञा |
| अर्थ | दोनों पदों से मिलकर नया अर्थ उत्पन्न होता है |
| उदाहरण | पंचवटी (पाँच + वटी = पाँच पेड़ों वाला स्थान) |
📖 सरल शब्दों में:
जब किसी शब्द के पहले भाग में संख्या (जैसे — एक, दो, तीन, पाँच, सौ, अनेक) और दूसरे भाग में कोई संज्ञा होती है, तो वह द्विगु समास (Dvigu Samas)कहलाता है।
द्विगु समास के प्रकार (Dvigu Samas Ke Prakar)
1️⃣ समाहार द्विगु समास (Samāhār Dvigu Samas)
2️⃣ उत्तरपद प्रधान द्विगु समास (Uttarapad Pradhan Dvigu Samas)
1. समाहार द्विगु समास (Samāhār Dvigu Samas)
जब द्विगु समास से बना शब्द किसी समूह, संख्यात्मक संग्रह या संपूर्णता (whole) को व्यक्त करता है, और उसका अर्थ समूह रूप में एकवचन होता है, तब उसे समाहार द्विगु समास कहते हैं।
अर्थात —
पहले पद में संख्या या परिमाण और दूसरे पद में संज्ञा होती है,
और दोनों मिलकर एक पूरे समूह का बोध कराते हैं।
मुख्य लक्षण (Features):
-
पहले पद में संख्या या परिमाणवाचक शब्द होता है।
-
दूसरा पद सामान्यतः संज्ञा होता है।
-
पूरे शब्द का अर्थ “संपूर्ण समूह” या “एक इकाई के रूप में समाहार” होता है।
-
यह सामान्यतः तत्पुरुष समास के अंतर्गत माना जाता है।
-
ऐसे शब्द एकवचन अर्थ देते हैं, भले ही उनमें बहुवचन संख्या हो।
उदाहरण (Examples):
| Dvigu Samas | विग्रह रूप | अर्थ | प्रकार |
|---|---|---|---|
| त्रिलोकी | तीन + लोक | तीनों लोकों का समूह | समाहार द्विगु समास |
| पंचवटी | पाँच + वटी (वृक्ष) | पाँच पेड़ों का एक स्थान | समाहार द्विगु समास |
| दशद्वार | दस + द्वार | दस द्वारों वाला एक स्थान | समाहार द्विगु समास |
| त्रिनेत्र | तीन + नेत्र | तीन नेत्रों वाला (एक व्यक्ति) | समाहार द्विगु समास |
| शतपदी | सौ + पाद | सौ पैरों वाला एक प्राणी | समाहार द्विगु समास |
📖 स्पष्टीकरण:
यहाँ “तीन लोक”, “पाँच वृक्ष”, “दस द्वार” आदि मिलकर एक ही इकाई का अर्थ दे रहे हैं —
इसलिए यह समाहार (समूह सूचक) द्विगु समास है।
2. उत्तरपद प्रधान द्विगु समास (Uttarapad Pradhan Dvigu Samas)
जब द्विगु समास में दूसरा पद (संज्ञा) ही मुख्य अर्थ रखता है और पहला पद (संख्या) केवल उसकी विशेषता या सीमा बताता है, तब वह उत्तरपद प्रधान द्विगु समास कहलाता है।
यानी —
जब किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की विशेषता बताने के लिए संख्या शब्द प्रयोग हो, और मुख्य भाव दूसरे पद में रहे, तो वह उत्तरपद प्रधान द्विगु समास होता है।
मुख्य लक्षण (Features):
-
पहले पद में संख्या होती है, लेकिन उसका अर्थ गौण होता है।
-
दूसरे पद का अर्थ प्रमुख होता है।
-
शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु या समूह की विशेषता या गुण का बोध होता है।
-
यह सामान्यतः बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आता है।
-
ऐसे शब्दों में “जिसका” या “वाले का” भाव छिपा रहता है।
उदाहरण (Examples):
| द्विगु समास | विग्रह रूप | अर्थ | प्रकार |
|---|---|---|---|
| त्रिलोकपति | तीन लोकों का पति | तीनों लोकों का स्वामी | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
| सप्तर्षि | सात ऋषियों वाला समूह | सात महान ऋषि | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
| त्रिदेव | तीन देव | ब्रह्मा, विष्णु, महेश | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
| द्विगुणित | दो गुना किया हुआ | दो गुना बढ़ा हुआ | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
| त्रिशिरा | तीन सिरों वाला | तीन सिरों वाला व्यक्ति | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
📖 स्पष्टीकरण:
यहाँ मुख्य अर्थ “पति”, “ऋषि”, “देव”, “गुणित” आदि शब्दों में है।
संख्या केवल उनकी विशेषता बता रही है।
इसलिए यह उत्तरपद प्रधान द्विगु समास कहलाता है।
समाहार द्विगु समास और उत्तरपद प्रधान द्विगु समास में अंतर
| क्रम | आधार | समाहार द्विगु समास | उत्तरपद प्रधान द्विगु समास |
|---|---|---|---|
| 1 | प्रधान पद | पहला पद (संख्या) का अर्थ समूह रूप में प्रधान | दूसरा पद (संज्ञा) का अर्थ प्रधान |
| 2 | अर्थ | समूह या संपूर्णता का बोध | विशेषता या गुण का बोध |
| 3 | पद का प्रकार | तत्पुरुष समास | बहुव्रीहि समास |
| 4 | प्रयोग | समूह को एक इकाई के रूप में दिखाना | किसी व्यक्ति/वस्तु की विशेषता बताना |
| 5 | अर्थ में भाव | “का समूह”, “का संग्रह” | “जिसका”, “वाले का” |
| 6 | उदाहरण | त्रिलोकी, पंचवटी, दशद्वार | त्रिलोकपति, सप्तर्षि, त्रिदेव |
सरल याद रखने का तरीका (Easy Trick to Remember)
🔹 यदि अर्थ “का समूह” या “का संग्रह” हो → समाहार द्विगु समास।
🔹 यदि अर्थ “जिसका” या “वाले का” हो → उत्तरपद प्रधान द्विगु समास।
द्विगु समास को पहचानने के नियम (Dvigu Samas Ko Pehchanne Ke Niyam)
Dvigu Samas को पहचानना बहुत आसान है यदि आप नीचे दिए ट्रिक्स याद रखें
नियम 1: पहले पद में संख्या या परिमाणवाचक शब्द हो
यह सबसे पहला संकेत है कि वह द्विगु समास हो सकता है।
| संख्या शब्द | उदाहरण |
|---|---|
| एक | एकपद, एकनाथ |
| दो | द्वारपाल, द्विगुणित |
| तीन | त्रिलोकी, त्रिदेव |
| पाँच | पंचवटी |
| सात | सप्तर्षि |
| दस | दशमुख |
| सौ | शतपदी |
अगर शब्द का पहला भाग “संख्या” बता रहा है — त्रि, द्वि, सप्त, दश, एक, शत — तो 90% संभावना है कि वह द्विगु समास है।
नियम 2: दूसरा पद संज्ञा या विशेषण होता है
दूसरा शब्द आमतौर पर किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या गुण को बताता है।
👉 यह संज्ञा या विशेषण हो सकता है।
उदाहरण:
-
त्रिलोकी → लोक = संज्ञा
-
त्रिनेत्र → नेत्र = संज्ञा
-
द्विगुणित → गुणित = विशेषण
नियम 3: दोनों पद मिलकर एक नया अर्थ देते हैं
द्विगु समास में बने शब्दों का अर्थ सीधे जोड़ने से नहीं, बल्कि संयुक्त अर्थ से समझ आता है।
उदाहरण:
-
पंचवटी → पाँच + वटी (पेड़) → पाँच पेड़ों वाला स्थान
-
त्रिलोकी → तीन + लोक → तीनों लोकों का समूह
इसलिए जब दो शब्द मिलकर एक नई संज्ञा या संकल्पना बनाते हैं, तो वह द्विगु समास होता है।
नियम 4: पदों के बीच “का, की, के, वाला” जैसे शब्द छिपे रहते हैं
समास बनने पर वाक्य के बीच का संबंधसूचक शब्द हट जाता है, पर अर्थ वही रहता है।
| समास | छिपा संबंध | अर्थ |
|---|---|---|
| त्रिलोकी | तीन लोकों का समूह | तीन लोक |
| द्विगुणित | दो गुना किया हुआ | दो गुणा बढ़ा हुआ |
| पंचवटी | पाँच वृक्षों वाला स्थान | पाँच पेड़ों वाला स्थान |
नियम 5: द्विगु समास का अर्थ “संख्या-आधारित” होता है
हर द्विगु समास में संख्या ही मूल अर्थ का केंद्र होती है।
यह किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान की संख्या, मात्रा या परिमाण बताती है।
उदाहरण:
-
त्रिदेव → तीन देव
-
सप्तर्षि → सात ऋषि
-
द्विगुणित → दो गुना
नियम 6: यह तत्पुरुष या बहुव्रीहि समास के रूप में पाया जाता है
द्विगु समास कोई स्वतंत्र वर्ग नहीं, बल्कि यह तत्पुरुष या बहुव्रीहि समास का रूप ले सकता है।
| प्रकार | विशेषता | उदाहरण |
|---|---|---|
| समाहार द्विगु (तत्पुरुष) | समूह या एकवचन अर्थ देता है | त्रिलोकी, पंचवटी |
| उत्तरपद प्रधान द्विगु (बहुव्रीहि) | व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताता है | त्रिलोकपति, सप्तर्षि |
नियम 7: द्विगु समास का अर्थ एकवचन होता है (समाहार रूप में)
भले ही पहले पद में बहुवचन संख्या हो, लेकिन पूरा शब्द एकवचन अर्थ देता है।
उदाहरण:
-
त्रिलोकी → तीन लोकों का एक समूह (एकवचन अर्थ)
-
पंचवटी → पाँच वृक्षों वाला एक स्थान
नियम 8: द्विगु समास का प्रयोग विशेषण के रूप में भी होता है
कई बार द्विगु समास किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता बताने के लिए विशेषण रूप में प्रयोग होता है।
उदाहरण:
-
त्रिनेत्र शिव — तीन नेत्रों वाले शिव
-
दशमुख रावण — दस मुखों वाला रावण
द्विगु समास के 20 उदाहरण (Dvigu Samas ke 20 Udaharan)
| क्रमांक | द्विगु समास | विग्रह (अर्थ) | प्रकार |
|---|---|---|---|
| 1 | त्रिलोकी | तीन लोकों का समूह | समाहार द्विगु |
| 2 | पंचवटी | पाँच पेड़ों वाला स्थान | समाहार द्विगु |
| 3 | सप्तर्षि | सात ऋषि | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 4 | द्विगुणित | दो गुना किया हुआ | समाहार द्विगु |
| 5 | दशमुख | दस मुखों वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 6 | त्रिनेत्र | तीन नेत्रों वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 7 | शतपदी | सौ पैरों वाला जीव (जैसे कनखजूरा) | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 8 | द्वारपाल | दो द्वारों की रखवाली करने वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 9 | त्रिदेव | तीन देवताओं का समूह | समाहार द्विगु |
| 10 | सप्तसागर | सात सागरों का समूह | समाहार द्विगु |
| 11 | त्रिभुवन | तीनों भुवनों का समूह | समाहार द्विगु |
| 12 | द्विरथ | दो रथों से युक्त | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 13 | त्रिपथगा | तीन मार्गों में बहने वाली (गंगा) | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 14 | द्विज | दो बार जन्मा हुआ (ब्राह्मण या पक्षी) | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 15 | पंचमुखी | पाँच मुखों वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 16 | त्रिकालज्ञ | तीनों कालों को जानने वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 17 | द्विचक्षु | दो आँखों वाला | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 18 | त्रिचक्र | तीन पहियों वाला (वाहन) | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 19 | द्विपद | दो पैरों वाला (मनुष्य) | उत्तरपद प्रधान द्विगु |
| 20 | एकवचन | एक ही वचन | समाहार द्विगु |
द्विगु समास का रूप निर्माण (Dvigu Samas Ka Roop Nirman)
✳️ रूप निर्माण की प्रक्रिया:
| चरण | विवरण |
|---|---|
| 1️⃣ | पहले एक संख्या या परिमाणवाचक शब्द लें (जैसे — एक, दो, तीन, पाँच, सौ)। |
| 2️⃣ | इसके बाद एक संज्ञा जोड़ें (जैसे — लोक, देव, पुरुष, वृक्ष)। |
| 3️⃣ | दोनों शब्द मिलाकर नया शब्द बनाएं — जिसका अर्थ संयुक्त हो। |
उदाहरण:
-
तीन + लोक → त्रिलोकी
-
पाँच + वटी → पंचवटी
-
सात + ऋषि → सप्तर्षि
🪔 इस प्रकार:
संख्या/परिमाण + संज्ञा = द्विगु समास शब्द
विशेषज्ञ राय
द्विगु समास (Dvigu Samas)छात्रों के लिए सबसे दिलचस्प समासों में से एक है, क्योंकि यह संख्या और संज्ञा को जोड़कर नए अर्थ की सृष्टि करता है।
यदि विद्यार्थी संख्या शब्दों को याद रखें तो वे आसानी से द्विगु समास की पहचान कर सकते हैं।
यह समास भाषा को सजीव, संक्षिप्त और सौंदर्यपूर्ण बनाता है।
द्विगु समास का महत्व (Dvigu Samas Ka Mahatva)
-
यह समास संख्या आधारित संरचना को समझने में मदद करता है।
-
शब्दों के संक्षिप्तीकरण और सौंदर्य में सहायक होता है।
-
संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में इसका प्रयोग व्यापक है।
-
कविता, निबंध और साहित्य में अभिव्यक्ति की गहराई लाने में मदद करता है।
-
प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे — UPSC, SSC, CTET) में Dvigu Samas से प्रश्न पूछे जाते हैं।
द्विगु समास बनाम अन्य समास
| समास का नाम | पहले पद का प्रकार | दूसरे पद का प्रकार | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| द्वंद्व समास | समानार्थी शब्द | समानार्थी शब्द | माता-पिता |
| तत्पुरुष समास | विशेषण/संज्ञा | संज्ञा | जलपान |
| कर्मधारय समास | विशेषण | संज्ञा | नीलकमल |
| द्विगु समास | संख्या | संज्ञा | पंचवटी |
निष्कर्ष
Dvigu Samas (द्विगु समास) हिंदी व्याकरण का वह रत्न है, जो संख्या और संज्ञा के मेल से नया, सुंदर और अर्थपूर्ण शब्द बनाता है।
यह न केवल भाषा को संक्षिप्त बनाता है बल्कि उसके सौंदर्य को भी बढ़ाता है।
“संख्या शब्दों की पहचान करें, उनके साथ संज्ञा जोड़ने का अभ्यास करें,
तो द्विगु समास आपको खेल की तरह सरल लगेगा!”
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FAQs: द्विगु समास (Dvigu Samas) से जुड़े सामान्य प्रश्न
प्रश्न 1. द्विगु समास किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह समास जिसमें पहला पद संख्या या परिमाणवाचक शब्द होता है और दूसरा पद संज्ञा या विशेषण होता है, उसे द्विगु समास (Dvigu Samas) कहते हैं।
जैसे — त्रिलोकी (तीन लोकों का समूह), पंचवटी (पाँच पेड़ों वाला स्थान)।
प्रश्न 2. द्विगु समास को कैसे पहचाना जाता है?
उत्तर:
यदि किसी शब्द का पहला भाग संख्या-सूचक (त्रि, द्वि, सप्त, शत, दश) हो और दूसरा भाग संज्ञा या विशेषण, तो वह द्विगु समास होता है।
जैसे — त्रिनेत्र, दशमुख, द्विगुणित।
प्रश्न 3. द्विगु समास के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
द्विगु समास के दो प्रकार होते हैं —
-
समाहार द्विगु समास — जिसमें समूह या एकवचन अर्थ होता है।
-
उत्तरपद प्रधान द्विगु समास — जिसमें दूसरे पद का अर्थ प्रधान होता है और वह किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताता है।
प्रश्न 4. समाहार द्विगु समास का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
त्रिलोकी — “तीन लोकों का समूह”
यहाँ “त्रि” (तीन) संख्या है और “लोक” संज्ञा है। दोनों मिलकर “तीन लोकों का समूह” अर्थ देते हैं।
प्रश्न 5. उत्तरपद प्रधान द्विगु समास का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
त्रिनेत्र — “तीन नेत्रों वाला”
यहाँ “त्रि” (तीन) और “नेत्र” (आँख) मिलकर एक विशेषण रूप में प्रयोग हुए हैं।
यह उत्तरपद प्रधान द्विगु समास है।
प्रश्न 6. Dvigu Samas किन-किन शब्दों से बन सकता है?
उत्तर:
द्विगु समास प्रायः संख्या-सूचक शब्दों से बनता है —
जैसे: एक, द्वि, त्रि, चतु, पंच, षट्, सप्त, अष्ट, नव, दश, शत आदि।
उदाहरण: द्विपद, त्रिलोकी, सप्तर्षि, दशमुख, शतपदी।
प्रश्न 7. क्या द्विगु समास तत्पुरुष समास का भाग है?
उत्तर:
द्विगु समास स्वतंत्र वर्ग नहीं है।
यह कभी तत्पुरुष (समाहार रूप में) और कभी बहुव्रीहि समास (उत्तरपद प्रधान रूप में) के अंतर्गत आता है।
प्रश्न 8. Dvigu Samas का प्रयोग कहाँ-कहाँ होता है?
उत्तर:
द्विगु समास का प्रयोग —
हिंदी व्याकरण, कविता, साहित्य और संस्कृतनिष्ठ शब्दों में व्यापक रूप से होता है।
यह शब्दों को संक्षिप्त, सुंदर और अर्थपूर्ण बनाता है।
जैसे — त्रिलोकीनाथ (तीनों लोकों के स्वामी), द्विगुणित (दो गुना) आदि।
⚖️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है।
सभी जानकारी का स्रोत मानक हिंदी व्याकरण ग्रंथ, शैक्षणिक वेबसाइटें और भाषा विशेषज्ञों की राय है।
