परिचय
क्या आपने कभी किसी कविता में यह महसूस किया है कि कुछ शब्दों की ध्वनि बार-बार आकर संगीत-सा एहसास देती है?
जैसे —
“चंचल चितवन, चपल चाल” — सुनते ही एक मधुर लय उत्पन्न होती है!
यही शब्द-संगीत अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar) का जादू है।
हिंदी साहित्य में यह अलंकार सबसे सुंदर ध्वनि-सौंदर्य प्रदान करता है।
2025 के छात्रों के लिए यह विषय न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि कविता की आत्मा को समझने के लिए भी जरूरी है।
Anupras Alankar ki paribhasha
| घटक | विवरण |
|---|---|
| नाम | अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar) |
| श्रेणी | शब्दालंकार |
| मुख्य विशेषता | एक जैसे वर्णों (ध्वनियों) की बार-बार पुनरावृत्ति |
| लक्ष्य | वाक्य या पद में संगीतात्मकता, माधुर्य, और लय उत्पन्न करना |
👉 सरल परिभाषा:
जब किसी वाक्य या पद में एक ही वर्ण या ध्वनि का समान रूप से बार-बार प्रयोग होता है, जिससे वाक्य में मधुरता या संगीतात्मकता उत्पन्न होती है, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar) होता है।
📖 उदाहरण:
“चंचल चपल चितवन चुरावे मन।”
यहाँ ‘च’ वर्ण की पुनरावृत्ति से मधुरता आई है — इसलिए यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है।
अनुप्रास अलंकार के प्रकार ( Anupras Alankar Ke Prakar)
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| वर्णानुप्रास | एक ही वर्ण की बार-बार पुनरावृत्ति | “चंचल चपल चाल” |
| शब्दानुप्रास | एक जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति | “राम राम सब कोई कहे” |
| ध्वन्यनुप्रास | ध्वनियों की समानता से उत्पन्न प्रभाव | “पपीहा पी पी करे” |
🔹 नोट: 2025 के नए पाठ्यक्रम में इन तीनों प्रकारों को अलग-अलग पहचानना आवश्यक है, क्योंकि प्रश्न पत्र में “प्रकार बताइए” जैसे प्रश्न आते हैं।
अनुप्रास अलंकार पहचानने के नियम(Anupras Alankar Pehchanne Ke Niyam)
1️⃣ एक जैसे वर्ण की पुनरावृत्ति देखें:
यदि वाक्य में किसी विशेष वर्ण (जैसे ‘क’, ‘च’, ‘म’) की पुनरावृत्ति हो रही है — तो यह अनुप्रास का संकेत है।
2️⃣ लय और मधुरता पर ध्यान दें:
यदि वाक्य पढ़ने में संगीत या गान जैसा लगे — तो अनुप्रास की संभावना है।
3️⃣ अर्थ की पुनरावृत्ति नहीं, ध्वनि की पुनरावृत्ति देखें:
अनुप्रास अर्थ नहीं, ध्वनि (sound pattern) पर आधारित होता है।
4️⃣ पहचान ट्रिक:
👉 “एक जैसी आवाज़ बार-बार — वही अनुप्रास अलंकार।”
5️⃣ प्रत्यय संकेत (Suffix trick):
जिन वाक्यों में “-ल”, “-लाल”, “-चंचल”, “-मधुर” जैसे शब्द दोहराए जाएँ, वहाँ अक्सर अनुप्रास होता है।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण ( Anupras Alankar Ke Udaharan)
| क्रमांक | उदाहरण वाक्य | टिप्पणी |
|---|---|---|
| 1️⃣ | “चंचल चितवन चपल चाल।” | ‘च’ वर्ण की पुनरावृत्ति |
| 2️⃣ | “मधुर मनोहर मूरत।” | ‘म’ वर्ण बार-बार |
| 3️⃣ | “कल कल करती कलियाँ।” | ‘क’ ध्वनि की पुनरावृत्ति |
| 4️⃣ | “राम रमता राम में रम गया।” | शब्द पुनरावृत्ति |
| 5️⃣ | “सुन सखी सजन संगी।” | ‘स’ वर्ण का प्रयोग |
| 6️⃣ | “जल झलके झरने झर-झर।” | ‘झ’ ध्वनि की पुनरावृत्ति |
| 7️⃣ | “फूलों की फुलवारी फूली।” | ‘फ’ वर्ण का प्रयोग |
| 8️⃣ | “मीठी मुस्कान मुरारी की।” | ‘म’ वर्ण बार-बार |
| 9️⃣ | “घन घमंड गगन में गरजे।” | ‘ग’ और ‘घ’ ध्वनि से अनुप्रास |
| 🔟 | “बोल बम बम भोले।” | ‘ब’ वर्ण की पुनरावृत्ति |
अनुप्रास अलंकार के रूप निर्माण (Anupras Alankar Ke Roop Nirman)
| स्रोत | बनने का तरीका | उदाहरण |
|---|---|---|
| संज्ञा से | एक जैसे संज्ञा शब्दों की पुनरावृत्ति | “राम राम कहना” |
| विशेषण से | समान विशेषणों का प्रयोग | “मधुर मनोहर संगीत” |
| क्रिया से | क्रिया की ध्वनियों का दोहराव | “चल चल रे मन” |
| ध्वन्यात्मक शब्दों से | प्राकृतिक ध्वनि अनुकरण | “झर-झर, टन-टन, छन-छन” |
👉 विशेष ध्यान दें:
अनुप्रास का निर्माण समान वर्णों या ध्वनियों की पुनरावृत्ति से होता है, न कि समान अर्थ या भाव से।
🧑🏫 विशेषज्ञ राय
अनुप्रास अलंकार हिंदी कविता का सबसे मधुर और कलात्मक रूप है।
यह अलंकार शब्दों को संगीत, ताल और माधुर्य से भर देता है।
छात्रों को इसे याद रखने के लिए यह सूत्र अपनाना चाहिए —
‘एक जैसी ध्वनि की धुन — वही अनुप्रास का गुण!’”
अनुप्रास अलंकार का महत्व (Anupras Alankar Ka Mahatva)
-
यह कविता में श्रवण-सौंदर्य (aural beauty) बढ़ाता है।
-
कवि के भावों को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
-
शब्दों में लय, माधुर्य और आकर्षण उत्पन्न करता है।
-
हिंदी कवियों जैसे सूरदास, तुलसीदास, बिहारी आदि ने इसका खूब प्रयोग किया।
📜 उदाहरण (तुलसीदास):
“राम रघुवर राजा राम।”
यहाँ ‘र’ वर्ण की पुनरावृत्ति अनुप्रास का सुंदर उदाहरण है।
Anupras Alankar को याद रखने के शॉर्ट नोट्स
| विषय | सारांश |
|---|---|
| अलंकार की श्रेणी | शब्दालंकार |
| मुख्य पहचान | एक जैसे वर्ण या ध्वनि की पुनरावृत्ति |
| मुख्य उद्देश्य | मधुरता और लय लाना |
| प्रमुख प्रकार | वर्णानुप्रास, शब्दानुप्रास, ध्वन्यनुप्रास |
| उदाहरण | “चंचल चपल चितवन” |
❓ FAQs —अनुप्रास अलंकार से जुड़े सामान्य प्रश्न
1️⃣ अनुप्रास अलंकार क्या होता है?
जब किसी वाक्य में एक ही वर्ण या ध्वनि का बार-बार प्रयोग होता है, जिससे वाक्य में संगीतात्मकता आती है, उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।
2️⃣ अनुप्रास अलंकार के कितने प्रकार होते हैं?
मुख्यतः तीन प्रकार — वर्णानुप्रास, शब्दानुप्रास, और ध्वन्यनुप्रास।
3️⃣ अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण बताइए।
“चंचल चितवन चपल चाल।” — इसमें ‘च’ वर्ण बार-बार आने से अनुप्रास अलंकार है।
4️⃣ अनुप्रास अलंकार किस श्रेणी में आता है?
यह शब्दालंकार की श्रेणी में आता है।
5️⃣ अनुप्रास अलंकार का उद्देश्य क्या है?
वाक्य या कविता को मधुर, लयात्मक और सुंदर बनाना।
🪶 निष्कर्ष
Anupras Alankar (अनुप्रास अलंकार) हिंदी कविता का वह संगीतमय स्पर्श है जो शब्दों को जीवंत बना देता है।
यह न केवल कविता में माधुर्य भरता है, बल्कि पाठक के मन में रस और ताल का अनुभव जगाता है।
“शब्द जब गाते हैं — तब अनुप्रास अलंकार खिलता है।”
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⚠️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक और शिक्षण उद्देश्य के लिए लिखा गया है। जानकारी नवीनतम हिंदी व्याकरण और साहित्यिक स्रोतों पर आधारित है।
