परिचय
कल्पना कीजिए, अगर कोई कहे — “माता-पिता ने मुझे शिक्षा दी” —
तो क्या “माता” और “पिता” दोनों को अलग-अलग कहना जरूरी था? नहीं!
यहाँ “माता” और “पिता” — दोनों का योग है। दोनों समान महत्व रखते हैं।
ऐसे शब्दों के मेल से बना समास कहलाता है — और जब दोनों पद समान महत्व के हों, तो वह होता है द्वंद्व समास (Dwand Samas)।
हिंदी व्याकरण में द्वंद्व समास बहुत महत्वपूर्ण विषय है। यह छात्रों के लिए न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से उपयोगी है, बल्कि भाषा की सुंदरता को भी बढ़ाता है।
Dwand Samas Ki Paribhasha
द्वंद्व समास (Dwand Samas) वह समास है जिसमें दो या दो से अधिक शब्द समान रूप से प्रमुख होते हैं और किसी एक का दूसरे पर अधिक अधिकार नहीं होता।
दूसरे शब्दों में — जब दो समान महत्व वाले पद बिना कोई विभक्ति लगाए एक साथ मिलकर नया शब्द बनाते हैं, तो वह द्वंद्व समास (Dwand Samas) कहलाता है।
उदाहरण:
राम-लक्ष्मण, दिन-रात, माता-पिता, सुख-दुःख आदि।
| क्रमांक |
Dwand Samas |
विग्रह रूप | अर्थ |
|---|---|---|---|
| 1 | माता-पिता | माता और पिता | दोनों को सम्मिलित रूप से |
| 2 | दिन-रात | दिन और रात | हर समय |
| 3 | सुख-दुःख | सुख और दुःख | दोनों अवस्थाएँ |
| 4 | राम-लक्ष्मण | राम और लक्ष्मण | दोनों भाई |
| 5 | राजा-रानी | राजा और रानी | दोनों शासक |
द्वंद्व समास के प्रकार (Dwand Samas Ke Prakar)
इतरेतर द्वंद्व समास,
समाहार द्वंद्व समास, और
वैकल्पिक द्वंद्व समास।
आइए इन्हें एक-एक करके सरल और शिक्षाप्रद तरीके से समझते हैं 👇
1️⃣ इतरेतर द्वंद्व समास (Itaretar Dwand Samas)
जब द्वंद्व समास में आए दोनों पद समान महत्त्व के हों, लेकिन अंतिम पद प्रधान माना जाए, तो वह इतरेतर द्वंद्व समास कहलाता है।
सरल शब्दों में:
दोनों शब्द महत्वपूर्ण होते हैं, पर वाक्य में अंतिम शब्द प्रधान माना जाता है।
पहचान के नियम:
-
दो समान महत्व वाले पदों का मेल होता है।
-
अंत में आने वाला शब्द प्रधान होता है।
-
इनका विग्रह “और” से किया जाता है।
उदाहरण:
| द्वंद्व समास | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| राम-लक्ष्मण | राम और लक्ष्मण | दोनों भाई |
| राजा-रानी | राजा और रानी | दोनों शासक |
| माता-पिता | माता और पिता | दोनों जनक |
| सूर्य-चंद्र | सूर्य और चंद्र | दोनों ग्रह |
| धर्म-कर्म | धर्म और कर्म | दोनों का मेल |
👉 इन उदाहरणों में “राम-लक्ष्मण” में लक्ष्मण अंतिम पद है, इसलिए वह प्रधान माना गया — इसीलिए यह इतरेतर द्वंद्व समास कहलाता है।
2️⃣ समाहार द्वंद्व समास (Samahar Dwand Samas)
जब द्वंद्व समास में आए दोनों या अधिक पद मिलकर एक समूह या कुल (समष्टि) का बोध कराते हैं, तो वह समाहार द्वंद्व समास कहलाता है।
सरल शब्दों में:
दो या दो से अधिक चीजें मिलकर एक ही सामूहिक अर्थ दें, तो वह समाहार द्वंद्व कहलाता है।
पहचान के नियम:
-
सभी पदों का महत्व समान होता है।
-
उनका अर्थ मिलकर एक ही वस्तु या समूह का बोध कराता है।
-
समास का अर्थ “संपूर्ण समूह” या “कुल” होता है।
उदाहरण:
|
Dwand Samas |
विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| सुख-दुःख | सुख और दुःख | जीवन की दोनों अवस्थाएँ (एक समूह रूप में) |
| दिन-रात | दिन और रात | पूरा समय (एक इकाई के रूप में) |
| जीवन-मृत्यु | जीवन और मृत्यु | अस्तित्व का चक्र |
| बाल-वृद्ध | बालक और वृद्ध | सभी लोग (समष्टि) |
| आशा-निराशा | आशा और निराशा | मानसिक स्थिति का समूह |
👉 “दिन-रात” का अर्थ हर समय (दोनों को मिलाकर एक इकाई) होता है, इसलिए यह समाहार द्वंद्व समास है।
3️⃣ वैकल्पिक द्वंद्व समास (Vaikalpik Dwand Samas)
जब द्वंद्व समास में आए शब्दों का अर्थ ‘या’ (or) के रूप में लिया जाता है —
अर्थात दोनों में से किसी एक का बोध होता है —
तो वह वैकल्पिक द्वंद्व समास कहलाता है।
सरल शब्दों में:
जब दो शब्दों में से किसी एक का चयन दर्शाया जाए, तो वह वैकल्पिक द्वंद्व समास होता है।
पहचान के नियम:
-
समास के दोनों पदों में ‘या’ का भाव रहता है।
-
दोनों पद समान दर्जे के होते हैं।
-
अर्थ में विकल्प या चयन का भाव दिखे।
उदाहरण:
| द्वंद्व समास | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| नर-नारी | नर या नारी | कोई एक |
| जीव-जंतु | जीव या जंतु | कोई भी |
| राजा-प्रजा | राजा या प्रजा | दोनों में से कोई |
| बच्चा-बूढ़ा | बच्चा या बूढ़ा | कोई भी व्यक्ति |
| स्त्री-पुरुष | स्त्री या पुरुष | कोई एक व्यक्ति |
👉 “नर-नारी” का अर्थ है “नर या नारी” — यानी किसी एक का बोध, इसीलिए यह वैकल्पिक द्वंद्व समास है।
तीनों प्रकार का तुलनात्मक सारांश
| प्रकार | विशेषता | अर्थ का भाव | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| इतरेतर द्वंद्व | अंतिम पद प्रधान | दोनों का अलग-अलग अस्तित्व | माता-पिता, राम-लक्ष्मण |
| समाहार द्वंद्व | दोनों समान, समूह का बोध | एक इकाई का बोध | दिन-रात, सुख-दुःख |
| वैकल्पिक द्वंद्व | दोनों समान, विकल्प का भाव | “या” का अर्थ | नर-नारी, स्त्री-पुरुष |
द्वंद्व समास को पहचानने के नियम (Dwand Samas Ko Pehchanne Ke Niyam)
1. दो या अधिक पदों का मेल होता है
द्वंद्व समास में हमेशा दो या दो से अधिक शब्द (पद) होते हैं।
ये शब्द अक्सर संज्ञा, विशेषण या क्रिया हो सकते हैं।
उदाहरण:
-
राम + लक्ष्मण → राम-लक्ष्मण
-
दिन + रात → दिन-रात
-
सुख + दुःख → सुख-दुःख
2. दोनों (या सभी) पद समान महत्त्व के होते हैं
द्वंद्व समास की सबसे बड़ी पहचान यह है कि किसी एक पद का दूसरे पर अधिकार नहीं होता।
दोनों का अर्थ समान रूप से प्रधान होता है।
उदाहरण:
-
माता-पिता (माता और पिता दोनों समान महत्त्व के हैं)
-
राजा-रानी (दोनों शासनकर्ता हैं)
3. इनके बीच ‘और’ या ‘एवं’ लगाया जा सकता है
यदि किसी संयुक्त शब्द के बीच ‘और’ या ‘एवं’ जोड़ने से उसका अर्थ पूरा बनता है, तो समझिए वह द्वंद्व समास है।
उदाहरण:
-
सुख-दुःख → सुख और दुःख
-
राम-लक्ष्मण → राम और लक्ष्मण
-
जीवन-मृत्यु → जीवन और मृत्यु
4. किसी एक पद का दूसरे पर अधिकार नहीं होता
यह तत्पुरुष समास से भिन्न है, जहाँ एक शब्द प्रधान होता है।
परंतु द्वंद्व समास में दोनों शब्द समान स्तर पर होते हैं।
उदाहरण:
-
भाई-बहन (दोनों समान स्तर के संबंध में हैं)
-
गुरु-शिष्य (दोनों समान रूप से संबंध में हैं)
5. द्वंद्व समास का विग्रह “और” से किया जाता है
समास को खोलने पर (“विग्रह” करने पर) हमेशा ‘और’ का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
-
माता-पिता → माता और पिता
-
दिन-रात → दिन और रात
-
आशा-निराशा → आशा और निराशा
6. द्वंद्व समास में विभक्ति नहीं लगाई जाती
दोनों पदों के बीच कोई विभक्ति (जैसे का, के, की, से, में आदि) नहीं आती।
वे सीधे-सीधे जुड़ते हैं।
गलत: माता की पिता
सही: माता-पिता
7. द्वंद्व समास में पदों का क्रम प्रायः स्थायी होता है
अधिकांश द्वंद्व समास में पहला पद और दूसरा पद निश्चित क्रम में प्रयोग होता है,
जैसे – राम-लक्ष्मण, न कि लक्ष्मण-राम।
उदाहरण:
-
सूरज-चाँद (न कि चाँद-सूरज)
-
माता-पिता (न कि पिता-माता)
8. द्वंद्व समास में समान या विपरीत अर्थ वाले शब्द मिल सकते हैं
यह एक विशेषता है — इसमें दो समान अर्थ वाले या विपरीत अर्थ वाले शब्द हो सकते हैं।
समान अर्थ वाले उदाहरण:
-
राजा-रानी, माता-पिता
विपरीत अर्थ वाले उदाहरण: -
सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु
9. द्वंद्व समास के अर्थ से ‘समूह’, ‘दोनों’, या ‘संपूर्ण’ का भाव निकलता है
द्वंद्व समास प्रायः दोनों का संयुक्त अर्थ देता है।
कभी-कभी “संपूर्णता” या “समूह” का अर्थ भी निकलता है।
उदाहरण:
-
दिन-रात = हर समय
-
सुख-दुःख = जीवन की संपूर्ण अवस्था
-
माता-पिता = दोनों जनक
द्वंद्व समास तीन प्रकार के होते हैं – पहचान इन्हीं नियमों से होती है
इन तीनों उपप्रकारों की पहचान के लिए भी ऊपर के नियम काम आते हैं:
| प्रकार | पहचान | उदाहरण |
|---|---|---|
| इतरेतर द्वंद्व | अंतिम पद प्रधान होता है | राम-लक्ष्मण, माता-पिता |
| समाहार द्वंद्व | समूह या संपूर्णता का अर्थ देता है | दिन-रात, सुख-दुःख |
| वैकल्पिक द्वंद्व | “या” का भाव होता है | नर-नारी, स्त्री-पुरुष |
द्वंद्व समास के 20 प्रमुख उदाहरण (Dwand Samas Ke 20 Udaharan)
| क्रमांक | उदाहरण वाक्य | द्वंद्व समास शब्द |
|---|---|---|
| 1 | माता-पिता हमारे पहले गुरु हैं। | माता-पिता |
| 2 | राम-लक्ष्मण वन गए। | राम-लक्ष्मण |
| 3 | सुख-दुःख जीवन के दो पहलू हैं। | सुख-दुःख |
| 4 | राजा-रानी महल में रहते हैं। | राजा-रानी |
| 5 | दिन-रात मेहनत करनी चाहिए। | दिन-रात |
| 6 | जीवन-मृत्यु ईश्वर के हाथ में है। | जीवन-मृत्यु |
| 7 | सूर्य-चंद्र दोनों चमकते हैं। | सूर्य-चंद्र |
| 8 | भाई-बहन में बहुत प्रेम होता है। | भाई-बहन |
| 9 | गुरु-शिष्य परंपरा बहुत पुरानी है। | गुरु-शिष्य |
| 10 | देव-दानव का युद्ध प्रसिद्ध है। | देव-दानव |
| 11 | पानी-बिजली की समस्या आम है। | पानी-बिजली |
| 12 | राज्य-जनता में तालमेल जरूरी है। | राज्य-जनता |
| 13 | खाना-पाना सब ठीक चल रहा है। | खाना-पाना |
| 14 | भाई-भाई में झगड़ा नहीं होना चाहिए। | भाई-भाई |
| 15 | मौसम-वातावरण एक जैसे हैं। | मौसम-वातावरण |
| 16 | रूप-रंग व्यक्ति की पहचान है। | रूप-रंग |
| 17 | मन-वचन में एकरूपता होनी चाहिए। | मन-वचन |
| 18 | धर्म-कर्म से जीवन सुधरता है। | धर्म-कर्म |
| 19 | बाल-युवक सभी उत्साहित थे। | बाल-युवक |
| 20 | आशा-निराशा मनुष्य के जीवन में आती जाती रहती हैं। | आशा-निराशा |
द्वंद्व समास का महत्व (Dwand Samas ka Mahatva)
भाषा को संक्षिप्त बनाता है — लंबे वाक्यों को छोटा और स्पष्ट करता है।
जैसे: राम-लक्ष्मण (राम और लक्ष्मण)।
समानता का भाव दिखाता है — दोनों शब्द समान महत्त्व रखते हैं।
जैसे: माता-पिता, सुख-दुःख।
वाक्य को सुंदर और लयात्मक बनाता है — भाषा में संतुलन और आकर्षण लाता है।
संबंध और सहयोग का प्रतीक — “और”, “एवं” के भाव को प्रकट करता है।
साहित्य में गहराई बढ़ाता है — भावनाओं को प्रभावशाली बनाता है।
जैसे: जीवन-मृत्यु, दिन-रात।
सामाजिक एकता का प्रतीक — जैसे: नर-नारी, हिंदू-मुस्लिम।
द्वंद्व समास के रूप निर्माण (Dwand Samas Ke Roop Nirman)
द्वंद्व समास के शब्द सामान्यतः दो या अधिक संज्ञा, विशेषण, या कभी-कभी क्रिया शब्दों से बनते हैं।
| पदों का प्रकार | उदाहरण | समास रूप |
|---|---|---|
| दो संज्ञाएँ | राम + लक्ष्मण | राम-लक्ष्मण |
| दो विशेषण | अच्छा + बुरा | अच्छा-बुरा |
| दो क्रियाएँ | खाना + पीना | खाना-पीना |
| एक समान अर्थ वाले शब्द | माता + पिता | माता-पिता |
| विपरीत अर्थ वाले शब्द | सुख + दुःख | सुख-दुःख |
👉 नोट: द्वंद्व समास में प्रत्यय या विभक्ति नहीं लगाई जाती, क्योंकि शब्द स्वयं में पूर्ण और समान होते हैं।
🧑🏫 विशेषज्ञ राय
द्वंद्व समास को समझना विद्यार्थियों के लिए बहुत आसान विषय है, यदि वे इसे “दो समान शब्दों का मेल” मान लें।
जैसे “माता-पिता”, “सुख-दुःख”, “दिन-रात” — ये हमारे जीवन और भाषा दोनों में संतुलन दिखाते हैं।
द्वंद्व समास (Dwand Samas) हमें यह भी सिखाता है कि भाषा केवल शब्दों का जोड़ नहीं, बल्कि विचारों का संतुलन है।
निष्कर्ष
Dwand Samas (द्वंद्व समास) हिंदी समासों में एक बेहद सुंदर और संतुलित रूप है। यह न केवल व्याकरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भाषा की आत्मा को भी समृद्ध करता है।
यह हमें सिखाता है कि जब दो समान तत्व मिलते हैं, तो उनका अर्थ और प्रभाव दोनों बढ़ जाते हैं।
याद रखें:
जब दो शब्दों का महत्व समान हो —
उनके बीच “और” लगाया जा सके —
तो वह द्वंद्व समास (Dwand Samas) होता है।
संदेश:
“जैसे सुख-दुःख, दिन-रात, माता-पिता — सब जीवन का हिस्सा हैं, वैसे ही द्वंद्व समास भाषा का संतुलन है।”
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FAQs – द्वंद्व समास (Dwand Samas) से जुड़े रोचक प्रश्नोत्तर
Q1. द्वंद्व समास की सबसे सरल परिभाषा क्या है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक समान महत्त्व वाले शब्द मिलकर किसी संयुक्त अर्थ को प्रकट करते हैं, तो उसे द्वंद्व समास कहा जाता है।
उदाहरण: दिन-रात, माता-पिता, सुख-दुःख।
Q2.Dwand Samas का मूल भाव क्या होता है?
उत्तर:
इस समास का मूल भाव “और” या “एवं” होता है।
यानी जब दो शब्दों के बीच “और” लगाया जा सके — वही द्वंद्व समास कहलाता है।
जैसे: राम-लक्ष्मण → राम और लक्ष्मण।
Q3. Dwand Samas के तीन प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
द्वंद्व समास के तीन मुख्य प्रकार हैं —
1. इतरेतर द्वंद्व समास – अंतिम पद प्रधान।
2. समाहार द्वंद्व समास – समूह या संपूर्ण अर्थ।
3. वैकल्पिक द्वंद्व समास – “या” का भाव।
Q4. इतरेतर द्वंद्व समास का एक अनोखा उदाहरण बताइए।
उत्तर:
“राजा-रानी” – यहाँ दोनों समान महत्त्व के हैं, पर रानी (अंतिम पद) प्रधान है।
इसलिए यह इतरेतर द्वंद्व समास है।
Q5. समाहार द्वंद्व समास का विशेष गुण क्या है?
उत्तर:
समाहार द्वंद्व समास में दोनों पद मिलकर एक संपूर्ण या मिश्र अर्थ देते हैं,
जिससे एकता या सम्पूर्णता का बोध होता है।
उदाहरण: दिन-रात (पूरा समय), सुख-दुःख (जीवन की अवस्थाएँ)।
Q6. वैकल्पिक द्वंद्व समास को ‘वैकल्पिक’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि इसमें दोनों पदों का अर्थ “या” के रूप में लिया जाता है — यानी एक के स्थान पर दूसरा।
उदाहरण: नर-नारी (नर या नारी), माता-पिता (माता या पिता)।
Q7. द्वंद्व समास और तत्पुरुष समास में क्या खास अंतर है?
उत्तर:
| विशेषता | द्वंद्व समास | तत्पुरुष समास |
|---|---|---|
| भाव | “और” का | विभक्ति का |
| प्रधानता | दोनों समान | एक प्रधान |
| उदाहरण | दिन-रात, माता-पिता | राम का घर, जल का घड़ा |
Q8. द्वंद्व समास की पहचान करने का सरल ट्रिक क्या है?
उत्तर:
यदि दो शब्दों के बीच “और” या “एवं” जोड़ा जा सके और अर्थ स्पष्ट रहे —
तो वह Dwand Samas है।
उदाहरण: राम-सीता → राम और सीता।
डिस्क्लेमर
यह लेख शैक्षिक और जानकारी हेतु लिखा गया है।
सभी व्याख्याएँ और उदाहरण हिंदी व्याकरण पुस्तकों और 2025 के शैक्षणिक मानकों के अनुरूप हैं।
