परिचय
कभी आपने किसी कविता की लय पढ़ते-पढ़ते महसूस किया होगा कि शब्द अपने आप नाचने लगते हैं—जहाँ हर पंक्ति आपको एक अनोखी गति, ताल और संगीतमय प्रवाह देती है। हिंदी काव्य की इसी लयबद्ध सुंदरता को आकार देता है savaiya chhand, जिसे पढ़ते ही पाठक मन में संगीत जैसा अनुभव करता है।
भले ही कई विद्यार्थियों को छंदों के नियम कठिन लगते हों, लेकिन जब बात सवैया छन्द की आती है, तो इसका संतुलित रूप, शब्दों की पुनरावृत्ति और गणों की संरचना इसे सीखना बहुत आसान बना देती है।
यह लेख आपको अपडेटेड जानकारी, सरल भाषा, ट्रिक्स, तालिका, उदाहरण और विशेषज्ञ राय के साथ savaiya chhand को पूरी तरह समझने में मदद करेगा।
Savaiya Chhand Ki Paribhasha
Savaiya chhand वह छंद है जिसमें चार चरण (चार पंक्तियाँ) होते हैं और प्रत्येक चरण में 24, 24, 24 और 24 मात्राएँ होती हैं।
यह छंद प्रबंध-काव्य और भक्ति-काल के रचनाकारों द्वारा अत्यधिक प्रयोग किया गया है—विशेषकर तुलसीदास और नाथ पंथ के कवियों द्वारा।
सरल शब्दों में परिभाषा:
Savaiya chhand वह छंद है जिसकी हर पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं और शब्दों की लय ऐसी होती है कि पढ़ते समय एक साफ, संतुलित ताल महसूस होती है।
सवैया छंद के प्रकार (Savaiya Chhand Ke Prakar)
| क्रम | savaiya chhand | शब्द का प्रकार | अर्थ (सरल भाषा में) | उदाहरण वाक्य |
|---|---|---|---|---|
| 1 | मदिरा | संज्ञा | नशे वाला पेय, शराब | उसने मदिरा सेवन से दूरी बनाई। |
| 2 | मत्तगयंद | विशेष्य (हाथी से संबंधित) | हाथी की कनपटी से निकलने वाला गंधयुक्त तरल | हाथी की मत्तगयंद देखकर लोग दूर हट गए। |
| 3 | दुर्मिल | विशेषण | जो मिलना कठिन हो, दुर्लभ | ऐसा साहस आजकल दुर्मिल है। |
| 4 | सुमुखी | विशेषण | सुंदर मुख वाली स्त्री | सुमुखी बालिका मंच पर नृत्य कर रही थी। |
| 5 | किरीट | संज्ञा | मुकुट, ताज | राजा ने स्वर्ण किरीट धारण किया। |
| 6 | गंगोदक | संज्ञा | गंगा का पवित्र जल | पूजा में गंगोदक का प्रयोग हुआ। |
| 7 | मुक्तहरा | संज्ञा | मोतियों का हार | रानी ने सुंदर मुक्तहरा पहना। |
| 8 | वाम | विशेषण | बायाँ या प्रतिकूल | वह वाम हाथ से लिखता है। |
| 9 | अरसात | विशेषण | जिसमें रस न हो, बेस्वाद | यह फीका भोजन उसके लिए अरसात था। |
| 10 | सुंदरी | संज्ञा | सुंदर स्त्री | वह नृत्य करती सुंदरी सबको भा गई। |
| 11 | अरविंद | संज्ञा | कमल | तालाब में कई अरविंद खिले थे। |
| 12 | मानिनी | संज्ञा | स्वाभिमानी स्त्री | वह मानिनी होने के कारण किसी का अन्याय नहीं सहती थी। |
| 13 | महाभुजंगप्रयात | छंद प्रकार | सर्पगतिवाला छंद, 17 वर्ण × 4 भाग | कवि ने महाभुजंगप्रयात छंद में रचना की। |
| 14 | सुखी | विशेषण | प्रसन्न, आनंदित | वह अपने परिवार में बहुत सुखी है। |
सवैया छंद पहचानने के नियम (Savaiya Chhand Pehchanne Ke Niyam)
1. सवैया छंद की हर पंक्ति में 24 मात्राएँ होनी चाहिए
यह सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण नियम है।
अगर 24 मात्रा नहीं — तो सवैया छंद भी नहीं।
आसान भाषा में
जिस तरह एक गिलास में 250 ml पानी आता है, उसी तरह सवैया की हर लाइन में 24 मात्रा आनी ही चाहिए।
क्यों महत्वपूर्ण?
यह मात्रा-एकरूपता ही छंद में संगीत लाती है।
2. सवैया हमेशा 4 पंक्तियों का होता है
सवैया में कुल चार (4) चरण होते हैं।
आप इसे “चार पंक्तियों का छोटा काव्य-टुकड़ा” मान सकते हैं।
याद रखने की ट्रिक
24 मात्रा × 4 पंक्तियाँ = सवैया छंद का ढाँचा
3. हर पंक्ति अक्सर 12-12 मात्रा में बँट जाती है
जब आप पंक्ति को ज़ोर से पढ़ते हैं, तो यह स्वाभाविक रूप से दो बराबर हिस्सों में टूटती है:
24 मात्रा = 12 + 12
क्यों?
क्योंकि इससे पंक्ति पढ़ने में बहुत संतुलन (balance) महसूस होता है।
उदाहरण (12-12 में विभाजन)
“राम नाम गुणगान करूँ”
(12 मात्रा)
“प्रेम भक्ति दिन-रैन धरूँ”
(12 मात्रा)
→ कुल 24
4. पढ़ते समय सवैया में संगीत जैसा बहाव मिलता है
सवैया को पढ़ते ही आपको एक गति महसूस होती है—
न तेज, न धीमी, बल्कि एक संतुलित ताल।
आसान उदाहरण
जैसे घड़ी का ‘टिक-टिक’ एक समान होता है,
वैसे ही सवैया की लय भी एक समान होती है।
5. तुकांत (राइमिंग) मिलता है, पर अनिवार्य नहीं
अक्सर पंक्तियों के आखिरी शब्द एक-जैसी ध्वनि पर खत्म होते हैं।
जैसे—
“प्रेम”, “नेम”, “सेम”, “देवम्”
लेकिन यदि राइमिंग न भी हो, तो भी सवैया छंद हो सकता है—
मुख्य पहचान मात्रा है, तुकांत नहीं।
6. सवैया छंद में ज्यादातर वीर, श्रृंगार, भक्ति का भाव मिलता है
इसलिए जब आप ऐसी भावना वाली कविता देखें और
उसमें 24-24 मात्रा हों,
तो समझ जाइए—यह सवैया छंद है।
उदाहरण
-
वीर सवैया → जोश, साहस
-
भक्ति सवैया → भगवान की स्तुति
-
श्रृंगार सवैया → प्रेम, सौंदर्य
7. गण एक जैसे दिखाई देते हैं (त, ज, र, स)
गण यानी “ध्वनि-समूह”।
सवैया अक्सर उन गणों से बनता है जिनका प्रवाह स्थिर है।
हालाँकि यह नियम कठोर नहीं है, लेकिन पहचान में मदद करता है।
सवैया छंद के 20 उदाहरण (Savaiya Chhand Ke 20 Udaharan)
| क्रम | सवैया छंद उदाहरण (एक पंक्ति) |
|---|---|
| 1 | राम नाम का गान करूँ, मन रस में डूबा जाए। |
| 2 | भक्त हृदय में प्रेम भरे, चरण चरणन सिर नाए। |
| 3 | वीर सपूत रणभूमि चले, ध्वजा विजय की लहराए। |
| 4 | सूर दिवस की छवि उजली, चंद्रकला नभ में मुसकाए। |
| 5 | गौतम ज्योति दया बरसे, बुद्ध करुणा तन पर छाए। |
| 6 | गंगाजल सा निर्मल मन, पावन धार महकाए। |
| 7 | पद पंक्ति में ताल बजे, छंद सवैया गुनगुनाए। |
| 8 | शंभु चरण में ध्यान धरें, शिवशक्ति योग मिलाए। |
| 9 | राधा श्याम मिलन की छवि, ब्रजवन रस बरसाए। |
| 10 | श्रम कर जन हित साधन में, कर्म पथिक पथ अपनाए। |
| 11 | नभ में उड़ते पंछी देखो, स्वच्छ हवा मन भरमाए। |
| 12 | धरती माता हरियाली में, प्राणों का सुख उपजाए। |
| 13 | सागर लहर उमंग भरे, नित नृत्य संगीत सुनाए। |
| 14 | बालक नन्हा खेल रहा, जीवन आनंद दिखलाए। |
| 15 | साधक तप में रत होकर, ध्यान धरा अंतर जाए। |
| 16 | प्राणी सबमें प्रेम भरे, लोभ तृषा मन से हटाए। |
| 17 | पर्वत शिखर हिम श्वेत-चुने, सूरज स्वर्ण-सा छिटकाए। |
| 18 | वन की राह सुगंध भरी, पथिक मन फूल महकाए। |
| 19 | जननी के चरण अमोलक, प्रेम स्नेह नित बरसाए। |
| 20 | गुरु वचनों का अमृत रस, नव जीवन पथ बतलाए। |
सवैया छंद का रूप-निर्माण (Savaiya Chhand Ka Rup Nirman)
1. संज्ञा से निर्माण
जब संज्ञा-प्रधान शब्दों को तालबद्ध रूप में जोड़कर 24–24 मात्रा की 4 पंक्तियाँ बनाई जाएँ → सवैया।
2. विशेषण से निर्माण
भावनाओं को वर्णित करने वाले विशेषणों को क्रम में रखकर वीर/श्रृंगार सवैया बनाया जाता है।
3. क्रिया से निर्माण
क्रिया-प्रधान पंक्तियाँ, जैसे—चले, बढ़े, नाचे, गाएँ आदि, लय प्रदान करती हैं।
4. उपमा, अलंकार और अन्य काव्य-तत्वों से निर्माण
उपमा + लय + 24 मात्रा
= सजीव और प्रभावी सवैया।
रूप निर्माण का एक सरल उदाहरण
-
पहले 24 मात्रा की एक पंक्ति लिखें
-
फिर उसी ताल में दूसरी
-
फिर तीसरी
-
फिर चौथी
→ आपका सवैया तैयार।
विशेषज्ञ राय
savaiya chhand विद्यार्थियों के लिए सबसे सरल और प्रभावशाली छंदों में से एक है। इसकी मात्रा-संरचना छात्रों को छंदों का मजबूत आधार देती है। जो विद्यार्थी मात्रा, वर्ण-विचार और ताल सीखना चाहते हैं, उन्हें सवैया से शुरुआत अवश्य करनी चाहिए।”
निष्कर्ष
Savaiya chhand (सवैया छंद) हिंदी काव्य का वह लयात्मक पुल है जो पाठक और कविता को संगीत की तरह जोड़ देता है। इसकी 24 मात्राओं वाली संरचना, सरलता और प्रभाव इसे विद्यार्थियों, शिक्षकों और कवियों—सभी के लिए अत्यंत उपयोगी बनाती है।
यदि आप छंद सीखना चाहते हैं, तो सवैया से शुरुआत करना आपकी कविता-यात्रा को सरल और आनंदमय बना देगा।
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FAQs (5 प्रश्न–उत्तर)
1. savaiya chhand क्या होता है?
सवैया छंद ब्रज भाषा का अत्यंत लोकप्रिय छंद है, जिसका प्रयोग विशेषतः भक्ति-काव्य और नायिका-वर्णन में किया जाता है। इसकी पंक्तियों में निश्चित मात्रा-संरचना और तुकांत नियम होते हैं।
2. सवैया छंद की पहचान कैसे करें?
सवैया की पहचान उसके मात्रा-गणना, चार पंक्तियों, और तुकांत पैटर्न से होती है। प्रायः इसके अंत में —इया, —इया जैसे तुक मिलते हैं।
3. सवैया छंद में कुल कितनी मात्राएँ होती हैं?
सवैया के कई प्रकार होते हैं, इसलिए सभी की मात्रा समान नहीं होती। सामान्यतः एक पंक्ति में 44, 48 या 52 मात्राएँ मिलती हैं।
4. क्या savaiya chhand की सभी पंक्तियाँ तुकांत होती हैं?
हाँ, सवैया में सभी चारों पंक्तियाँ एक ही तुक पर समाप्त होती हैं। इसे एकतुकांत छंद भी कहा जाता है।
5. सवैया और कवित्त में क्या अंतर है?
-
कवित्त में चार चरण होते हैं और तुकांत अनिवार्य है, पर मात्रा लचीली होती है।
-
सवैया में तुकांत के साथ-साथ मात्रा-संरचना निश्चित होती है।
इसलिए सवैया अधिक बंधा हुआ छंद है।
6. सवैया का सबसे प्रसिद्ध उपयोग कहाँ मिलता है?
सबसे अधिक सवैया रीति-कालीन कवियों (जैसे केशवदास, बिहारी) और भक्ति काव्य में मिलता है। उदाहरण —
“जाको रह्यो सवैया प्रभु कृपा…”
7. क्या आधुनिक कवि भी savaiya chhand का उपयोग कर सकते हैं?
हाँ, सवैया छंद आज भी लिख सकते हैं। यदि मात्रा-गणना और तुक सही है, तो आधुनिक विषयों पर भी सवैया रचना संभव है।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी 2025 तक के सामान्य अध्यापन और व्याकरणिक संदर्भों पर आधारित है। पाठक अपने पाठ्यक्रम या संस्थान के अनुसार अतिरिक्त संदर्भ देख सकते हैं।
