✨परिचय (Introduction)
क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम कहते हैं —
👉 “राम सो रहा है” या “बच्चे हँस रहे हैं” —
तो इन वाक्यों में किसी वस्तु पर क्रिया का प्रभाव नहीं पड़ता, फिर भी वाक्य पूरे लगते हैं?
यही होती हैं अकर्मक क्रियाएँ (Akarmak Kriya)।
भाषा की खूबसूरती यही है कि यह केवल कार्य बताने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह भी बताती है कि वह कार्य किस पर या किससे संबंधित है।
🧩 Akarmak Kriya Ki Paribhasha :
| शब्द | परिभाषा |
|---|---|
| अकर्मक क्रिया | वे क्रियाएँ जिनमें कर्म (object) की आवश्यकता नहीं होती और जिनका अर्थ बिना कर्म के भी पूरा हो जाता है, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। |
सरल शब्दों में:
जब किसी वाक्य में क्रिया का कार्य केवल कर्ता तक सीमित हो और किसी वस्तु पर उसका प्रभाव न पड़े, तो वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती है।
🟠 उदाहरण:
-
राम सोता है।
-
पक्षी उड़ते हैं।
-
बच्चे हँसते हैं।
इनमें किसी कर्म (object) की आवश्यकता नहीं — फिर भी अर्थ स्पष्ट है।

🧱 अकर्मक क्रिया के प्रकार(Akarmak Kriya ke prakar)
हालाँकि पारंपरिक व्याकरण में इसे एक ही श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन आधुनिक शिक्षा (2025) के संदर्भ में इसे कार्य के स्वभाव के अनुसार तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है:
| क्रमांक | प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| 1 | शारीरिक अकर्मक क्रिया | शरीर से संबंधित कार्य बताने वाली क्रियाएँ | सोना, हँसना, रोना, दौड़ना |
| 2 | प्राकृतिक अकर्मक क्रिया | प्रकृति या पर्यावरण से संबंधित कार्य | बरसना, चमकना, डूबना |
| 3 | मानसिक अकर्मक क्रिया | मन या भावनाओं से जुड़ी क्रियाएँ | सोचना, डरना, खुश होना |
🧭 अकर्मक क्रिया पहचानने के नियम(Akarmak Kriya Pehchanne Ke Niyam)

अकर्मक क्रिया पहचानना बहुत आसान है। बस ये 5 ट्रिक्स याद रखिए 👇
✅ 1. कर्म (Object) की आवश्यकता नहीं होती
यदि वाक्य बिना किसी कर्म के भी पूरा अर्थ दे रहा है, तो वह अकर्मक क्रिया है।
📘 उदाहरण: वह सोता है।
✅ 2. “क्या?” या “किसको?” प्रश्न करने पर उत्तर न मिले
अगर क्रिया के बाद “क्या?” पूछने पर उत्तर नहीं मिलता, तो क्रिया अकर्मक है।
📘 वह हँस रहा है। — क्या हँस रहा है? ❌ कोई उत्तर नहीं।
✅ 3. केवल कर्ता (Subject) पर कार्य सीमित हो
जब क्रिया केवल करने वाले व्यक्ति या वस्तु तक सीमित हो।
📘 पानी बह रहा है।
✅ 4. भावात्मक या प्राकृतिक क्रियाओं में सामान्यतः अकर्मक क्रिया होती है
जैसे: हँसना, रोना, चमकना, बरसना, बहना।
✅ 5. प्रत्ययों (Suffixes) से पहचान
अक्सर “-ना” से समाप्त होने वाली क्रियाएँ (जैसे रोना, सोना, हँसना) अकर्मक होती हैं।
💡 अकर्मक क्रिया के उदाहरण (Akarmak Kriya ke udaharan)
नीचे 10 वाक्यों में अकर्मक क्रिया को underline करके दिखाया गया है 👇
| क्रमांक | वाक्य | अकर्मक क्रिया |
|---|---|---|
| 1 | बच्चा सो रहा है। | सो रहा है |
| 2 | पक्षी उड़ रहे हैं। | उड़ रहे हैं |
| 3 | फूल खिलते हैं। | खिलते |
| 4 | राम हँसता है। | हँसता |
| 5 | सूरज चमकता है। | चमकता |
| 6 | पानी बहता है। | बहता |
| 7 | बादल बरसते हैं। | बरसते |
| 8 | बच्चा रोता है। | रोता |
| 9 | चाँद निकलता है। | निकलता |
| 10 | हवा चलती है। | चलती |
📚 इन वाक्यों में किसी “कर्म” की आवश्यकता नहीं — इसलिए सभी अकर्मक क्रियाएँ हैं।
🧩 अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया में अंतर
| पहलू | अकर्मक क्रिया | सकर्मक क्रिया |
|---|---|---|
| 1. परिभाषा | जिसमें कर्म की आवश्यकता नहीं | जिसमें कर्म की आवश्यकता होती है |
| 2. उदाहरण | सोना, हँसना, उड़ना | खाना, लिखना, बनाना |
| 3. प्रश्न | “क्या?” पूछने पर उत्तर नहीं मिलता | “क्या?” पूछने पर उत्तर मिलता है |
| 4. अर्थ की पूर्णता | बिना कर्म के भी पूर्ण | कर्म के बिना अधूरा |
| 5. प्रयोग | प्राकृतिक या व्यक्तिगत कार्यों में | वस्तुओं या व्यक्तियों पर कार्य में |
🧮 अकर्मक क्रिया का रूप निर्माण ( Akarmak Kriya Ke Roop Nirman)
अकर्मक क्रियाएँ प्रायः संज्ञा या विशेषण से नहीं, बल्कि मूल क्रिया या धातु (verb root) से बनती हैं।
| मूल धातु | क्रिया रूप | अर्थ |
|---|---|---|
| “सो” | सोना | विश्राम करना |
| “रो” | रोना | आँसू बहाना |
| “चल” | चलना | गति करना |
| “हँस” | हँसना | प्रसन्नता प्रकट करना |
| “उठ” | उठना | खड़ा होना |
| “बैठ” | बैठना | स्थिर होना |
💬 ध्यान दें: इन क्रियाओं में कोई “कर्म” (object) जोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
👩🏫 विशेषज्ञ राय
छात्रों को अकर्मक क्रिया पहचानने में सबसे अधिक भ्रम “कर्म” शब्द को लेकर होता है।
हर बार वाक्य बनाते समय “क्या?” या “किसको?” प्रश्न करें।
यदि उत्तर नहीं मिलता, तो समझिए — यह अकर्मक क्रिया है।
यह सरल अभ्यास न केवल परीक्षा में मदद करेगा, बल्कि आपकी भाषा को भी अधिक सटीक बनाएगा। 😊
🌺 अकर्मक क्रिया की विशेषताएँ ( Akarmak Kriya Ki visheshta)
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यह क्रिया स्वयं पूर्ण अर्थ देती है।
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इसका प्रयोग दैनिक बोलचाल में अत्यधिक होता है।
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इससे बने वाक्य छोटे, सरल और प्रभावशाली होते हैं।
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यह अक्सर प्राकृतिक और भावात्मक कार्यों को व्यक्त करती है।
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यह छात्रों के लिए हिंदी व्याकरण की नींव मजबूत करती है।
🧠 अकर्मक क्रिया सीखने के आसान टिप्स(Akarmak kriya ko sikhne ke asan tIps)
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रोजमर्रा के वाक्य लिखिए और देखें कि कौन-सी क्रियाओं में “कर्म” की ज़रूरत नहीं।
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5-10 उदाहरण रोज बोलकर अभ्यास करें।
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“क्या?” पूछने का अभ्यास करें — पहचान आसान हो जाएगी।
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“ना” से समाप्त होने वाली क्रियाओं पर ध्यान दें।
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फिल्मों या गानों के वाक्यों से क्रिया पहचानें — मजेदार अभ्यास!
🌈 निष्कर्ष
Akarmak Kriya (अकर्मक क्रिया )भाषा की आत्मा है — जो कार्य को बिना किसी बाहरी प्रभाव के स्वयं में पूर्ण करती है।
यह न केवल व्याकरण समझने में मदद करती है बल्कि बोलचाल और लेखन को भी सहज बनाती है।
👉 याद रखिए —
“जहाँ क्रिया अपने आप में पूर्ण हो, वहीं अकर्मक क्रिया की पहचान है।”
2025 के शिक्षण परिवेश में, जब भाषा तकनीक से जुड़ रही है, तब अकर्मक क्रिया को समझना और भी महत्वपूर्ण हो गया है — ताकि हम शुद्ध, सटीक और प्रभावी हिंदी बोल सकें।
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❓ FAQs — अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) से जुड़े सामान्य प्रश्न
1️⃣ अकर्मक क्रिया क्या होती है?
👉 ऐसी क्रिया जिसमें किसी कर्म की आवश्यकता नहीं होती, जैसे — हँसना, सोना, रोना।
2️⃣ अकर्मक क्रिया के कितने प्रकार होते हैं?
👉 सामान्यतः तीन — शारीरिक, प्राकृतिक और मानसिक अकर्मक क्रिया।
3️⃣ अकर्मक क्रिया को कैसे पहचानें?
👉 वाक्य में “क्या?” या “किसको?” पूछें — यदि उत्तर नहीं मिलता, तो क्रिया अकर्मक है।
4️⃣ अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया में मुख्य अंतर क्या है?
👉 अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता, जबकि सकर्मक क्रिया में कर्म आवश्यक होता है।
5️⃣ क्या “खाना” अकर्मक क्रिया है?
👉 नहीं, “खाना” सकर्मक क्रिया है क्योंकि इसमें कर्म की आवश्यकता होती है (क्या खाना?)।
⚠️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक और जानकारीपूर्ण उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सभी जानकारी 2025 तक के शैक्षिक संदर्भों पर आधारित है। लेखक या प्रकाशक किसी भी त्रुटि या अद्यतन में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
