परिचय
क्या आपने कभी किसी को “लाल आंखों वाला” या “तीक्ष्ण बुद्धि वाला” कहते सुना है?
अगर हाँ, तो जानिए — ऐसे शब्द Bahuvrihi Samas (बहुव्रीहि समास) के उदाहरण हैं।
हिंदी व्याकरण की दुनिया में, यह समास अपनी खास जगह रखता है। यह केवल दो शब्दों को जोड़ता नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, विशेषता या अवस्था को रोचक ढंग से व्यक्त करता है।
Bahuvrihi Samas Ki Paribhasha
Bahuvrihi Samas वह समास है, जिसमें बने हुए शब्द का अर्थ उसके किसी भी पद से नहीं निकलता, बल्कि किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या जीव की विशेषता बताता है।
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| समास का नाम | बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) |
| पदों की संख्या | दो या अधिक |
| अर्थ | दोनों पदों से भिन्न तीसरे व्यक्ति या वस्तु की विशेषता |
| लक्षण | गुण, अवस्था या पहचान दर्शाने वाला |
| प्रमुख शब्द प्रकार | विशेषण + संज्ञा या संज्ञा + संज्ञा |
उदाहरण:
“नीलकंठ” — यहाँ “नील” (नीला) + “कंठ” (गला) = “जिसका गला नीला है” → यह शिव जी के लिए प्रयोग होता है।
यह शब्द “नील” या “कंठ” का नहीं, बल्कि तीसरे व्यक्ति (शिव) का बोध कराता है।
इसलिए यह बहुव्रीहि समास है।
बहुव्रीहि समास के प्रकार ( Bahuvrihi Samas Ke Prakar):
1. समानाधिकरण बहुव्रीहि समास (Samanadhikaran Bahuvrihi Samas)
जब समास के दोनों पद (शब्द) एक ही वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं —
अर्थात् दोनों पदों में समान अधिकार (समान स्तर) होता है,
तो वह समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहलाता है।
🔹 उदाहरण:
राजर्षि = राजा + ऋषि → राजा और ऋषि दोनों गुणों वाला व्यक्ति
🔹 वाक्य उदाहरण:
“राजर्षि विश्वामित्र ने महान तपस्या की।”
यहाँ “राजर्षि” शब्द राजा और ऋषि दोनों गुणों वाले व्यक्ति को दर्शा रहा है।
🔹 पहचान:
-
दोनों शब्द एक ही व्यक्ति से जुड़े हों।
-
दोनों शब्दों के बीच “और” जोड़ने पर भी अर्थ स्पष्ट रहे।
जैसे — “राजा और ऋषि वाला व्यक्ति” → राजर्षि
2. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास (Tulyayog Bahuvrihi Samas)
जब समास के दोनों पद समान रूप से जुड़े हों और मिलकर किसी समूह या जोड़ी का बोध कराएँ,
तो उसे तुल्ययोग बहुव्रीहि समास कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
नरनारी = नर + नारी → जिसमें नर और नारी दोनों हों
🔹 वाक्य उदाहरण:
“मंदिर में नरनारी सभी भक्त दर्शन के लिए आए।”
यहाँ “नरनारी” शब्द पुरुष और स्त्री दोनों के समूह का बोध करा रहा है।
🔹 पहचान:
-
दोनों शब्दों का समान महत्व हो।
-
जोड़ने पर “और” का अर्थ स्पष्ट हो —
जैसे “नर और नारी” → नरनारी
3. व्याधिकरण बहुव्रीहि समास (Vyadhikaran Bahuvrihi Samas)
जब पहले पद का संबंध दूसरे पद से विशेषण–विशेष्य के रूप में हो
और पूरा शब्द किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु को दर्शाए,
तो उसे व्याधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
नीलकण्ठ = नील (नीला) + कण्ठ (गला) → जिसका कण्ठ नीला हो
🔹 वाक्य उदाहरण:
“नीलकण्ठ शिव भगवान का एक नाम है।”
यहाँ “नीलकण्ठ” शब्द शिव का बोध करा रहा है, न कि केवल कण्ठ का।
🔹 पहचान:
-
पहला पद विशेषण होता है।
-
दूसरा पद विशेष्य होता है।
-
पूरा शब्द किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयुक्त होता है।
4. प्रादी बहुव्रीहि समास (Pradi Bahuvrihi Samas)
जब समास के पहले पद में प्रादि उपसर्ग (जैसे उप, प्रति, परा, अप, अनु आदि) जुड़ा हो,
तो वह प्रादी बहुव्रीहि समास कहलाता है।
🔹 उदाहरण:
उपमुख = उप (नीचे) + मुख → जिसका मुख नीचे की ओर हो
🔹 वाक्य उदाहरण:
“उपमुख व्यक्ति विनम्र स्वभाव का होता है।”
यहाँ “उपमुख” व्यक्ति के सिर के झुके होने (विनम्रता) का बोध कराता है।
🔹 पहचान:
-
पहले पद में कोई उपसर्ग (prefix) हो — जैसे उप, प्रति, परा, अप, अनु आदि।
-
पूरे शब्द से किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु का बोध हो।
5. व्यतिहार बहुव्रीहि समास (Vyatihara Bahuvrihi Samas)
जब समास के दोनों पदों में विरोध या विपरीतता का भाव हो,
और वे मिलकर किसी तीसरे अर्थ का बोध कराएँ,
तो उसे व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहा जाता है।
🔹 उदाहरण:
दिनरात्रि = दिन + रात्रि → जिसमें दिन और रात दोनों हों
🔹 वाक्य उदाहरण:
“वह दिनरात्रि परिश्रम करता है।”
यहाँ “दिनरात्रि” शब्द का अर्थ है — लगातार, हर समय
🔹 पहचान:
-
दोनों शब्द विपरीत अर्थ वाले हों।
-
जोड़ने पर नया अर्थ बने (सिर्फ जोड़ नहीं)।
-
जैसे — “दिन और रात्रि” → दिनरात्रि (हर समय)
संक्षेप में पुनरावलोकन तालिका:
| प्रकार | उदाहरण | अर्थ | पहचान |
|---|---|---|---|
| समानाधिकरण | राजर्षि | राजा और ऋषि दोनों गुणों वाला | दोनों पद एक ही व्यक्ति के |
| तुल्ययोग | नरनारी | नर और नारी दोनों | दोनों का समान महत्व |
| व्याधिकरण | नीलकण्ठ | जिसका कण्ठ नीला हो | विशेषण + विशेष्य |
| प्रादी | उपमुख | जिसका मुख नीचे हो | पहले पद में उपसर्ग |
| व्यतिहार | दिनरात्रि | दिन और रात दोनों का भाव | विरोधी शब्दों का योग |
बहुव्रीहि समास पहचानने के नियम (Bahuvrihi Samas Pehchanne Ke Niyam):
नियम 1: अर्थ तीसरे व्यक्ति या वस्तु से निकलता है
यह बहुव्रीहि समास की सबसे बड़ी पहचान है।
समास के दोनों पदों का अर्थ किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या जीव की विशेषता बताता है।
उदाहरण:
-
“नीलकंठ” → नील + कंठ → जिसका गला नीला है (शिव जी)
यहाँ शब्द “नील” या “कंठ” का नहीं, बल्कि तीसरे व्यक्ति (शिव) का बोध कराता है।
इसलिए यह बहुव्रीहि समास है।
नियम 2: समास पदों से अलग अर्थ निकलता है
दोनों पदों को अलग-अलग अर्थ में समझने पर जो नया अर्थ बनता है,
वह उन दोनों से अलग और किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताता है।
उदाहरण:
-
“दरिद्रहृदय” → दरिद्र (कठोर) + हृदय (मन)
→ जिसका हृदय कठोर है।
यह “दरिद्र” या “हृदय” नहीं, बल्कि एक तीसरे व्यक्ति का बोध देता है।
नियम 3: “वाला”, “युक्त”, “धारी” जैसे शब्द जोड़ने पर अर्थ बने
बहुव्रीहि समास में अक्सर “वाला”, “युक्त”, “धारी”, “संपन्न” शब्द जोड़कर अर्थ आसानी से समझा जा सकता है।
उदाहरण:
-
नीलकंठ → “नीला गला वाला”
-
जटाधर → “जटा धारी”
-
त्रिलोचन → “तीन नेत्रों वाला”
-
विशालहृदय → “बड़े दिल वाला”
अगर इस तरह “वाला / युक्त / धारी” जोड़ने पर अर्थ बने, तो समझिए यह बहुव्रीहि समास है।
नियम 4: अर्थ विशेषण के रूप में प्रयोग होता है
बहुव्रीहि समास के शब्द अधिकतर विशेषण (Adjective) की तरह प्रयोग होते हैं —
जो किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण को बताते हैं।
उदाहरण:
-
“सुवर्णकाय योद्धा युद्ध में उतरा।”
→ “सुवर्णकाय” शब्द योद्धा की विशेषता बता रहा है।
इसलिए यह बहुव्रीहि समास है।
नियम 5: समास पदों में प्रधानता किसी एक पद की नहीं होती
यहाँ दोनों पद समान रूप से सहायक होते हैं —
क्योंकि दोनों मिलकर एक नई पहचान बनाते हैं।
उदाहरण:
-
“चतुरानन” → “चार मुख वाला” (ब्रह्मा जी)
यहाँ “चतुर” या “आनन” अकेले अर्थपूर्ण नहीं, बल्कि दोनों मिलकर तीसरे व्यक्ति का बोध कराते हैं।
नियम 6: पदों के बीच “का / की / के” संबंध नहीं होता
तत्पुरुष समास में “का / की / के” संबंध होता है,
लेकिन Bahuvrihi Samas में ऐसा संबंध नहीं होता।
उदाहरण:
-
“रामभक्त” → राम का भक्त → (तत्पुरुष समास)
-
“नीलकंठ” → नीला गला वाला → (बहुव्रीहि समास )
नियम 7: विशेषता या गुण का बोध होता है
अगर बने हुए शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता, अवस्था या गुण पता चलता है,
तो वह Bahuvrihi Samas है।
📘 उदाहरण:
-
“तीक्ष्णबुद्धि” → तीक्ष्ण (तेज़) + बुद्धि → “जिसकी बुद्धि तेज़ है” → व्यक्ति की विशेषता।
संक्षिप्त सूत्र
यदि अर्थ किसी तीसरे व्यक्ति से निकलता है और “वाला/युक्त/धारी” जोड़ने पर अर्थ स्पष्ट होता है → वह बहुव्रीहि समास है।
बहुव्रीहि समास के 20 उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke 20 Udaharan):
| क्रमांक | बहुव्रीहि समास शब्द | विभाजन (रचना) | अर्थ / व्याख्या |
|---|---|---|---|
| 1 | नीलकंठ | नील + कंठ | “नीला गला वाला” — यह शब्द भगवान शिव के लिए प्रयोग होता है। गले के नीले रंग की विशेषता दर्शाता है। |
| 2 | चतुरानन | चतुर + आनन | “चार मुख वाला” — यह ब्रह्मा जी के लिए कहा जाता है। चार मुख उनकी विशेषता है। |
| 3 | त्रिलोचन | त्रि + लोचन | “तीन आंखों वाला” — यह भगवान शिव का एक और नाम है। तीन नेत्रों की विशेषता के कारण। |
| 4 | जटाधर | जटा + धर | “जटा धारण करने वाला” — शिव जी का विशेषण; जटाओं से युक्त व्यक्ति। |
| 5 | लम्बोदर | लम्ब + उदर | “लंबा या बड़ा पेट वाला” — गणेश जी का नाम; उनका बड़ा पेट उनकी पहचान है। |
| 6 | धवलमुख | धवल + मुख | “गोरे चेहरे वाला” — किसी व्यक्ति के रूप या रंग को दर्शाने के लिए। |
| 7 | दुःखजीवी | दुःख + जीवी | “जो दुःख में जीवन बिताता है” — दुःख सहने वाले व्यक्ति को दर्शाता है। |
| 8 | सुखजीवी | सुख + जीवी | “जो सुख में जीवन बिताता है” — हमेशा खुश और सुखमय जीवन जीने वाला व्यक्ति। |
| 9 | दरिद्रहृदय | दरिद्र + हृदय | “दयाहीन या कठोर हृदय वाला” — ऐसा व्यक्ति जो दूसरों की पीड़ा नहीं समझता। |
| 10 | सुवर्णकाय | सुवर्ण + काय | “सोने के शरीर वाला” — किसी सुंदर या तेजस्वी व्यक्ति के लिए प्रयोग। |
| 11 | विपुलकाय | विपुल + काय | “बड़े शरीर वाला” — विशालकाय व्यक्ति को संदर्भित करता है। |
| 12 | विशालहृदय | विशाल + हृदय | “बड़े दिल वाला” — उदार और दयालु व्यक्ति। |
| 13 | महाबाहु | महा + बाहु | “लंबी या शक्तिशाली भुजाओं वाला” — वीर पुरुष, जैसे श्रीराम या अर्जुन के लिए। |
| 14 | श्वेतवर्ण | श्वेत + वर्ण | “सफेद रंग वाला” — गोरे या उजले रंग के व्यक्ति या वस्तु के लिए। |
| 15 | कृष्णवर्ण | कृष्ण + वर्ण | “काले रंग वाला” — गहरे रंग की विशेषता बताने के लिए। |
| 16 | तीक्ष्णबुद्धि | तीक्ष्ण + बुद्धि | “तीव्र या तेज़ बुद्धि वाला” — चतुर और समझदार व्यक्ति। |
| 17 | मृदुभाषी | मृदु + भाषी | “नम्र या कोमल वाणी वाला” — जो विनम्रता से बात करता है। |
| 18 | कालीदाढ़ी | काली + दाढ़ी | “काली दाढ़ी वाला” — व्यक्ति की बाहरी पहचान बताने वाला। |
| 19 | पाण्डुनयन | पाण्डु + नयन | “सफेद आंखों वाला” — आंखों की विशेषता पर आधारित शब्द। |
| 20 | रक्तपाद | रक्त + पाद | “लाल पैरों वाला” — देवी लक्ष्मी के चरणों का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त। |
बहुव्रीहि समास का रूप निर्माण (Bahuvrihi Samas Ka Roop Nirman):
Bahuvrihi Samas का निर्माण आमतौर पर दो शब्दों से होता है —
(1) पूर्वपद + (2) उत्तरपद = नया शब्द (Bahuvrihi Samas)
🔹 संरचना (Structure):
विशेषण / संज्ञा + संज्ञा → तीसरे व्यक्ति की विशेषता बताने वाला शब्द
| क्रमांक | पूर्वपद | उत्तरपद | नया शब्द (Bahuvrihi Samas) | अर्थ |
|---|---|---|---|---|
| 1 | नील | कंठ | नीलकंठ | नीला गला वाला |
| 2 | त्रि | लोचन | त्रिलोचन | तीन आंखों वाला |
| 3 | धवल | मुख | धवलमुख | गोरे चेहरे वाला |
| 4 | चतुर | आनन | चतुरानन | चार मुख वाला |
| 5 | जटा | धर | जटाधर | जटा धारण करने वाला |
🧑🏫 विशेषज्ञ राय
Bahuvrihi Samas न केवल भाषा की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि अभिव्यक्ति को काव्यात्मक और गूढ़ बनाता है।
यह वही समास है जो शब्दों के माध्यम से ‘व्यक्ति के गुण या पहचान’ को संक्षेप में व्यक्त करता है।
2025 के छात्रों के लिए, इसे समझना जरूरी है क्योंकि यह अक्सर कविता, निबंध और प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है।”
बहुव्रीहि समास का महत्व (Bahuvrihi Samas ka Mahatva):
-
काव्य और साहित्य में बहुव्रीहि समास का खूब प्रयोग होता है।
-
यह भाषा को संक्षिप्त, प्रभावशाली और भावनात्मक बनाता है।
-
संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में इसका प्रचलन प्राचीन काल से है।
-
परीक्षा दृष्टि से यह संज्ञा-समास के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है।
-
आधुनिक हिंदी में भी — जैसे “कालीदाढ़ी वाला आदमी”, “नीली आंखों वाली लड़की” आदि — इसी समास की झलक मिलती है।
बहुव्रीहि समास से बने कुछ प्रसिद्ध शब्द:
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| महादंती | बड़ी दाँतों वाला |
| विशालहृदय | बड़े दिल वाला |
| सुखजीवी | सुख से जीवन यापन करने वाला |
| प्रेमातुर | प्रेम में मग्न |
| शुभकाय | शुभ शरीर वाला |
| श्वेतवर्ण | गोरे रंग वाला |
बहुव्रीहि समास और अन्य समासों में अंतर:
| समास का नाम | विशेषता | उदाहरण |
|---|---|---|
| तत्पुरुष समास | एक पद प्रधान होता है | रामभक्त (राम का भक्त) |
| कर्मधारय समास | दोनों पद एक ही वस्तु का बोध देते हैं | नीलकमल (नीला कमल) |
| द्वंद्व समास | दोनों पद समान रूप से महत्व रखते हैं | माता-पिता |
| बहुव्रीहि समास | तीसरे व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताता है | नीलकंठ (शिव जी) |
छात्रों के लिए याद रखने योग्य ट्रिक्स:
यदि अर्थ तीसरे व्यक्ति का हो → बहुव्रीहि समास
“वाला / धारी / युक्त” जोड़ने पर अर्थ बने → बहुव्रीहि समास
दो पद मिलकर विशेषण बनें → बहुव्रीहि समास
उदाहरण:
-
लाल + नेत्र → लालनेत्र → लाल आंखों वाला → बहुव्रीहि समास
-
राम + भक्त → रामभक्त → राम का भक्त → बहुव्रीहि नहीं (तत्पुरुष है)
🏁 निष्कर्ष
संक्षेप में कहा जाए तो,
Bahuvrihi Samas भाषा की आत्मा है —
यह शब्दों में छिपे गुण, अवस्था और भाव को व्यक्त करता है।
अगर हम इसे समझ लें, तो हिंदी व्याकरण के कठिन अध्याय भी आसान लगने लगते हैं।
तो अगली बार जब कोई कहे “नीलकंठ” या “त्रिलोचन” —
आप तुरंत पहचान लीजिए कि यह एक सुंदर बहुव्रीहि समास का उदाहरण है!
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🙋♀️ FAQs — बहुव्रीहि समास से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
👉 जब दो शब्द मिलकर किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताते हैं, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
Q2. बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण बताइए।
👉 “नीलकंठ” — शिव जी का नाम, जिसका अर्थ है “नीला गला वाला।”
Q3. बहुव्रीहि समास कैसे पहचाने?
👉 यदि बने हुए शब्द का अर्थ उसके दोनों पदों से अलग किसी तीसरे व्यक्ति की ओर संकेत करे, तो वह बहुव्रीहि समास होता है।
Q4. बहुव्रीहि समास के कितने प्रकार हैं?
👉 मुख्यतः तीन प्रकार — गुणवाचक, अवस्थावाचक, भाववाचक।
Q5. बहुव्रीहि समास का प्रयोग कहाँ होता है?
👉 काव्य, गद्य, और सामान्य बोलचाल में विशेषता या गुण दर्शाने हेतु।
⚖️ डिस्क्लेमर
यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है। सभी उदाहरण और व्याख्याएँ हिंदी व्याकरण की स्वीकृत परिभाषाओं पर आधारित हैं।
