परिचय
क्या आपने कभी “नीलकमल”, “राजकुमार” या “मृदुभाषी” जैसे शब्द सुने हैं?
अगर हाँ, तो आपने अनजाने में ही कर्मधारय समास को देखा है!
हम जब दो शब्दों को मिलाकर ऐसा नया शब्द बनाते हैं जिसमें एक शब्द विशेषण (गुण बताने वाला) और दूसरा संज्ञा (जिसकी विशेषता बताई जा रही है) होता है, तो वही होता है — कर्मधारय समास।
यह समास हिंदी व्याकरण का बहुत ही रोचक और उपयोगी भाग है, क्योंकि इससे भाषा में सुंदरता और संक्षिप्तता आती है।
Karmadharaya Samas Ki Paribhasha
कर्मधारय समास वह समास है जिसमें दोनों पद (शब्द) एक-दूसरे के विशेषण और विशेष्य (गुण बताने वाला और जिसके गुण बताए जा रहे हैं) के संबंध में होते हैं, और मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं।
सरल शब्दों में:
जब किसी समास में पहले शब्द से दूसरे शब्द की विशेषता प्रकट हो, तो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
| घटक | विवरण |
|---|---|
| पहला पद | विशेषण (Adjective) |
| दूसरा पद | विशेष्य (Noun) |
| संबंध | विशेषण + विशेष्य |
| परिणाम | संयुक्त शब्द (एक नया अर्थ देने वाला) |
उदाहरण:
-
नील + कमल = नीलकमल (नीला कमल)
-
राज + कुमार = राजकुमार (राजा का पुत्र)
-
मृदु + भाषी = मृदुभाषी (मृदु बोलने वाला)
कर्मधारय समास के प्रकार – (Karmadharaya Samas ke Prakar)
कर्मधारय समास को उसके अर्थ और शब्द-संबंध के आधार पर दो मुख्य भागों में बाँटा गया है —
| मुख्य प्रकार | अर्थ-सूचक भाव |
|---|---|
| (1) विशेषता वाचक कर्मधारय समास | विशेष्य–विशेषण भाव |
| (2) उपमान वाचक कर्मधारय समास | उपमान–उपमेय भाव |
आइए इन दोनों प्रकारों को क्रमवार समझते हैं
(1) विशेषता वाचक कर्मधारय समास (Visheshta Vachak Karmadharaya Samas)
इस प्रकार के कर्मधारय समास में पहले और दूसरे शब्द के बीच विशेषण तथा विशेष्य का संबंध होता है।
अर्थात् — पहला शब्द किसी वस्तु, व्यक्ति या गुण की विशेषता प्रकट करता है।
परिभाषा:
जिसमें विशेषण और विशेष्य के मेल से किसी वस्तु की विशेषता व्यक्त हो, उसे विशेषता वाचक कर्मधारय समास कहते हैं।
यह समास चार उपप्रकारों में विभाजित है 👇
विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास (Visheshan Purvapad Karmadharaya Samas)
जिस समास में पहला पद विशेषण (Adjective) हो, वह विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास कहलाता है।
यह सबसे सामान्य रूप है।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| अल्पसंख्यक | अल्प है संख्या जो | कम संख्या वाले लोग |
| नीलकंठ | नीला है जो कंठ | भगवान शिव (नीले कंठ वाले) |
| महाकाव्य | महान है जो काव्य | बड़ा काव्य |
| परमात्मा | परम है जो आत्मा | सर्वोच्च आत्मा |
| अंधभक्ति | अंध है जो भक्ति | विवेकहीन भक्ति |
विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास (Visheshya Purvapad Karmadharaya Samas)
जिस समास में पहला पद विशेष्य (Noun) हो, वह विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास कहलाता है।
इसमें पहले शब्द से उस वस्तु या व्यक्ति की पहचान होती है, और दूसरा शब्द उसकी विशेषता दर्शाता है।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| विंध्य पर्वत | विंध्य नामक पर्वत | विंध्य क्षेत्र का पर्वत |
| कुमारश्रमणा | कुमारी श्रमणा | छोटी साध्वी |
| धर्मबुद्धि | धर्म है यह बुद्धि | धार्मिक बुद्धि |
विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास (Visheshanobhaya Pad Karmadharaya Samas)
जिस समास में दोनों पद विशेषण हों, उसे विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास कहते हैं।
अर्थात्, दोनों शब्द किसी वस्तु या व्यक्ति के अलग-अलग गुण प्रकट करते हैं।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| शुद्धाशुद्ध | शुद्ध है जो, अशुद्ध है जो | दोनों स्थितियाँ बताने वाला |
| बड़ा–छोटा | बड़ा है जो, छोटा है जो | दो विपरीत गुण |
| श्यामसुन्दर | श्याम है जो, सुंदर है जो | भगवान कृष्ण |
| लालचट्ट | अत्यंत लाल | गाढ़े लाल रंग का |
विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास (Visheshyobhaya Pad Karmadharaya Samas)
जिस समास में दोनों पद विशेष्य (संज्ञा) हों, उसे विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास कहते हैं।
इसमें दोनों शब्द अपने-अपने स्वतंत्र अर्थ रखते हुए मिलकर एक नई वस्तु या युग्म का बोध कराते हैं।
| उदाहरण | विग्रह | अर्थ |
|---|---|---|
| आमगाछ | आम का गाZछ (पेड़) | आम का वृक्ष |
| वायस-दम्पति | वायस (कौवा) + दम्पति | कौवों का जोड़ा |
(2) उपमान वाचक कर्मधारय समास (Upman Vachak Karmadharaya Samas)
इस प्रकार के कर्मधारय समास में पहले और दूसरे पद के बीच उपमान–उपमेय संबंध होता है।
अर्थात् — एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है।
परिभाषा:
जिसमें पहले या दूसरे पद से किसी वस्तु की उपमा (comparison) प्रकट हो, उसे उपमान वाचक कर्मधारय समास कहते हैं।
उदाहरण:
-
शेरदिल – जिसका दिल शेर जैसा है (साहसी व्यक्ति)
-
चाँदमुखी – जिसका मुख चाँद जैसा है (सुंदर स्त्री)
उपमान वाचक कर्मधारय समास के चार उपप्रकार
| क्रमांक | उपप्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| (1) | उपमापूर्व पद कर्मधारय | जिसमें पहला पद उपमा का द्योतक हो | शेरदिल (शेर जैसा दिल) |
| (2) | उपमानोत्तर पद कर्मधारय | जिसमें दूसरा पद उपमा का द्योतक हो | दिलशेर (दिल जैसा शेर) |
| (3) | अवधारणा पूर्व पद कर्मधारय | जिसमें पहला पद मुख्य धारणा को प्रकट करे | सच्चा इंसान (सच्चाई को दर्शाता) |
| (4) | अवधारणोत्तर पद कर्मधारय | जिसमें दूसरा पद अवधारणा या तुलना को प्रकट करे | इंसानसच्चा (जो इंसान सच्चा है) |
कर्मधारय समास पहचानने के नियम ( Karmadharaya Samas Pehchanne Ke Niyam):
जब किसी समास में पहला शब्द विशेषण (Adjective) और दूसरा शब्द विशेष्य (Noun) होता है, तथा दोनों मिलकर एक एकार्थक शब्द बनाते हैं — तो वह कर्मधारय समास कहलाता है।
अब इसके नियमों को बिंदुवार समझें 👇
नियम 1: पहला शब्द विशेषण होता है
-
Karmadharaya Samas की सबसे मुख्य पहचान यही है कि इसका पहला पद (शब्द) किसी गुण या विशेषता को बताता है।
-
यानी, पहला शब्द “कैसा?”, “कौन-सा?” या “किस प्रकार का?” जैसे प्रश्नों का उत्तर देता है।
उदाहरण:
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नीलकमल → नीला है जो कमल (पहला शब्द “नील” = विशेषण)
-
मृदुभाषी → मृदु है जो भाषी (पहला शब्द “मृदु” = विशेषण)
नियम 2: दूसरा शब्द संज्ञा होता है
-
दूसरे पद से यह स्पष्ट होता है कि वह किस वस्तु, व्यक्ति या गुण की बात कर रहा है।
-
पहला शब्द उस संज्ञा की विशेषता बताता है।
उदाहरण:
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नीलकमल → “कमल” संज्ञा है (जिसका रंग बताया गया है)
-
स्वच्छमन → “मन” संज्ञा है (जिसकी पवित्रता बताई गई है)
नियम 3: विग्रह करने पर विशेषण-विशेष्य भाव निकलता है
-
किसी शब्द का विग्रह (तोड़) करने पर अगर “विशेषण + संज्ञा” वाला अर्थ मिले, तो वह Karmadharaya Samas है।
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उदाहरण के लिए – “नीलकमल” = नीला कमल → (विशेषण + संज्ञा)
स्मरण सूत्र:
यदि विग्रह में “कैसा?” पूछा जा सके, तो वह कर्मधारय समास है।
नियम 4: “का, के, की” का प्रयोग नहीं होता
-
तत्पुरुष समास में “का, के, की” का प्रयोग देखा जाता है, लेकिन Karmadharaya Samas में ये नहीं आते।
-
क्योंकि यहाँ संबंध नहीं, बल्कि गुण या विशेषता बताई जाती है।
उदाहरण:
-
मृदुभाषी → नहीं कहा गया “मृदु का भाषी”
-
शेरदिल → नहीं कहा गया “शेर का दिल”
नियम 5: समास के दोनों शब्द एक ही वस्तु को दर्शाते हैं
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Karmadharaya Samas में दोनों शब्द किसी एक ही वस्तु या व्यक्ति से जुड़े होते हैं।
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पहला पद उसका गुण या रूप बताता है, दूसरा उसकी पहचान।
उदाहरण:
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श्यामसुन्दर → एक ही व्यक्ति (भगवान कृष्ण) के दो गुण बताता है।
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राजकुमार → एक ही व्यक्ति के “राज” (वंश) और “कुमार” (पुत्र) रूप को मिलाकर बना है।
नियम 6: नया शब्द बन जाने पर उसका अर्थ संक्षिप्त लेकिन स्पष्ट होता है
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Karmadharaya Samas की खासियत यह है कि यह दो शब्दों को जोड़कर एक सार्थक नया शब्द बनाता है।
-
इस नए शब्द का अर्थ उसके मूल शब्दों के गुणों का मेल होता है।
उदाहरण:
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“लालकिला” = लाल रंग का किला
-
“सच्चामित्र” = सच्चाई वाला मित्र
नियम 7: गुण, रंग, रूप या स्वभाव का बोध होता है
-
इस समास में अक्सर रंग (नील, लाल), गुण (सच्चा, मृदु), रूप (सुन्दर, श्याम), या स्वभाव (शेरदिल, मृदुभाषी) से जुड़े विशेषण प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:
| गुण या भाव | समास | अर्थ |
|---|---|---|
| रंग | नीलकमल | नीले रंग का कमल |
| गुण | मृदुभाषी | कोमल बोलने वाला |
| रूप | श्यामसुन्दर | सुंदर और श्याम व्यक्ति |
| स्वभाव | शेरदिल | साहसी व्यक्ति |
नियम 8: कभी-कभी दोनों पद विशेषण या संज्ञा भी हो सकते हैं
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जैसे “श्यामसुन्दर” (दोनों विशेषण) या “आमगाछ” (दोनों संज्ञा)
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फिर भी अर्थ “एक वस्तु या व्यक्ति” से जुड़ा होता है — इसलिए यह भी कर्मधारय कहलाता है।
उदाहरण:
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श्यामसुन्दर → श्याम और सुंदर दोनों गुण एक ही व्यक्ति के हैं।
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आमगाछ → आम का पेड़ (दोनों संज्ञाएँ मिलकर एक वस्तु का बोध करा रही हैं)।
नियम 9: उपमा या तुलना होने पर भी कर्मधारय हो सकता है
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जब किसी वस्तु की तुलना किसी और से की जाती है (जैसे “शेरदिल”) तब भी वह कर्मधारय समास बनता है — इसे उपमान वाचक कर्मधारय कहते हैं।
उदाहरण:
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शेरदिल → शेर जैसा दिल (साहसी व्यक्ति)
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चाँदमुखी → चाँद जैसा मुख (सुंदर चेहरा)
कर्मधारय समास के 20 उदाहरण (Karmadharaya Samas Ke 20 Udaharan):
| क्रमांक | शब्द (Karmadharaya Samas) | विग्रह (तोड़) | अर्थ / व्याख्या |
|---|---|---|---|
| 1 | नीलकमल | नीला है जो कमल | नीले रंग वाला कमल — यहाँ “नील” विशेषण है, “कमल” संज्ञा है। |
| 2 | मृदुभाषी | मृदु है जो भाषी | जो कोमल भाषा बोलता है; “मृदु” विशेषण है। |
| 3 | शेरदिल | शेर जैसा दिल वाला | साहसी व्यक्ति; यहाँ उपमान भाव है। |
| 4 | राजकुमार | राजा का पुत्र | राजा के घर जन्मा पुत्र; एक ही व्यक्ति का बोध। |
| 5 | लालकिला | लाल है जो किला | लाल रंग वाला प्रसिद्ध किला। |
| 6 | श्यामसुन्दर | श्याम है जो सुन्दर है जो | भगवान कृष्ण का नाम; दोनों पद विशेषण हैं। |
| 7 | महाकाव्य | महान है जो काव्य | बड़ा और उत्कृष्ट काव्य। |
| 8 | परमात्मा | परम है जो आत्मा | सर्वोच्च आत्मा या ईश्वर। |
| 9 | स्वच्छमन | स्वच्छ है जो मन | निर्मल और शुद्ध विचारों वाला मन। |
| 10 | प्रियदर्शन | प्रिय है जो दर्शन | जिसे देखकर मन प्रसन्न हो जाए; सुंदर व्यक्ति या दृश्य। |
| 11 | अंधभक्ति | अंध है जो भक्ति | विवेकहीन भक्ति; बिना सोच-समझ की निष्ठा। |
| 12 | धवलवस्त्र | धवल है जो वस्त्र | सफेद कपड़े; “धवल” यानी उजला। |
| 13 | सुशीलबालक | सुशील है जो बालक | अच्छा व्यवहार करने वाला बच्चा। |
| 14 | मधुरवाणी | मधुर है जो वाणी | मीठी बोलने की भाषा। |
| 15 | सच्चामित्र | सच्चा है जो मित्र | सच्चा और ईमानदार दोस्त। |
| 16 | दुर्लभवस्तु | दुर्लभ है जो वस्तु | मुश्किल से मिलने वाली चीज़। |
| 17 | न्यायप्रिय | न्याय को प्रिय मानने वाला | जो न्याय का पक्षधर हो। |
| 18 | कालीमाँ | काली है जो माँ | देवी का नाम; “काली” विशेषण, “माँ” संज्ञा। |
| 19 | आमगाछ | आम का गाछ (पेड़) | आम का वृक्ष; दोनों पद संज्ञा हैं। |
| 20 | वायस-दम्पति | वायस (कौवा) + दम्पति | कौवों का जोड़ा; दोनों विशेष्य (संज्ञा) हैं। |
कर्मधारय समास का रूप निर्माण (Karmadharaya Samas Ka Roop Nirman):
कर्मधारय समास शब्दों का निर्माण दो प्रमुख घटकों से होता है —
| पद | प्रकार | कार्य |
|---|---|---|
| पहला पद | विशेषण (Adjective) | गुण बताता है |
| दूसरा पद | संज्ञा (Noun) | उस वस्तु या व्यक्ति को दर्शाता है |
संरचना :
👉 विशेषण + संज्ञा = कर्मधारय समास
उदाहरण:
-
नील (विशेषण) + कमल (संज्ञा) = नीलकमल
-
मृदु (विशेषण) + भाषी (संज्ञा) = मृदुभाषी
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शेर (उपमान) + दिल (संज्ञा) = शेरदिल
कर्मधारय समास बनाम तत्पुरुष समास:
| तत्व | Karmadharaya Samas | तत्पुरुष समास |
|---|---|---|
| संबंध | विशेषण-विशेष्य | कारक संबंध |
| विग्रह | नीला कमल | राजा का पुत्र |
| प्रश्न | कैसा? कौन-सा? | किसका? किससे? |
| उदाहरण | नीलकमल | रामभक्त |
| पहचान | गुण दिखाता है | संबंध दिखाता है |
👩🏫 विशेषज्ञ राय
कर्मधारय समास छात्रों के लिए सबसे सरल और उपयोगी समासों में से एक है।
इसकी मदद से भाषा में न केवल संक्षिप्तता आती है, बल्कि भाव भी सुंदर और स्पष्ट रूप में प्रकट होते हैं।
जो छात्र इसे उदाहरणों और विग्रह के साथ समझते हैं, उन्हें अन्य समास जैसे तत्पुरुष, द्वंद्व या बहुव्रीहि समझने में भी आसानी होती है।”
निष्कर्ष
Karmadharaya Samas हिंदी व्याकरण में वह समास है जो शब्दों के बीच सुंदर सामंजस्य स्थापित करता है — जैसे विशेषण और संज्ञा का मेल।
यह हमें सिखाता है कि कम शब्दों में गहरी भावना कैसे व्यक्त करें।
अगर आप इसके नियम और उदाहरण याद रखेंगे, तो समास का यह भाग कभी नहीं भूलेंगे।
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FAQs – कर्मधारय समास से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. कर्मधारय समास क्या होता है?
➡ जब पहले शब्द से दूसरे शब्द की विशेषता बताई जाती है, तो उसे कर्मधारय समास कहते हैं। जैसे — नीलकमल (नीला कमल)।
2. कर्मधारय समास को कैसे पहचानें?
➡ अगर विग्रह में “कैसा?” या “कौन-सा?” पूछा जा सके, तो वह कर्मधारय समास होता है।
3. कर्मधारय समास के कितने प्रकार होते हैं?
➡ इसके तीन प्रमुख प्रकार हैं — विशेषण तत्पुरुष, समानाधिकरण, और उपमान कर्मधारय समास।
4. कर्मधारय समास और तत्पुरुष समास में क्या अंतर है?
➡ कर्मधारय समास में विशेषण-विशेष्य संबंध होता है, जबकि तत्पुरुष समास में कारक संबंध होता है।
5. Karmadharaya Samas के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण कौन से हैं?
➡ नीलकमल, मृदुभाषी, शेरदिल, लालकिला, स्वच्छमन आदि।
डिस्क्लेमर
यह लेख शैक्षणिक और जानकारीपूर्ण उद्देश्य से लिखा गया है।
सभी उदाहरण हिंदी व्याकरण के मानक नियमों पर आधारित हैं।
