✨ परिचय:
“माँ ने मुझे मिठाई दी।”
यहाँ “माँ” देने वाली है, “मिठाई” दी जाने वाली वस्तु है, और “मुझे” वह व्यक्ति है जिसे दी गई।
यानी “मुझे” वह पद है जो सम्प्रदान कारक (Sampradan Karak) कहलाता है।
हिंदी व्याकरण में कारक वह संबंध होता है जो क्रिया और संज्ञा / सर्वनाम के बीच बनता है।
और सम्प्रदान कारक उस संबंध को दिखाता है जिसमें कार्य का फल या वस्तु किसी को दी जाती है।
🌸 Sampradan Karak ki Paribhasha:
| शब्द | अर्थ | व्याख्या |
|---|---|---|
| सम्प्रदान | देना या अर्पण करना | जहाँ क्रिया का फल किसी व्यक्ति या वस्तु को प्रदान (देना) किया जाए |
| कारक | संबंध बताने वाला पद | जो बताता है कि क्रिया का फल किसे मिला |

परिभाषा:
वे पद या शब्द जो बताते हैं कि क्रिया का फल किसे प्राप्त हुआ या किसके लिए किया गया, उन्हें सम्प्रदान कारक (Sampradan Karak) कहते हैं।
👉 संकेत: इस कारक में प्रायः “को”, “के लिए” या “लिये” जैसे चिह्न आते हैं।
🌻 सम्प्रदान कारक की सरल व्याख्या(Sampradan Karak ki saral vyakhya)
अगर कोई क्रिया किसी को “दी जा रही है” या “किसके लिए” की जा रही है,
तो वह पद सम्प्रदान कारक कहलाता है।
🪶 उदाहरण:
-
शिक्षक ने छात्रों को किताबें दीं।
-
पिताजी ने रवि के लिए मिठाई खरीदी।
यहाँ “छात्रों को” और “रवि के लिए” दोनों ही सम्प्रदान कारक हैं क्योंकि ये बताते हैं कि क्रिया (देना / खरीदना) का परिणाम किसे मिला।
🌼 सम्प्रदान कारक के उदाहरण(Sampradan Karak Ke Udaharan )
नीचे दिए गए वाक्यों में सम्प्रदान कारक शब्दों को रेखांकित किया गया है 👇
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माँ ने मुझे दूध दिया।
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गुरुजी ने विद्यार्थियों को आशीर्वाद दिया।
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पिताजी ने भाई को साइकिल दिलाई।
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डॉक्टर ने रोगी को दवा दी।
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मैंने तुम्हें किताब भेजी।
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दादी ने पोते को कहानी सुनाई।
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भगवान ने मनुष्यों को बुद्धि दी।
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मित्र ने मुझे उपहार दिया।
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माँ ने बेटी के लिए साड़ी खरीदी।
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अध्यापक ने बच्चों को इनाम दिया।
📘 हर उदाहरण में फोकस कीवर्ड “सम्प्रदान कारक” का पद “को” या “के लिए” से चिन्हित है।
सम्प्रदान कारक वह कारक है जो बताता है कि क्रिया का फल किसे या किसके लिए हुआ।
इसमें “को” या “के लिए” जैसे चिह्न प्रयोग होते हैं।
उदाहरण: माँ ने मुझे दूध दिया।
यहाँ “मुझे” शब्द सम्प्रदान कारक है क्योंकि क्रिया का फल प्राप्त हुआ।
🌺 सम्प्रदान कारक की पहचान के नियम(Sampradan Karak Ke Pehchanne Ke Niyam)
सम्प्रदान कारक को पहचानने के लिए ये आसान बिंदु याद रखें 👇
| क्रम | नियम | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1 | यदि वाक्य में कोई क्रिया “देने” या “प्राप्त होने” से जुड़ी हो | उसने मुझे किताब दी। |
| 2 | यदि पद के साथ “को”, “के लिए” या “लिये” लगे हों | पिता ने बेटे के लिए उपहार खरीदा। |
| 3 | क्रिया का फल या वस्तु किसी को दी जा रही हो | उसने रवि को पेन दिया। |
| 4 | प्रश्न “किसे?” या “किसके लिए?” पूछा जा सके | माँ ने किसे बुलाया? — बेटे को। |
| 5 | सम्प्रदान कारक में प्रायः सर्वनाम या संज्ञा का प्रयोग होता है | उसने उसे चाबी दी। |
प्रो टिप 💡:
अगर वाक्य में “देना”, “भेजना”, “सुनाना”, “बताना” जैसे शब्द हों —
तो समझिए उसमें सम्प्रदान कारक जरूर होगा।
🌻 सम्प्रदान कारक का प्रयोग(Sampradan Karak ka prayog)
सम्प्रदान कारक का प्रयोग वाक्य में तब होता है जब कोई वस्तु, कार्य या लाभ किसी को प्राप्त होता है।
इसका प्रमुख संबंध “प्राप्तकर्ता” से होता है।
उदाहरण:
“शिक्षक ने छात्रों को पुस्तकें दीं।”
यहाँ —
-
“शिक्षक” → कर्ता कारक
-
“पुस्तकें” → कर्म कारक
-
“छात्रों को” → सम्प्रदान कारक
🌸 सम्प्रदान कारक के चिह्न (Postpositions)
| कारक | प्रश्न | चिह्न | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| सम्प्रदान कारक | किसे?, किसके लिए? | को, के लिए, लिये | माँ ने मुझे फल दिया। / पिताजी ने बेटी के लिए कपड़ा खरीदा। |
🌷 सम्प्रदान कारक के प्रकार(Sampradan Karak ke prakar)
| प्रकार | विवरण | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1. प्रत्यक्ष सम्प्रदान कारक | जब वस्तु सीधे किसी को दी जाए | शिक्षक ने विद्यार्थी को इनाम दिया। |
| 2. परोक्ष सम्प्रदान कारक | जब वस्तु किसी के लिए दी जाए | माँ ने बेटी के लिए साड़ी खरीदी। |
🌺 सम्प्रदान कारक की व्याकरणिक संरचना
सम्प्रदान कारक संज्ञा, सर्वनाम या वाक्यांश के साथ बनता है, जिनमें “को” या “के लिए” जैसे चिह्न जुड़ते हैं।
| मूल शब्द प्रकार | उदाहरण | सम्प्रदान कारक रूप |
|---|---|---|
| संज्ञा | राम | राम को |
| सर्वनाम | मैं | मुझे |
| सर्वनाम (तुम) | तुम | तुम्हें |
| संज्ञा (लड़की) | लड़की | लड़की के लिए |
| समूह (बच्चे) | बच्चे | बच्चों को |
🌸 सम्प्रदान कारक को याद रखने के आसान ट्रिक्स
-
जहाँ “को” या “के लिए” आए — 90% सम्भावना है कि वह सम्प्रदान कारक है।
-
प्रश्न पूछें “किसे?” या “किसके लिए?” — जवाब ही सम्प्रदान कारक होगा।
-
“देना”, “सुनाना”, “भेजना”, “लिखना”, “दिखाना”, “बताना” — इन क्रियाओं में हमेशा सम्प्रदान कारक आता है।
-
सम्प्रदान कारक हमेशा किसी प्राप्तकर्ता से जुड़ा होता है।
🎓 विशेषज्ञ की राय
सम्प्रदान कारक बच्चों के लिए सबसे रोचक विषय है क्योंकि इससे भाषा में ‘देने और पाने’ का भाव जुड़ता है।
2025 के नए व्याकरण पाठ्यक्रम में सम्प्रदान कारक को विशेष रूप से महत्व दिया गया है ताकि छात्र वाक्य संरचना को बेहतर समझ सकें।”
🌹 निष्कर्ष
सम्प्रदान कारक हिंदी व्याकरण का वह कारक है जो बताता है —
क्रिया का फल या वस्तु किसे या किसके लिए दी गई है।
यह भाषा को अधिक अभिव्यंजक और सटीक बनाता है।
बिना सम्प्रदान कारक के, वाक्य अधूरा रह जाता है क्योंकि यह “प्राप्तकर्ता” का संबंध दर्शाता है।
💬 अगली बार जब आप सुनें “माँ ने मुझे आशीर्वाद दिया” —
समझ जाइए कि आपने एक सुंदर उदाहरण देखा सम्प्रदान कारक का!
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❓ FAQs: सम्प्रदान कारक से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. सम्प्रदान कारक क्या होता है?
वह कारक जो बताता है कि क्रिया का फल किसे या किसके लिए हुआ, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं।
2. सम्प्रदान कारक को कैसे पहचाने?
जहाँ “को”, “के लिए” जैसे शब्द लगें, और क्रिया किसी को दी जा रही हो — वही सम्प्रदान कारक है।
3. सम्प्रदान कारक के उदाहरण क्या हैं?
मुझे, तुम्हें, बेटे को, बेटी के लिए, छात्रों को आदि।
4. सम्प्रदान कारक के कितने प्रकार होते हैं?
दो — प्रत्यक्ष सम्प्रदान कारक और परोक्ष सम्प्रदान कारक।
5. सम्प्रदान कारक किन शब्दों से बनता है?
संज्ञा और सर्वनाम से, जिनके साथ “को” या “के लिए” जोड़ा जाता है।
6. सम्प्रदान कारक क्यों महत्वपूर्ण है?
यह वाक्य में “प्राप्तकर्ता” का संकेत देता है और अर्थ को पूर्ण बनाता है। हिंदी वाक्य रचना की सुंदरता इसी से बढ़ती है।
⚠️ डिस्क्लेमर:
यह लेख मानक हिंदी व्याकरण स्रोतों (जैसे NCERT, CBSE, और विश्वविद्यालय स्तर की हिंदी व्याकरण पुस्तकों) पर आधारित है।
शैक्षिक उद्देश्य के लिए लिखा गया है।
