🌼परिचय
क्या आपने कभी सुना है किसी कवि को कहते हुए —
“उसकी आँखें चाँद से भी ज़्यादा चमकती हैं” या “वह इतना तेज़ दौड़ा कि हवा भी पीछे रह गई!”
यह अलंकार भाषा में सौंदर्य और प्रभाव पैदा करता है। कवि किसी वस्तु, व्यक्ति या भावना को अतिशय (अर्थात् अधिक, बढ़ा-चढ़ाकर) रूप में प्रस्तुत करता है ताकि भावनाओं की गहराई झलक सके।
Atishyokti Alankar Ki Paribhasha
जब किसी बात, वस्तु या गुण का अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए, जिससे सुनने वाले पर प्रभाव पड़े, तो उस अलंकार को Atishyokti Alankar कहते हैं।
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| अलंकार का नाम | Atishyokti Alankar (अतिशयोक्ति अलंकार) |
| शब्दार्थ | ‘अति’ + ‘शयोक्ति’ = अत्यधिक कहने वाला |
| परिभाषा | जब किसी वस्तु, व्यक्ति, गुण, कार्य या स्थिति को वास्तविकता से अधिक या कम दिखाया जाता है, जिससे भावों की अतिशयोक्ति प्रकट हो — उसे अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं। |
| प्रमुख भाव | बढ़ा-चढ़ाकर कहना, प्रभाव बढ़ाना, कल्पना द्वारा सौंदर्य उत्पन्न करना |
👉 सरल शब्दों में:
जब कवि या लेखक किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर कहता है कि वह वास्तविक नहीं लगती, पर सुनने में सुंदर लगती है, तब वहाँ Atishyokti Alankar होता है।
अतिशयोक्ति अलंकार के प्रकार (Atishyokti Alankar Ke Prakar)
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1. वृद्धि सूचक अतिशयोक्ति | किसी गुण या शक्ति को बढ़ाकर दिखाना | वह तो इतना बलवान है कि पहाड़ उठा ले। |
| 2. ह्रास सूचक अतिशयोक्ति | किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण को घटाकर दिखाना | वह इतना छोटा है कि दरवाजे की चौखट में खो जाए। |
| 3. संख्या सूचक अतिशयोक्ति | किसी संख्या या मात्रा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना | हजारों बार मैंने कहा, पर उसने सुना नहीं। |
| 4. गुण सूचक अतिशयोक्ति | किसी व्यक्ति के गुणों को अतिशय रूप में कहना | उसकी मुस्कान में तो पूरा संसार बसता है। |
अतिशयोक्ति अलंकार को पहचानने के नियम (Atishyokti Alankar Ko Pehchanne Ke Niyam)
Atishyokti Alankar की पहचान करना बहुत आसान है। नीचे कुछ आसान नियम दिए गए हैं 👇
पहचानने के नियम:
-
जब किसी बात को सच्चाई से अधिक बताया जाए।
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जब कल्पना या अतिशयोक्ति का भाव दिखे।
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जब कथन असंभव लेकिन सुंदर लगे।
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जब शब्दों से भावना का जोरदार चित्रण हो।
-
जब वाक्य पढ़कर लगे कि “ऐसा होना संभव नहीं, लेकिन सुंदर लगता है।”
💡 आसान ट्रिक्स:
| संकेत | विवरण |
|---|---|
| प्रत्यय “सा, जैसे, इतना कि” | अतिशयोक्ति दर्शाने वाले शब्द हैं। |
| “सूरज-सा”, “हवा-सी”, “धरती काँप उठी” | अतिशयोक्ति के सामान्य उदाहरण हैं। |
अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण (Atishyokti Alankar Ke Udaharan)
| क्रमांक | उदाहरण |
|---|---|
| 1. | वह इतना तेज़ दौड़ा कि हवा भी पीछे रह गई। |
| 2. | उसकी आँखों की चमक से अंधेरा मिट गया। |
| 3. | मैंने तो यह बात हजारों बार कही। |
| 4. | वह इतना रोया कि नदियाँ बह निकलीं। |
| 5. | उसके हँसने से फूल खिल उठे। |
| 6. | सूरज भी उसके तेज के आगे फीका पड़ गया। |
| 7. | वह इतना दुबला है कि हवा से उड़ जाए। |
| 8. | उसकी आवाज़ में जादू है जो पत्थर को पिघला दे। |
| 9. | उसकी सुंदरता देखकर चाँद भी शर्मा जाए। |
| 10. | वह इतना महान है कि देवता भी नमन करते हैं। |
अतिशयोक्ति अलंकार का रूप निर्माण (Atishyokti Alankar Ka Roop Nirman)
Atishyokti Alankar का निर्माण भावना + कल्पना + अत्युक्ति के संयोजन से होता है।
| शब्द भेद | कैसे बनता है | उदाहरण |
|---|---|---|
| संज्ञा से | वस्तु या व्यक्ति के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है | “वह तो चलता-फिरता सूरज है।” |
| विशेषण से | किसी विशेषता को असीमित बना दिया जाता है | “वह अनंत सुंदर है।” |
| क्रिया से | कार्य को असंभव रूप में दिखाया जाता है | “वह इतना रोया कि नदी बहा दी।” |
➡️ इस प्रकार, संज्ञा, विशेषण, या क्रिया — किसी भी शब्द में अतिशयता जोड़कर अतिशयोक्ति अलंकार बनता है।
याद रखने योग्य बिंदु
-
Atishyokti Alankar = अत्यधिक कहना
-
सच्चाई नहीं, भावनात्मक प्रभाव ज़्यादा ज़रूरी है।
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इसे “कविता की आत्मा” भी कहा जाता है।
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हमेशा कल्पना का अंश रहेगा।
-
पहचानने में “असंभव-सा लगने वाला वाक्य” याद रखें।
विशेषज्ञ राय
Atishyokti Alankar हिंदी साहित्य का सबसे जीवंत और लोकप्रिय अलंकार है।
यह अलंकार भाषा को भावनात्मक रंग देता है, और कवि की कल्पना को उड़ान देता है।
2025 के आधुनिक लेखन में भी — चाहे सोशल मीडिया हो या कविता प्रतियोगिता — Atishyokti आज भी प्रभाव डालती है।”
अतिशयोक्ति अलंकार का महत्व (Atishyokti Alankar Ka Mahatva )
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| काव्य-सौंदर्य | यह कविता में भावनाओं की तीव्रता और आकर्षण बढ़ाता है। |
| संवाद प्रभाव | कहानी या भाषण में भावनात्मक प्रभाव लाने के लिए उपयोगी। |
| रचनात्मकता | लेखक की कल्पनाशक्ति को उजागर करता है। |
| शिक्षा में महत्व | छात्रों को भाषा में “भाव और अभिव्यक्ति” सिखाने का एक उत्कृष्ट माध्यम। |
🌺 निष्कर्ष
Atishyokti Alankar (अतिशयोक्ति अलंकार) हिंदी साहित्य की आत्मा है जो सामान्य बात को भी असाधारण बना देता है।
यह हमें सिखाता है कि भाषा सिर्फ शब्द नहीं — भावों की अभिव्यक्ति है।
तो अगली बार जब कोई कहे “मैंने यह बात लाख बार कही है”, मुस्कुराइए और कहिए — “वाह! क्या सुंदर Atishyokti Alankar है!”
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🙋♀️ FAQs — अतिशयोक्ति अलंकार से जुड़े प्रश्न
1. अतिशयोक्ति अलंकार क्या होता है?
जब किसी बात को वास्तविकता से अधिक या कम कहकर भावनाओं को बढ़ाया जाता है, वह Atishyokti Alankar कहलाता है।
2. अतिशयोक्ति अलंकार के कितने प्रकार होते हैं?
मुख्यतः 4 प्रकार — वृद्धि सूचक, ह्रास सूचक, संख्या सूचक, और गुण सूचक।
3. अतिशयोक्ति अलंकार का एक प्रसिद्ध उदाहरण बताइए।
“उसकी आँखों की चमक से अंधेरा मिट गया।” — यह एक सुंदर उदाहरण है।
4. क्या अतिशयोक्ति अलंकार सिर्फ कविता में होता है?
नहीं, यह निबंध, भाषण, कहानी, और दैनिक भाषा में भी प्रयोग होता है।
5. इसे “अलंकार” क्यों कहा जाता है?
क्योंकि यह भाषा को सजाता और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली बनाता है — जैसे गहना शरीर को सजाता है।
⚠️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। उदाहरणों का चयन विद्यार्थियों की सुविधा हेतु किया गया है। किसी साहित्यकार की रचना का उपयोग उनके सम्मान के भाव से किया गया है।
