परिचय
भारतीय काव्य परंपरा में कुछ छंद ऐसे हैं, जो पढ़ते ही मन में संगीत जैसा लयात्मक अनुभव जगाते हैं। कबीरदास, रहीम, तुलसी… इन सभी महान कवियों ने जिस छंद का सबसे अधिक प्रयोग किया, वह है दोहा छंद।
कक्षा में जब शिक्षक “बुरा जो देखन मैं चला…” पढ़ते हैं, तो छात्रों को भी एक अनोखी ताल सुनाई देती है—यह वही अनोखी लय है जो Doha Chhand को अनोखा बनाती है।
इस लेख में हम 2025 के संदर्भ में दोहा छंद को एकदम आसान, रोचक और प्रैक्टिकल तरीके से समझेंगे—परिभाषा, प्रकार, नियम, ताल-मात्रा, उदाहरण, और विशेषज्ञ टिप्पणी तक सबकुछ।
Doha Chhand Ki Paribhasha
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छंद |
सरल परिभाषा |
|---|---|
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दोहा छंद |
वह काव्य छंद जिसमें दो पंक्तियाँ (प्रत्येक में दो चरण/पद) होते हैं, पहली पंक्ति में 13–11 मात्राएँ और दूसरी में 13–11 मात्राएँ होती हैं। इसकी लय अत्यंत प्राकृतिक, सहज और याद रखने योग्य होती है। |
सरल शब्दों में:
Doha Chhand = दो पंक्तियों वाला छंद + (13–11) + (13–11) की मात्रा संरचना।
दोहा छंद के प्रकार (Doha Chhand Ke Prakar)
| प्रकार | विवरण |
|---|---|
| परंपरागत दोहा छंद | शास्त्रीय नियमों के अनुसार 13–11 / 13–11 मात्रा में रचा गया दोहा। |
| लोक-दोहा | लोकगीतों, कहावतों और जनजीवन में उपयोग किया जाने वाला सरल दोहा रूप। |
| सूफ़ी/दार्शनिक दोहा | आध्यात्मिक, नैतिक और जीवन-दर्शन पर आधारित दोहे। |
| समकालीन दोहा | आज के समय के विचारों, सामाजिक विषयों और आधुनिक भावनाओं को व्यक्त करने वाले दोहे। |
दोहा छंद पहचानने के नियम (Doha Chhand Pehchanne Ke Niyam
नियम 1: दोहा हमेशा 2 पंक्तियों का होता है
किसी भी कविता में अगर सिर्फ दो पंक्तियाँ दिख रही हों, तो यह Doha Chhand हो सकता है।
हर पंक्ति को फिर दो हिस्सों (चरण/पद) में बाँटा जाता है।
➡ कुल → 2 पंक्तियाँ × 2 चरण = 4 चरण
नियम 2: मात्रा सबसे महत्वपूर्ण — 13–11, 13–11
Doha Chhand की पहचान का मुख्य फ़ॉर्मूला यह है:
✔ पहली पंक्ति
-
पहला चरण → 13 मात्रा
-
दूसरा चरण → 11 मात्रा
✔ दूसरी पंक्ति
-
पहला चरण → 13 मात्रा
-
दूसरा चरण → 11 मात्रा
यानी पूरा दोहा (13–11) + (13–11) के पैटर्न में होता है।
नियम 3: मात्रा गिनने का सरल ट्रिक
-
लघु (h) = 1 मात्रा
-
गुरु (H) = 2 मात्रा
अगर “आ, ई, ऊ, ऐ, औ” जैसे दीर्घ स्वर हों = 2 मात्रा
यदि शब्द के अंत में ‘ं, ः’ हों → सामान्यतः गुरु (2 मात्रा)
बस शब्दों के उच्चारण के अनुसार 1–2 की गिनती करते जाओ—13 पूरा हुआ तो पहला चरण, फिर 11 पूरा हुआ तो दूसरा चरण।
नियम 4: लय सुनकर भी पहचान सकते हो
Doha Chhand में एक खास धीमी + तेज लय होती है:
पहली पंक्ति: थोड़ा लंबा + थोड़ा छोटा
दूसरी पंक्ति: थोड़ा लंबा + छोटा
यह ताल ऐसा लगता है:
“धीरे–धीरे / थोड़ा–छोटा”
“धीरे–धीरे / थोड़ा–छोटा”
कबीर के दोहे पढ़ते समय जिस “ठहराव” का अहसास होता है—वही दोहा की पहचान है।
नियम 5: दोहे में तुकबंदी अनिवार्य नहीं, मात्रा अनिवार्य है
तुक (राइम) हो भी सकती है, नहीं भी – कोई समस्या नहीं।
लेकिन 13–11 की मात्रा संरचना टूटनी नहीं चाहिए।
नियम 6: भाव/शैली सरल और सीधी होती है
दोहा अपने भाव को सीधे, गहरे और कम शब्दों में व्यक्त करता है।
इसकी भाषा अक्सर—
-
सूफी
-
दार्शनिक
-
नीति
-
व्यवहारिक
-
भक्ति
—होती है।
इसलिए दोहे में बोझिल, भारी-भरकम वाक्य कम मिलते हैं।
नियम 7: पंक्ति के बीच हल्का “ठहराव”
दोहा पढ़ते समय आप बीच में एक स्वाभाविक रुकावट महसूस करते हैं, जैसे:
बुरा जो देखन मैं चला // बुरा न मिलिया कोय
यह हल्का ठहराव दोहे की पहचान है।
दोहा छंद के 20 उदाहरण (Doha Chhand Ke 20 Udaharan)
उदाहरण – 1
भोर भये जब जागिए, हरि नामन्हि मन धाय।
दुख पावस बिन बादरा, छन महं उड़ि सब जाय॥
उदाहरण – 2
मन मंदिर मह दीप जले, जपु कर हरि कर नाव।
अतम लोक परलोक सुख, पाइ लेइ निज भाव॥
उदाहरण – 3
जननी जन्म महान है, गुरुभक्ति दीन्हि बखान।
दोउ जग में जो राखतेँ, पावत सब सम्मान॥
उदाहरण – 4
लोभ मोह के बंधनां, छूटत नाहीं साँस।
राम सुमिरन करि प्रात ही, कट जाते सब फाँस॥
उदाहरण – 5
नाथ कृपा की छाँव में, सुख पावै सब लोग।
जैसे पावस मेघ से, धरती हरष समोग॥
उदाहरण – 6
संत वचन अमृत सरीस, पापन हरन सहजाय।
जो सुनि ले मन लागिके, भवसागर तरि जाय॥
उदाहरण – 7
जग में रखसं सीध बिनु, तोरै सब दुख होय।
सीध चलैं ते पावतें, जग में मान अपार॥
उदाहरण – 8
धरम नीति गृहस्थ में, बिनु इनके मन खोट।
दोउ धरम जो साधहिं, पावहिं मान अनोट॥
उदाहरण – 9
सेवा करि मन भाव की, तज दे भ्रम के जाल।
जैसे तम अँधियार को, हर ले सूरज लाल॥
उदाहरण – 10
सतगुरु चरणन लगि रहो, पावहिं ज्ञान अपार।
सागर सिंधि से गहि लिएँ, मोति अनंत्त उदार॥
उदाहरण – 11
धीरज धरि जो साधना, कर लेइ मन माहिं।
फल पावत सोइ बाग में, जे बिन पानी नाहीं॥
उदाहरण – 12
कर्म कुसंगति छोड़ दे, संगति ले सदगुण।
इक बूँदि अमृत सी बनै, उत बूँदि समझ विषगुण॥
उदाहरण – 13
बैरी के बैर न देइ, मित्र करै जो पियार।
जग में वही महान है, तज दे मन का भार॥
उदाहरण – 14
सत्य पथे जे चलि रहेँ, डरते कहाँ अपाय।
छाँव तरे तरुवार की, सावन सुख रस पाय॥
उदाहरण – 15
प्रीति सुगंध सरीस है, देइ सुगंधै सब लोक।
जैसे करि चंदन सदा, ताप तजावै रोक॥
उदाहरण – 16
गुरु कृपा यदि साथ हो, सोई होय कमाल।
नव रस की गंगा बहे, मन पावे आनंदाल॥
उदाहरण – 17
नयनन देखें दोष को, मन आवें क्यों शांत।
दोष जगत में सब मिलें, मन में ढूँढौ संत॥
उदाहरण – 18
धन वैभव के लोभ से, मत करिये मन घमंड।
छिन महं छूटत देखिएँ, रह जाइ खाली छंद॥
उदाहरण – 19
राम नाम रस धार को, पीत रहे दिन रात।
जैसे चातक प्यास में, देखत मेघन घात॥
उदाहरण – 20
नीति, विनय, सत शब्द से, बढ़त मर्यादा मान।
तजि क्रोध कपट सभी, बनत मनुज महान॥
दोहा छंद का रूप-निर्माण (Doha Chhand Ka Rup Nirman)
1. संज्ञा से बने दोहे
जीवन, समय, प्रकृति जैसे शब्दों के माध्यम से विचार व्यक्त किए जाते हैं।
2. विशेषण आधारित दोहे
उदाहरण: अच्छा–बुरा, मीठा–कड़वा, बड़ा–छोटा आदि।
3. क्रिया-आधारित संरचना
चलना, समझना, देखना, कहना आदि क्रियाओं द्वारा संदेश व्यक्त होता है।
4. भाव-आधारित निर्माण
भक्ति, नीति, प्रेम, करुणा, व्यंग्य, दर्शन—इन भावों पर दोहे बनते हैं।
5. मात्रा-आधारित लय निर्माण
(13–11) + (13–11) का नियम छंद का ढांचा बनाता है।
शब्द कोई भी हों, लेकिन मात्रा संरचना का पालन अनिवार्य है।
विशेषज्ञ राय
यदि आप कविता की लय और सौंदर्य समझना चाहते हैं, तो Doha Chhand से शुरुआत करें।
यह सबसे सरल, आकर्षक और याद रहने वाला छंद है।
काव्य की नींव समझने के लिए दोहे एक मजबूत आधार देते हैं।
निष्कर्ष
Doha Chhand (दोहा छंद) हिंदी साहित्य की रीढ़ की तरह है—लय, ज्ञान, दर्शन और सरलता का अद्भुत मेल।
एक बार इसकी मात्रा संरचना समझ लो, तो दोहा लिखना और पढ़ना दोनों आसान हो जाते हैं।
आप भी अभ्यास करें, लय गिनें, और अपनी रचनात्मकता को दोहे के माध्यम से व्यक्त करें।
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प्रश्न–उत्तर
दोहा छंद क्या होता है?
उत्तर: Doha Chhand दो पंक्तियों वाला पारंपरिक छंद है, जिसमें प्रत्येक पंक्ति दो भागों (चरणों) में बंटी होती है और उसकी मात्रा संरचना 13–11 / 13–11 होती है।
दोहा छंद की मुख्य पहचान क्या है?
उत्तर:
Doha Chhand की मुख्य पहचानें हैं:
-
दो पंक्तियाँ
-
प्रत्येक पंक्ति में 13–11 मात्रा
-
सरल, स्पष्ट और गहरी भाषा
-
पंक्ति के मध्य में हल्का ठहराव
दोहा छंद कैसे लिखा जाता है?
उत्तर: Doha Chhand लिखने के लिए:
-
दो पंक्तियाँ बनाते हैं।
-
हर पंक्ति में पहला चरण 13 मात्रा और दूसरा चरण 11 मात्रा का रखते हैं।
-
भाव स्पष्ट, सारगर्भित और लय सरल रखते हैं।
दोहा छंद में तुकांत (राइम) होना आवश्यक है क्या?
उत्तर: नहीं। तुकांत होना आवश्यक नहीं है।
दोहा का मूल नियम केवल मात्रा-विधान है।
Doha और Soratha में क्या अंतर है?
उत्तर:
दोनों में दो पंक्तियाँ होती हैं, पर मात्रा संरचना अलग होती है।
-
Doha: 13–11 / 13–11
-
Soratha: 11–13 / 11–13
इसमें मात्रा क्रम उलटा होता है।
कौन-कौन से प्रसिद्ध कवि Doha Chhand का प्रयोग करते थे?
उत्तर:
प्रमुख कवि—
-
कबीर
-
रहीम
-
तुलसीदास
-
रसखान
-
संत रैदास
इन सभी ने दोहा को अपनी रचनाओं में प्रमुखता दी है।
छात्र परीक्षा में दोहा कैसे पहचानें?
उत्तर:
-
दो पंक्ति देखें
-
पंक्ति को दो भागों में बाँटें
-
पहला भाग → 13 मात्रा
-
दूसरा भाग → 11 मात्रा
यदि यह पैटर्न मिल जाए तो वह Doha Chhand है।
क्या दोहा छंद आज भी उपयोग में आता है?
उत्तर:
हाँ। स्कूलों, प्रतियोगी परीक्षाओं, साहित्य मंचों, भक्ति-गीतों और आधुनिक कविता में दोहा आज भी अत्यंत लोकप्रिय और प्रासंगिक है।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक और सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी काव्य रूप की व्याख्या में परंपरागत और आधुनिक दोनों संदर्भों को ध्यान में रखा गया है।
