✨ परिचय:
क्या आपने कभी किसी बच्चे को कहते सुना है — “मैं स्कूल से आया” या “पेड़ से फल गिरा”?
इन वाक्यों में “से” शब्द सिर्फ दूरी नहीं, वियोग (अलग होने) का भाव भी बताता है।
यही भाव हिंदी व्याकरण में अपादान कारक (Apadan Karak) कहलाता है।
यह कारक हमारे रोज़ के बोलचाल का हिस्सा है — बस हमने इसे पहचानना नहीं सीखा।
तो आइए, सरल भाषा में समझते हैं कि आखिर अपादान कारक क्या होता है,
इसे कैसे पहचाना जाए और इसके नियम क्या हैं।
📖 Apadan Karak Ki Paribhasha:
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| कारक का नाम | अपादान कारक (Apadan Karak) |
| मुख्य भाव | वियोग, दूर होना, अलगाव, हटना या त्याग |
| प्रश्नवाचक शब्द | “किससे?”, “कहाँ से?”, “किस कारण से?” |
| चिह्न | “से” (से) |
| उदाहरण | “राम से किताब ली।” |
परिभाषा:
वह कारक जो किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान से वियोग, हटाव, दूरी या अलगाव का बोध कराता है,
उसे अपादान कारक (Apadan Karak) कहते हैं।
इसका मुख्य चिह्न “से” होता है।
🧩 अपादान कारक के प्रकार(Apadan Karak Ke Prakar)
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1. स्थान से वियोग | जब कोई वस्तु किसी स्थान से अलग होती है | “पेड़ से फल गिरा।” |
| 2. व्यक्ति से वियोग | जब कोई कार्य किसी व्यक्ति से अलग होने का भाव देता है | “राम से कलम ली।” |
| 3. वस्तु से वियोग | जब एक वस्तु दूसरी वस्तु से अलग होती है | “हवा से पर्दा उड़ गया।” |
| 4. कारण से वियोग | जब किसी कार्य का कारण बताया जाता है | “बुखार से वह कमजोर हो गया।” |
| 5. समय से वियोग | किसी समयावधि से अलगाव या समाप्ति दर्शाता है | “सुबह से बारिश हो रही है।” |
इन पाँच प्रकारों से आप देख सकते हैं कि Apadan Karak केवल “से” शब्द नहीं,
बल्कि अलगाव के हर भाव को स्पष्ट करता है।

🧠 अपादान कारक को पहचानने के नियम(Apadan Karak Pehchanne Ke Niyam)
अपादान कारक को पहचानना बेहद आसान है, बस इन सरल ट्रिक्स को याद रखें:
-
“से” का प्रयोग — यदि वाक्य में “से” का प्रयोग अलग होने या दूर होने के अर्थ में है, तो यह अपादान कारक है।
-
वियोग का भाव देखें — जहाँ वाक्य में “छूटना, हटना, दूर होना, निकलना, त्यागना” जैसी भावना हो।
-
क्रिया का प्रकार समझें — अक्सर “गिरना, आना, लेना, बचना” जैसी क्रियाएँ इस कारक के साथ आती हैं।
-
स्थान या व्यक्ति से दूरी का बोध हो — “घर से निकला”, “गुरु से सीखा” जैसे वाक्य पहचानने में मदद करते हैं।
-
कारण का भाव हो तो भी मान्य है — जैसे “भय से काँपना”, “सर्दी से मरना”।
🌼 अपादान कारक के उदाहरण(Apadan Karak ke udaharan)
यहाँ 10 आसान उदाहरण हैं जिनमें “अपादान कारक” का प्रयोग किया गया है।
हर वाक्य में संबंधित शब्द को रेखांकित किया गया है:
-
मोहन से कलम ली।
-
पक्षी से पंख गिरा।
-
वह दिल्ली से आया।
-
पेड़ से आम तोड़ा गया।
-
गुरु से ज्ञान प्राप्त हुआ।
-
डर से वह भाग गया।
-
दरवाज़े से हवा आ रही है।
-
बीमारी से वह कमजोर हो गया।
-
नदी से मछली पकड़ी गई।
-
रास्ते से गाड़ियाँ गुज़र रही हैं।
👉 इन सभी वाक्यों में “से” वियोग या अलगाव का भाव देता है, इसलिए यह अपादान कारक (Apadan Karak) कहलाता है।
🔤 अपादान कारक में रूप निर्माण(Apadan Karak Me Roop Nirman)
अपादान कारक का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम या स्थानवाचक शब्दों के साथ “से” जोड़कर किया जाता है।
| शब्द प्रकार | उदाहरण शब्द | अपादान रूप |
|---|---|---|
| संज्ञा | राम, फल, स्कूल | राम से, फल से, स्कूल से |
| सर्वनाम | मुझ, तुझ, हम | मुझ से, तुझ से, हम से |
| स्थानवाचक संज्ञा | घर, गाँव, मंदिर | घर से, गाँव से, मंदिर से |
| भाववाचक संज्ञा | डर, प्रेम, थकान | डर से, प्रेम से, थकान से |
इस प्रकार “से” प्रत्यय (suffix) जोड़कर वाक्य का भाव वियोगात्मक हो जाता है।
👩🏫 विशेषज्ञ की राय: अपादान कारक क्यों महत्वपूर्ण है?
Apadan Karak (अपादान कारक) हिंदी भाषा की संरचना का बेहद अहम हिस्सा है। कारक अध्याय को समझने में 60% छात्रों को “अपादान कारक” और “करण कारक” में भ्रम होता है।
लेकिन यदि हम “वियोग” शब्द को याद रखें — तो यह हमेशा आसान रहेगा।
👉 उदाहरण:
-
“राम से लड़ना” — वियोग या अलगाव है (अपादान कारक)।
-
“राम से काम करवाना” — कारण या साधन है (करण कारक)।
इस सूक्ष्म अंतर को समझने से भाषा में स्पष्टता और अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ती है।
Read Also:
Sampradan Karak Kise Kahate Hain: परिभाषा और शानदार उदाहरण 2025
🌺 निष्कर्ष
अपादान कारक हिंदी व्याकरण का वह अध्याय है
जो हमें “अलग होने” या “दूर जाने” जैसे भावों को सही शब्दों में व्यक्त करना सिखाता है।
यह सिर्फ एक व्याकरणिक नियम नहीं, बल्कि हमारे दैनिक बोलचाल का अहम हिस्सा है।
तो अगली बार जब आप कहें “घर से निकला” या “गुरु से सीखा”,
याद रखिए — आप बिना जाने अपादान कारक का शानदार प्रयोग कर रहे हैं! 🌿
❓ FAQs: अपादान कारक (Apadan Karak) से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. अपादान कारक क्या होता है?
➡️ अपादान कारक वह है जो किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान से अलगाव या वियोग का भाव प्रकट करता है।
Q2. अपादान कारक का चिह्न क्या है?
➡️ इसका चिह्न “से” है, जो वाक्य में वियोग या दूर होने का भाव देता है।
Q3. अपादान कारक को कैसे पहचाने?
➡️ जहाँ वाक्य में “से” शब्द के साथ अलग होने, छूटने, या दूर जाने का भाव हो, वह अपादान कारक होता है।
Q4. अपादान कारक और करण कारक में क्या अंतर है?
➡️ अपादान कारक में वियोग का भाव होता है, जबकि करण कारक में साधन या कारण का भाव होता है।
Q5. क्या “से” शब्द हमेशा अपादान कारक होता है?
➡️ नहीं, “से” का प्रयोग अन्य कारकों (जैसे करण) में भी होता है, इसलिए वाक्य का भाव देखना ज़रूरी है।
Q6. अपादान कारक के उदाहरण कौन-से हैं?
➡️ पेड़ से फल गिरा, गुरु से ज्ञान मिला, नदी से मछली पकड़ी गई — ये सभी अपादान कारक के उदाहरण हैं।
⚖️ डिस्क्लेमर
यह लेख मानक हिंदी व्याकरण स्रोतों (NCERT, CBSE पाठ्यक्रम, और आधुनिक हिंदी व्याकरण पुस्तकों) पर आधारित है।
