परिचय
क्या आपने कभी ऐसे शब्द सुने हैं जो खुद में एक पूरा भाव समेटे हों—जैसे “घर के भीतर”, “आकाश के ऊपर”, या “राजा के पास”?
अगर हाँ, तो आपने अनजाने में ही Avyayibhav Samas का उदाहरण सुना है!
हिंदी भाषा में समास वाक्यों को छोटा और प्रभावशाली बनाता है। जिस तरह दो शब्द मिलकर एक नया, संक्षिप्त और अर्थपूर्ण शब्द बनाते हैं — उसी प्रक्रिया को “समास” कहा जाता है।
और जब यह नया शब्द अव्यय (जो कभी रूप नहीं बदलता) के रूप में कार्य करता है, तो उसे कहा जाता है — अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
Avyayibhav Samas ki Paribhasha
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| नाम | Avyayibhav Samas (अव्ययीभाव समास) |
| अर्थ | ऐसा समास जिसमें पहले पद का प्रयोग अव्यय (अपरिवर्तनीय शब्द) के रूप में होता है और पूरा शब्द अव्यय के रूप में प्रयुक्त होता है। |
| प्रमुख विशेषता | पहला पद अव्यय होता है (जैसे – ऊपर, भीतर, आगे, पीछे)। |
| पूरा शब्द किस रूप में प्रयुक्त होता है | अव्यय के रूप में |
| उदाहरण | ऊपरगामी, भीतरगामी, परोपकारी |
संक्षेप में परिभाषा:
👉 “जिस समास में पहला पद अव्यय हो और पूरा शब्द अव्यय के रूप में प्रयुक्त हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।”
अव्ययीभाव समास के प्रकार (Avyayibhav Samas Ke Prakar)
अव्ययीभाव समास को तीन प्रमुख प्रकारों में बाँटा गया है, जो उनके अर्थ और प्रयोग पर आधारित हैं:
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1. स्थानवाचक अव्ययीभाव | जो स्थान या स्थिति का बोध कराए | ऊपरगामी, भीतरगामी |
| 2. कालवाचक अव्ययीभाव | जो समय का बोध कराए | प्रतिदिन, प्रति वर्ष |
| 3. रीति / भाववाचक अव्ययीभाव | जो क्रिया की रीति या भाव बताएं | धीरे-धीरे, बार-बार |
अव्ययीभाव समास की पहचान (Avyayibhav Samas ki Pehchan)
अव्ययीभाव समास की पहचान करना बहुत आसान है,
अगर आप नीचे दिए गए तीन बिंदुओं को ध्यान से समझ लें।
🔹 1. उपसर्गों (Prefixes) से बने पद
जब किसी शब्द के पहले अव्यय या उपसर्ग जुड़कर नया शब्द बनाता है
और पूरा शब्द अव्यय अर्थ देता है, तो वह Avyayibhav Samas कहलाता है।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| आजीवन | आ + जीवन | जीवन भर / जीवन पर्यंत |
| निर्दोष | निर् + दोष | दोष रहित |
| प्रतिदिन | प्रति + दिन | प्रत्येक दिन |
| बेघर | बे + घर | बिना घर के |
| लावारिस | ला + वारिस | बिना वारिस के |
| यथाशक्ति | यथा + शक्ति | शक्ति के अनुसार |
संकेत: अगर शब्द की शुरुआत “आ, निर्, प्रति, बे, यथा” जैसे उपसर्गों से हो — तो वह अव्ययीभाव समास हो सकता है।
🔹 2. एक ही शब्द की पुनरावृत्ति (Repetition of the Same Word)
जब एक ही शब्द दो बार बिना परिवर्तन के प्रयोग होता है,
तो वह Avyayibhav Samas होता है, जो आवृत्ति या निरंतरता का बोध कराता है।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| घर-घर | घर के बाद घर | हर घर |
| नगर-नगर | नगर के बाद नगर | हर नगर |
| रोज-रोज | हर रोज | प्रतिदिन |
संकेत: यदि कोई शब्द दो बार लगातार आए और “हर” या “बार-बार” का अर्थ दे,
तो समझिए — यह अव्ययीभाव समास है।
🔹 3. दो समान शब्दों के बीच मात्रा या व्यंजन आने पर
जब एक जैसे दो शब्दों के बीच बिना संधि नियम के कोई मात्रा या व्यंजन आ जाए,
तो भी वह Avyayibhav Samas कहलाता है।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| हाथोंहाथ | हाथ ही हाथ में | तुरंत, बिना देर किए |
| दिनोदिन | दिन ही दिन में | दिन-ब-दिन |
| बागोबाग | बाग ही बाग में | हर बाग में |
संकेत: “हाथोंहाथ”, “दिनोदिन”, “बागोबाग” जैसे शब्द जब तत्कालता या निरंतरता का बोध कराएँ,
तो वे Avyayibhav Samas के उत्तम उदाहरण हैं।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)
1. ऊपरगामी (ऊपर + गमन)
विग्रह: ऊपर (अव्यय) + गमन (क्रिया)
अर्थ: जो ऊपर की दिशा में जाता है।
प्रकार: स्थानवाचक अव्ययीभाव
व्याख्या: “ऊपर” शब्द दिशा बताता है, और “गमन” चलने का भाव। दोनों मिलकर “ऊपरगामी” बनता है — अर्थात ऊपर जाने वाला।
📍 उदाहरण वाक्य: पक्षी ऊपरगामी दिशा में उड़ गया।
2. भीतरगामी (भीतर + गमन)
विग्रह: भीतर (अव्यय) + गमन (क्रिया)
अर्थ: जो भीतर की ओर जाए।
प्रकार: स्थानवाचक अव्ययीभाव
व्याख्या: “भीतर” स्थान का बोध कराता है, और “गमन” चलने की क्रिया को। इसलिए यह समास “भीतर जाने वाला” अर्थ देता है।
📍 उदाहरण वाक्य: वह सैनिक भीतरगामी रास्ते से गया।
3. परोपकारी (पर + उपकार)
विग्रह: पर (दूसरे के लिए) + उपकार (सहायता)
अर्थ: जो दूसरों की भलाई करे।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
व्याख्या: “पर” का अर्थ दूसरों से है। अतः “परोपकारी” का अर्थ है — दूसरों का भला करने वाला व्यक्ति।
📍 उदाहरण वाक्य: महात्मा गांधी परोपकारी व्यक्ति थे।
4. प्रतिवर्ष (प्रति + वर्ष)
विग्रह: प्रति (हर) + वर्ष (साल)
अर्थ: हर साल या प्रत्येक वर्ष।
प्रकार: कालवाचक अव्ययीभाव
व्याख्या: “प्रति” का अर्थ है — “हर” या “प्रत्येक”; इसलिए “प्रतिवर्ष” का अर्थ होता है “हर वर्ष”।
📍 उदाहरण वाक्य: विद्यालय में प्रतिवर्ष वार्षिक समारोह होता है।
5. बाहरगामी (बाहर + गमन)
विग्रह: बाहर (अव्यय) + गमन (जाना)
अर्थ: जो बाहर की ओर जाए।
प्रकार: स्थानवाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: कुछ छात्र बाहरगामी द्वार से निकले।
6. अंदरगामी (अंदर + गमन)
विग्रह: अंदर (अव्यय) + गमन (जाना)
अर्थ: जो अंदर की ओर जाता है।
प्रकार: स्थानवाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: मंदिर का अंदरगामी रास्ता बहुत संकरा है।
7. धीरे-धीरे (धीरे + धीरे)
विग्रह: धीरे (रीति) + धीरे (रीति)
अर्थ: क्रमिक रूप से या धीरे-धीरे।
प्रकार: रीति/भाववाचक अव्ययीभाव
व्याख्या: यह शब्द दो अव्ययों के संयोग से बना है और क्रिया की गति बताता है।
📍 उदाहरण वाक्य: वह धीरे-धीरे चल रहा था।
8. प्रत्येक (प्रति + एक)
विग्रह: प्रति (हर) + एक (संख्या)
अर्थ: हर एक या सभी में से प्रत्येक।
प्रकार: कालवाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: शिक्षक ने प्रत्येक छात्र की कॉपी जाँची।
9. परिग्रही (परि + ग्रहण)
विग्रह: परि (चारों ओर) + ग्रहण (लेना)
अर्थ: जो सब कुछ अपने अधीन करे।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: राजा का स्वभाव परिग्रही था।
10. सहितगामी (सहित + गमन)
विग्रह: सहित (साथ) + गमन (जाना)
अर्थ: जो साथ-साथ जाए।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: वह अपने मित्रों के सहितगामी यात्रा पर निकला।
11. अंतर्यामी (अंतर + यमन)
विग्रह: अंतर (भीतर) + यमन (नियंत्रण करना)
अर्थ: जो भीतर से नियंत्रण करे या सब कुछ जानता हो।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: ईश्वर अंतर्यामी है, वह सब जानता है।
12. पर्यटक (परि + यतन)
विग्रह: परि (चारों ओर) + यतन (घूमना या प्रयास)
अर्थ: जो चारों ओर घूमता है।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: भारत आने वाले पर्यटक ताजमहल अवश्य देखते हैं।
13. उपर्युक्त (उपरि + उक्त)
विग्रह: उपरि (ऊपर) + उक्त (कहा हुआ)
अर्थ: ऊपर कहा गया।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: उपर्युक्त बिंदुओं का ध्यान रखें।
14. प्रत्युत्तर (प्रति + उत्तर)
विग्रह: प्रति (बदले में) + उत्तर (जवाब)
अर्थ: उत्तर के बदले दिया गया उत्तर।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: शिक्षक ने छात्र के प्रश्न का प्रत्युत्तर दिया।
15. संग्राम (संग + राम/आक्रमण)
विग्रह: संग (साथ) + राम (लड़ाई का भाव)
अर्थ: युद्ध या संघर्ष।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: महाभारत एक महान संग्राम था।
16. उपकारक (उप + कार)
विग्रह: उप (पास) + कार (कार्य करना)
अर्थ: जो सहायता करता है।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: भगवान सदैव अपने भक्तों के उपकारक हैं।
17. प्रत्याहार (प्रति + आहार)
विग्रह: प्रति (वापस) + आहार (लेना)
अर्थ: वापस लेना।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: योग में प्रत्याहार का अर्थ है — इंद्रियों को भीतर करना।
18. प्रतिक्रिया (प्रति + क्रिया)
विग्रह: प्रति (उत्तर में) + क्रिया (कार्य)
अर्थ: उत्तर में किया गया कार्य या प्रतिक्रिया।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: उसने घटना पर तेज़ प्रतिक्रिया दी।
19. अधोगामी (अधः + गमन)
विग्रह: अधः (नीचे) + गमन (जाना)
अर्थ: नीचे की ओर जाने वाला।
प्रकार: स्थानवाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: जल प्रवाह अधोगामी दिशा में होता है।
20. अत्याधुनिक (अत्य + आधुनिक)
विग्रह: अत्य (बहुत) + आधुनिक (नया)
अर्थ: बहुत अधिक आधुनिक या नया।
प्रकार: भाववाचक अव्ययीभाव
📍 उदाहरण वाक्य: यह एक अत्याधुनिक मोबाइल फ़ोन है।
अव्ययीभाव समास का रूप निर्माण (Avyayibhav Samas Ka Roop Nirman)
अव्ययीभाव समास में दो पद मिलकर एक नया अव्यय शब्द बनाते हैं —
पहला पद अव्यय होता है, दूसरा पद संज्ञा, विशेषण या क्रिया हो सकता है।
| क्रमांक | पहला पद (अव्यय) | दूसरा पद | समासिक शब्द | अर्थ |
|---|---|---|---|---|
| 1 | ऊपर | गमन | ऊपरगामी | जो ऊपर जाने वाला |
| 2 | भीतर | प्रवेश | भीतरप्रवेशी | जो भीतर प्रवेश करे |
| 3 | पर | उपकार | परोपकारी | जो दूसरों का उपकार करे |
| 4 | प्रति | वर्ष | प्रतिवर्ष | हर वर्ष |
| 5 | धीरे | चाल | धीरे-धीरे | क्रमिक रूप से |
👉 यह संरचना छात्रों को रूप निर्माण समझने में सबसे ज्यादा मदद करती है।
👩🏫 विशेषज्ञ राय
अव्ययीभाव समास छात्रों के लिए समझने में सरल लेकिन परीक्षा में अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है।
इसे समझने के लिए आपको सिर्फ एक बात ध्यान रखनी है — पहला पद अव्यय होता है और पूरा शब्द अव्यय के रूप में कार्य करता है।
अव्ययीभाव समास और अन्य समासों में अंतर
| बिंदु | Avyayibhav Samas | तत्पुरुष समास | द्वंद्व समास |
|---|---|---|---|
| पहला पद | अव्यय | संज्ञा / विशेषण | समान पद |
| प्रयोग | अव्यय के रूप में | संज्ञा / विशेषण रूप में | दोनों समान महत्व रखते हैं |
| उदाहरण | ऊपरगामी | ग्राम्यजीवन | राम-लक्ष्मण |
यह तालिका यह स्पष्ट करती है कि “Avyayibhav Samas” की पहचान अन्य समासों से कितनी भिन्न है।
अव्ययीभाव समास का महत्व (Avyayibhav Samas Ka Mahatva)
-
वाक्य को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाता है।
-
भाषा में दिशा, भाव और रीति का स्पष्ट बोध कराता है।
-
काव्य और साहित्य में भाव-प्रकाश के लिए इसका व्यापक उपयोग होता है।
-
आधुनिक हिंदी में भी यह बोलचाल और लेखन दोनों में प्रचलित है।
अव्ययीभाव समास याद रखने की टिप्स (Avyayibhav Samas Yaad Karne Ki Trick)
💡 “अव्यय + संज्ञा/क्रिया = अव्ययीभाव समास”
बस यह सूत्र याद रखिए —
जैसे ऊपर + गमन = ऊपरगामी, भीतर + प्रवेश = भीतरप्रवेशी।
🌈 निष्कर्ष
Avyayibhav Samas (अव्ययीभाव समास) केवल व्याकरणिक नियम नहीं है, बल्कि यह हिंदी भाषा की लय और अभिव्यक्ति का सुंदर उदाहरण है।
जब आप इसे समझ लेते हैं, तो आपकी भाषा और लेखन दोनों में सहजता और गहराई आ जाती है।
👉 याद रखिए, “अव्यय” कभी नहीं बदलता — और “अव्ययीभाव समास” इस स्थिरता का प्रतीक है।
सीखिए, समझिए और भाषा से जुड़िए — क्योंकि हिंदी केवल पढ़ने की नहीं, महसूस करने की भाषा है।
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❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. Avyayibhav Samas क्या होता है?
👉 ऐसा समास जिसमें पहला पद अव्यय हो और पूरा शब्द अव्यय के रूप में प्रयुक्त हो।
2. Avyayibhav Samas के प्रकार कौन-कौन से हैं?
👉 स्थानवाचक, कालवाचक और रीति / भाववाचक तीन प्रकार।
3. “प्रतिवर्ष” शब्द में ‘प्रति’ अव्यय क्यों कहलाता है?
👉 क्योंकि “प्रति” शब्द स्वयं में स्थिर (अपरिवर्तनीय) है और समय की आवृत्ति दर्शाता है — इसलिए यह अव्यय है।
4. परीक्षा में इससे क्या पूछा जाता है?
👉 परिभाषा, उदाहरण, प्रकार और पहचान संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं।
5. Avyayibhav Samas के निर्माण में कौन-सा पद परिवर्तित नहीं होता?
👉 पहला पद (अव्यय) परिवर्तित नहीं होता — वही पूरे शब्द का अर्थ निर्धारित करता है।
6. अव्ययीभाव समास में “अव्यय” शब्द का क्या व्याकरणिक कार्य है?
👉 यह पूरे समास को क्रिया या विशेषण रूप में कार्य करने योग्य बनाता है — यानी पूरा शब्द अव्यय रूप से प्रयुक्त होता है।
7. क्या अव्ययीभाव समास वाक्य में संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हो सकता है?
👉 नहीं, यह सामान्यतः अव्यय के रूप में ही प्रयोग होता है — जो न तो पुल्लिंग, स्त्रीलिंग या बहुवचन रूप में बदलता है।
⚖️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों और व्याकरणिक पुस्तकों के आधार पर प्रस्तुत की गई है।
